उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

सिर पर कफन बांधकर रोजाना अंग्रेजों से लड़ने की तमन्ना रखता था ये स्वतंत्रता सेनानी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने मिलकर चौकी को लूटने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। फरार होने के लिए रिवाल्वर छीनकर दरोगा के सीने पर निशाना लगा दिया, लेकिन गोली उसके हाथ में लग गई थी।

By Gaurav Dwivedi
Google Oneindia News

कन्नौज। कन्नौज के तिर्वा कस्बे के इंदिरा नगर निवासी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 102 वर्षीय रामसनेही पांडेय आज भी आजादी की लड़ाई के दिनों को याद करते हैं तो उनके अंदर आजादी का वही सिपाही फिर जाग जाता है। उनकी माने तो सर्किल के किसानों से लगान वसूलकर ब्रिटिश शासक मंडी बाजार मोहल्ले में स्थित चौकी पर अनाज को रखा जाता था। l तो उन्होंने चौकी से असलाह छीनकर एक बार बड़ी वीरता दिखाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ मिलकर चौकी को लूटने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। फरार होने के लिए रिवाल्वर छीनकर दरोगा के सीने पर निशाना लगा दिया, लेकिन गोली उसके हाथ में लग गई थी।

सिर पर कफन बांधकर रोजाना अंग्रेजों से लड़ने की तमन्ना रखता था ये स्वतंत्रता सेनानी

आजादी की लड़ाई के मतवालों के साथ रहते-रहते उनके इरादे इतने मजबूत हो गए कि घर परिवार को छोड़कर आजादी के परवाने बन गए। सिर पर कफन बांधकर रोजाना अंग्रेजों से लड़ने की तमन्ना रखने लगे। घर के पास मंडी बाजार में पुलिस की चौकी थी। उस चौकी में किसानों से वसूल किया गया लगान का अनाज भरा हुआ था। किसानों में भूखमरी फैली रही थी। किसानों का अनाज लूटने की योजना बनाई। आधी रात को कुछ साथियों के साथ चौकी में रामसनेही पांडेय घुस गए।

अनाज लूटने में कामयाब नहीं हो सके। पुलिस ने उनको पकड़ने की कोशिश की, तो दरोगा की रिवाल्वर को छीन लिया। दरोगा के सीने पर गोली चलाई लेकिन वह उसके हाथ में लगी। इसके बाद डेढ़ वर्ष तक घर से फरार रहे। पुलिस ने साथियों के साथ घर पर 1943 में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने हथकड़ी डाली तो उसको तोड़ दिया था। इसके बाद पुलिस ने सभी को कालापानी की सजा सुनाकर फतेहगढ़ जिला जेल में डाल दिया था।

कोड वर्ड से पहुंचाते थे सेनानियों को खाना

डेढ़ वर्ष तक फरार रहने पर ईसन नदी के किनारे ठिकाना हो गया था। कुछ साथ रोजाना खाना लेकर जाते थे। खाना लेने के लिए कोड़ वर्ड भी हो गया था। सात नंबर बोलने पर ही सेनानी सामने आते थे और खाना लेकर फिर से जंगलों में छिप जाते थे।

कुश्ती लड़ने के थे शौकीन

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामसेनही पांडेय को बचपन से कुश्ती लड़ने का शौक था। इस कारण सिर पर गुस्सा तेज रहता था और आए दिन अंग्रेजों को पीटकर फरार हो जाते थे। जेल में भी श्री पांडेय ने दो सिपाहियों से मारपीट कर दी थी, तो बेड़ियों में बांधकर डाला गया था। अंधेरी कोठरी में ही रखा जाता था और करीब चार वर्ष की सजा पूरी होने के बाद 1947 में आजादी मिल गई थी।

साथियों को फांसी मिलने पर खौल गाय था इनका खून

आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामसनेही पांडेय के साथ में सेनानी कन्हैया लोहार व घासीराम भी शामिल थे। कन्हैया लोहार व घासीराम को फांसी की सजा मिली। इससे दोनों जेल में खूब रोए। इस पर रामसनेही पांडेय ने दोनों से ऊंचे सुर में 'देश पर मरते हो और मौत से डरते हो' कहकर उनके हौसले बढ़ाए थे। देश आजाद होने के बाद सभी को रिहाई मिल गई थी।

<strong>Read more: VIDEO: ढाई साल की बेटी ने जब मुट्ठी बांधकर गाया राष्ट्रगान...</strong>Read more: VIDEO: ढाई साल की बेटी ने जब मुट्ठी बांधकर गाया राष्ट्रगान...

Comments
English summary
Indepedece Day- Positive Story on a Freedom Fighter
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X