स्वतंत्रता दिवस: UP के इस गांव में 5000 लोग कर रहे देश की सेवा, कारगिल में दिखा चुके हैं जौहर
लखनऊ, 15 अगस्त: उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में आजदी के 75 साल पूरे होने पर सोमवार को हर घर पर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। देश आज 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने झंडा फहराया। लेकिन यूपी में एक ऐसा गांव भी है जहां हर घर में एक फौजी है। देश के सबसे बड़े गांवों में से एक गहमर में और जहां लगभग हर घर में ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने सेना में सेवा की है या सेवा कर रहे हैं, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हर घर में तिरंगा फहराया गया। आज जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो यहां के युवा भी देशभक्ति की भावना में पूरी तरह से सराबोर हो चुके हैं।
सैनिकों के गांव में फैला है जोश व उमंग
इस "सैनिकों के गांव" में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराना एक परंपरा है और इस साल सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान ने देशभक्ति की भावना को ही जोड़ा है। केंद्र सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू किया है जिसके तहत लोगों को भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गहमर के सैनिक द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध तक लड़े हैं। गहमर के अधिकांश घरों में सैनिकों के चित्र और पदक अलमारियां सजी हुई हैं।
अब तक 20 हजार सैनिक दे चुके हैं सेवा
ग्राम प्रधान बलवंत सिंह बताते हैं कि गहमर अब तक देश को 20 हजार सैनिक दे चुके हैं। वर्तमान में लगभग 5,000 ग्रामीण सेना में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। गहमर की आबादी करीब सवा लाख है। बलवंत सिंह कहते हैं कि, "यहां रहने वाले हर परिवार के दिल में देशभक्ति की भावना बसती है। हमारा गांव सैनिकों का है। आपको यहां लगभग हर घर में एक सैनिक जरूर मिलेगा। ज्यादातर परिवारों के कई सदस्य सेना में सेवा दे रहे हैं।"
कुछ परिवारों की कई पीढ़ीयां सेना से जुड़ी हैं
उन्होंने कहा, "हालांकि गहमर गांव में हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस बार आजादी के 75 साल पूरे होने पर विशेष तैयारी की जा रही है। गांव के लोग भी 'हर घर तिरंगा' अभियान से जुड़े हैं।" उन्होंने कहा कि गांव के हर घर में तिरंगा फहराया गया है और अभियान को सफल बनाने के लिए प्रशासन भी पूरी कोशिश कर रहा है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर चंद्र ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में अपने कई सैनिकों के शहीद होने के बाद देशभक्ति की भावना ने गांव को जकड़ लिया था। उन्होंने कहा कि कुछ परिवारों की कई पीढ़ियां सेना से जुड़ी हुई हैं।
कुछ परिवार की तीन पीढ़ीयां सेना में
ऐसा ही एक परिवार लेफ्टिनेंट कर्नल राम बचन सिंह (सेवानिवृत्त) का है, जिन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। राम बच्चन के परिवार की तीन पीढ़ियां सेना में सेवा दे चुकी हैं। उनके बेटे अशोक वर्तमान में सेना में सेवारत हैं। गहमर के पास सेना में शामिल होने के इच्छुक लोगों की मदद करने के लिए एक प्रशिक्षण मैदान भी है। सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रा ने कहा कि गांव के युवाओं ने नदी के किनारे एक मैदान में दौड़ने और व्यायाम करने के लिए सभी आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की है और वे हर सुबह और शाम को प्रशिक्षण देते हैं।
गांव के युवा एकजुट होकर करते हैं सेना में जाने की तैयारी
उन्होंने कहा कि यह मैदान एक सेना प्रशिक्षण इकाई जैसा दिखता है, इसमें एक रनिंग ट्रैक और सेना की भर्ती के लिए कठोर प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कई अन्य सुविधाएं हैं। चंद्रा ने कहा कि गांव के युवा अपने बड़ों से प्रेरित होते हैं और पूर्व सैनिकों के बच्चों के रूप में सेना की भर्ती में भी उन्हें वरीयता मिलती है। लेकिन युवाओं के उच्च शिक्षा के बजाय सैन्य भर्ती के लिए प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के कारण, गांव के मुश्किल से एक दर्जन लोगों ने इसे अधिकारी रैंक तक पहुंचाया है।
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