नसों में दौड़ रहा खून बेचकर नशे में उड़ा रहे हैं युवा, आधे-पौने दामों में खरीद रहे हैं डॉक्टर
जौनपुर। जौनपुर के नौजवान आजकल नशे और जुएं की गिरफ्त में इस कदर फंसे हैं कि वो अपने शरीर में दौड़ रहे खून को भी बेचने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ये किशोर सस्ते नशे करने और जुआं खेलने के इतने लती हैं कि पैसे ना होने की सूरत में शरीर का खून अस्पताल को बेच रहे हैं। अस्पताल प्रशासन की जानकारी के बावजूद ये गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। नर्सिंग होम इन नौजवानों का 'नशे से प्रभावित' खून को आधे-पौने दामों में खरीदकर मरीजों को बिना जांच के चढ़ा रहा है।
बताया जा रहा है कि जिला चिकित्सालय के अलावा कुछ ही अस्पतालों में ब्लड बैंक है और नर्सिंग होम में भर्ती मरीजों के लिए ब्लड बैंक ना होने की सूरत में जल्दबाजी में जुगाड़ किया जाता है। यह जुगाड़ और कहीं से नहीं बल्कि नशे की गिरफ्त में जकड़े नाबालिग लड़कों की नसों से निकाल कर किया जाता है। इसकी एवज में ब्लड देने वाले को 1200 रूपये पकड़ा दिए जाते हैं। नगर के दक्षिणी क्षेत्र में कुछ झुग्गी झोपड़ियों में इसके शिकार किशोर और युवा अधिक हैं।
ये लोग ज्यादातर निचले तबके के लोग हैं जो दिहाड़ी कर अपना खर्चा चलाते हैं। लेकिन नशे की आदत ने इन्हें अपना खून बेचने लिए मजबूर कर दिया है। आसपास के नर्सिंग होम इन्हें प्रति यूनिट ब्लड का 1000-1200 रुपये तक दे देते हैं। इसी खून को महंगे दामों में मरीजों को चढ़ा दिया जाता है। पैसों की लालच मं ये नौजवान खून महीने में एक से दो बार निकलवाते हैं। इन पैसों को या तो वह जुएं में उड़ा देते हैं या फिर नशे में खर्च कर देते हैं। नशे के साध के रूप में ये पंचर बनाने वाला अढेसिव, कुछ चुनिंदा कफ सीरप, गंभीर बीमारियों में दी जाने वाली टैबलेट का प्रयोग करते हैं।
हालांकि जब पुलिस अधिकारियों से इस बाबत बात की गई तो हैरान रह गए। सीओ सिटी नृपेंद्र का कहना है कि इस तरह का मामला पहली बार सामने आया है। जुआ बंद करने के लिए टीम सक्रिय की जाएगी और नौजवानों को नशे का आदी होने से बचाने के लिए भी कोशिशें की जाएंगी।