VIDEO: चीन से डोकलाम विवाद पर भारतीय कुम्हारों को हुआ बड़ा फायदा, जानिए कैसे?
कुम्हारों ने बताया है कि किस तरह इस बार उनकी दीवाली खुशियों से भर गई है। डोकलाम विवाद के बाद भारत के कड़े रुख का नतीजा ये हुआ है कि इन परिवारों को इसका बड़ा लाभ मिलने लगा है। जानिए कैसे?
वाराणसी। बीते दिनों चीन के शुरु हुए गहमागहमी का नतीजा पीएम की काशी में देखने को मिल रहा है। इस बार की दीपावली में लोग अपने घरों को रौशन करने के लिए चाइनीज लाइट और झालर नहीं बल्कि मिट्टी के दीए जलाने पर जोर दे रहे है ये हम नहीं बल्कि मिट्टी के दीए बनाने वाले कारीगरों का कहना है। कुम्हार मनोज ने बताया कि बीते 10 सालों के बाद इस बार ऑर्डर उन्हें मिला है। ऐसा पहले हुआ करता था पहले से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हम बीते 6 महीने से लगातार मिट्टी के दीए बना रहे हैं और इस बार हमें अच्छा ऑर्डर मिला है। दिन रात दीए बनाने का काम चल रहा है और पूरा परिवार इस काम में कई सालों के बाद व्यस्त हुआ है। यही नहीं OneIndia से बात करते हुए सुनील ने बताया की इस साल से पहले जब भी हम मिट्टी के दीए बनाते थे तो हमे घूम-घूमकर अपना सामान बेचना पड़ता था लेकिन इस बार हमे खुशी है की हमारी दीपावली इन्हीं दीओं से रौशन होगी।
'मोदी के मेक इन इंडिया के नारे से बढ़ा हमारा रोजगार'
बनारस के शिवपुर इलाके के सुद्ढ़ीपुर गांव में रहने वाले कुम्हारों का परिवार पूरे साल मिट्टी के दीए और उसके बनाए हुए बर्तनों को बेचकर जीविका चलते हैं। ये गांव कुम्हारों के गांव के नाम से भी बनारस में काफी मशहूर है। ये गांव लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट जाने वाले रस्ते में पड़ता है OneIndia ने कुछ ऐसे ही कुम्हारों के परिवार से जाने की कोशिश की तो संजय और कमला ने बताया की उनका रोजमर्रा का काम वैसे तो आम दिनों में सुबह से शाम तक चलता है लेकिन इन दिनों रात 9-9 बजे तक काम चल रहा है।
'मेक इन इंडिया' से मनेगी दीवाली
इस बार प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' का दिया हुआ नारा कुम्हारों की डूबती नैया का सहारा बन चुका है। सजाय ने बताया की हम लोग भुखमरी की कगार पर थे और अपना ये रोजगार बंद कर दूसरे काम में लगने वाले थे, बस इंतजार था इस बार की दीपावली का तो पीएम के 'मेक इन इंडिया' नारे ने इस बार कमाल कर दिखाया है। हम बीते 6 महीनों से लगातार काम कर रहे हैं और अब तो आलम ये है की बीएस ऑर्डर का ही माल तैयार हो पा रहा है, कोई न्यू ऑर्डर नहीं लिया जा रहा है।
'मोदी ने दी बच्चों के लिए दीवाली की खुशियां'
वहीं बीना देवी ने हमे बताया की शादी के बाद उन्हें 3 बच्चे हुए, उन्हें पढ़ा-लिखाकर कुछ बनाना चाहती थी लेकिन मिट्टी से बनाए हुए चीजों का रोजगार ठप चल रहा था। बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज पा रही थी। जैसे-तैसे परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम हो पता था। लेकिन इस बार के चाइना से हुए विवाद के बाद लोगों को ये समझ में आया की हमे चाइनीज सामानों से अपने घर को रौशन नहीं करना है, जिसका फायदा हमे मिला और इस बार बड़ी मात्रा में हमे ऑर्डर मिला है। मोदी ने बनारस के सांसद के रूप में हमे ये नई दीपावली की खुशियां दी हैं। जिससे हमारे बच्चों की दीपावली अच्छी मनाई जाएगी।
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