यूपी विधानसभा चुनाव 2017: दिलचस्प हैं यूपी के ये आंकड़े, जानिए किसकी बदरंग करेंगे चुनावी होली?
चुनावी सर्वेक्षण एजेसिंयो के इन अनुमानों पर सही और गलत की मुहर तो मतदाता पहले लगा चुके हैं और वो मुहर लगी तस्वीर 11 मार्च को सबके सामने होगी।
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े राज्य की 403 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम 11 मार्च को सबके सामने होंगे। एक तरफ वर्तमान में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के ऊपर साल 2012 जैसा प्रदर्शन दोहराने का दबाव है तो वहीं लोकसभा चुनाव में सारी राजनीतिक पार्टियों का सूपड़ा साफ करने वाली भाजपा पर भी अपना पुराना प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती। इस दोनों ही पार्टियों के बीच यूपी की सत्ता में चार पर मुख्यमंत्री के पद पर रह चुकी मायावती की पार्टी बसपा भी अपना वजूद बचाए रखने जद्दोजेहद में है और अपने वोटर के जरिए वो साल 2007 जैसा चुनावी परिणाम रखने की कोशिश में होंगी। पर इन तीनों ही पार्टियों में वोटर किसे पसंद करेगा, शायद अभी कोई भी पार्टी खुलकर नहीं कह रही है। समाचार चैनल और चुनावी सर्वेक्षण एजेंसियों के सर्वेक्षण में यह बात साबित हुई है कि बीजेपी में बहुमत मिल सकता है। पर चुनावी सर्वेक्षण एजेसिंयो के इन अनुमानों पर सही और गलत की मुहर तो मतदाता पहले लगा चुके हैं और वो मुहर लगी तस्वीर 11 मार्च को सबके सामने होगी।
उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण को समझना कठिन
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश को समझना हमेशा से चुनावी विश्लेष्कों और राजनीतिक जानकारों के लिए कठिन रहा है। बिहार और दिल्ली में चुनावी सर्वेक्षण एजेसिंयों के औंधे मुंह के बल गिरने के बाद इस बार भी सीधे तौर पर कोई भी कुछ कहने से बच रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में इस बार 14.12 करोड़ मतदाताओं को अपने मतों का प्रयोग करना था। पर इनमें से करीब 8.6 करोड़ मतदाताओं ने ही अपने मतों का प्रयोग किया है। लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में करीब 55 लाख वोट ज्यादा पड़े तो वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 की तुलना में इस बार करीब 98 लाख वोट ज्यादा पड़े हैं। यह 98 लाख वोट वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले कुल 88 लाखों मतों से 10 लाख ज्यादा हैं, जो कई विधानसभा सीटों पर छोटी-छोटी होने वाले सीटों के फासले को कवर कर सकते हैं।
किस पार्टी को पसंद करेगी जनता
विधानसभा चुनाव 2012 को हुए पांच साल और लोकसभा चुनाव 2014 को हुए करीब-करीब तीन साल होने वाले हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के खिलाफ एंटी इनकंबेसी फेक्टर काम कर सकता है, पर कांग्रेस का समाजवादी पार्टी के साथ जाना दोनों पार्टियों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। लोकसभा चुनाव 2014 के आंकड़ों के मुताबिक सपा और कांग्रेस दोनों का वोट प्रतिशत कुल मिलाकर 33 फीसदी बैठता है। अगर सपा-कांग्रेस में सीटों का बंटवारा सही से हुआ होगा तो सपा-कांग्रेस के लिए खुशी की खबर हो सकती है। पर अपने काम के जरिए दोबारा सत्ता में आने का ख्वाब देख रहे अखिलेश यादव के लिए कानून व्यवस्था, समाजवादी पार्टी में मची कलह घाटे का सौदा साबित हो सकता है। वहीं भाजपा के लिए नोटबंदी, रोजगार, यूपी के लोगों के लिए क्या किया जैसे सवाल सामने होंगे। बसपा के समय में मजबूत कानून व्यवस्था तो उसके लिए प्लस प्वाइंट हो सकता है, पर पत्थर लगाने वाली सरकार का तमगा घाटे का सौदा हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2014 में क्या हुआ और अब क्या हो सकता है
वर्ष 2014 में मोदी लहर के भरोसे भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन किया और 3,43,18854 करीब 42.63 फीसदी वोट प्राप्त करके 71 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी और सपा, बसपा, कांग्रेस को एक साथ चित्त कर दिया। लोकसभा चुनाव 2014 में कुल 8,0500,789 करोड़ वोटों में से 42 फीसदी बीजेपी, 22.35 फीसदी वोट सपा को, 19.77 फीसदी वोट बसपा को और 7.53 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले थे। इस आधार पर सपा के खाते में 5, कांग्रेस के खाते में 2 और बसपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी। पर भाजपा के पास करीब-करीब तीन साल बाद भी इतनी संख्या में वोट बैंक बरकरार रखना चुनौती होगी और भाजपा इतनी संख्या में वोट बरकरार रख पाई थी सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। पर अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव 2014 से अलग एक नई तस्वीर विधानसभा चुनाव 2017 में देखने को मिलेगी। क्योंकि भले ही लोकसभा चुनाव 2014 में सपा को 22.35 फीसदी वोट 1,79,88,967 वोट मिले, बसपा को 1,59,14,194 और कांग्रेस को 60,61,267 वोट मिले हो, पर वर्तमान परिस्थितियों में सपा-कांग्रेस गठबंधन और एकमुश्त दलित-मुस्लिमों के साथ-साथ सोशल इंजीनियरिंग के जरिए मिलने वाला वोट बसपा और मायावती को नई ताकत दे सकता है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में क्या थी तस्वीर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में कुछ भी हो, पर भाजपा का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव 2012 से ज्यादा बढ़िया होगा और इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार स्टाइल और उनके संगठन जाएगा। पर उत्तर प्रदेश की आबादी और भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ धार्मिक और जातीय मुद्दे बहुमत से हर पार्टी को बहुमत से दूर कर सकती है। क्योंकि इस बार हर राजनीतिक पार्टी के पास दूसरी पार्टी की कुछ-कुछ काट जरूर है। वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी ने 401 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और उसके 224 उम्मीदवार चुनाव जीत गए थे। यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में सपा को 29.13 फीसदी कुल वोट 2,20,90,571 वोट मिले थे। इसके बाद बसपा को 1,96,47,303 वोट करीब 25.91 फीसदी, भाजपा को 1,13,71,080 वोट करीब 15.16 फीसदी और कांग्रेस को 88,32,895 वोट करीब 11.65 फीसदी वोट मिले थे। इन चुनावों में सपा को 224, बसपा को 80, भाजपा को 47 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं।