यूपी के आठ अति पिछड़े जिलों से शिक्षिकाओं के नहीं होंगे अंतरजनपदीय तबादले
लखनऊ। हाईकोर्ट ने आज आठ जिलों की महिला शिक्षिकाओं द्वारा डाली गई अंतरजनपदीय तबादले वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी इस मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में सरकार की गाइडलाइन को सही ठहराया है। दअरसल हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी जिसमें मांग किया गया था कि अन्य जिलों में कार्यरत शिक्षिकाओं की तरह ही पिछड़े जिलों में काम करने वाली शिक्षिकाओं का भी दूसरों जनपदों में तबादला किया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया। इस मामले में सैकड़ों याचिकायें न्यायालय के समक्ष आई थीं जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने उन्हें खारिज कर दिया।
याचिका पर फैसला करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने इस संबंध में पहले से जारी राज्य सरकार की गाइडलाइन को ही सही ठहराया है। सरकार के द्वारा आठ जिलों को अति पिछड़ा घोषित किया गया है। साथ ही इन जिलों में तैनात शिक्षिकाओं को जिले के बाहर तबादले की अनुमति नहीं है। ये आठ जिले है सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती, बहराइच, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, चित्रकूट और बलरामपुर। दरअसल इन जिलों में शिक्षकों की भारी कमी है इसलिए अनिवार्य शिक्षा के कानून के तहत ये छूट दी गई है। हालांकि इन जिलों में तैनात पुरुष किसी भी अन्य जिलों में अपने तबादले की मांग कर सकते हैं लेकिन शिक्षिकाएं ऐसा नहीं कर सकती हैं।
इससे पहले भी हाईकोर्ट ने अंतरजनपदीय तबादले पर मई 2018 में निर्णय देते हुए कहा था की सामान्य रूप से 5 साल की सेवा के बाद ही शिक्षकों का तबदला दूसरे जनपदों में हो सकता है। साथ ही कोर्ट ने विशेष परिस्थितियों में सचिव बेसिक शिक्षा से विचार करने के लिए भी कहा था। न्यायालय ने सचिव को किडनी, कैंसर और हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों के समय अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादलों पर विचार करने का निर्देश दिया था।
ये भी पढे़ं -मौत के बाद 14 साल की अंजली दे गई तीन लोगों को नई जिंदगी