'मिशन 2022' के लिए 'आइडेंटिटी पॉलिटिक्स' में जुटी BJP की क्यों बढ़ी टेंशन, समझिए प्रतिमा के पीछे की पूरी सियासत
लखनऊ, 21 सितंबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार 'आईडेंटिटी पॉलिटिक्स' में जुट गई है। कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने अलीगढ़ में जाट समुदाय के नेता राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यस किया था। भाजपा इस कदम के बहाने पश्चिमी यूपी में जाटों के वोटों के समीकरण को साधने के प्रयास में जुटी थी। वहीं दूसरी तरफ अब महेंद्र प्रताप के बाद योगी सरकार ने गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाने का दांव खेला है। दरअसल बीजेपी की नजर पश्चिमी यूपी के लगभग 25 जिलों की लगभग 60 से अधिक विधानसभा सीटों पर है जहां गुर्जर समुदाय अहम भूमिका निभाता है। पिछले दो चुनावों से इस समुदाय का साथ बीजेपी को मिल रहा है और इन्हीं वोटरों को साधने के लिए आगे बढ़ाने की कवायद की जा रही है।
हालांकि योगी सरकार की इस रणनीति के बीच करणी सेना ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया कि मिहिर भोज गुर्जर नहीं राजपुत समुदाय से थे। विवाद के बीच अंदरखाने दोनों समुदायों के नेता इसका हल निकालने में जुटे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 11 सितंबर को मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। हालंकि करणी सेना ने कहा है कि योगी को विवाद से दूर रहना चाहिए। हम अपने मान सम्मान के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
प्रतिमा
के
पीछे
की
यह
है
सियासी
गणित
दरअसल
यूपी
में
अगले
साल
विधानसभा
चुनाव
होना
है
और
उसको
लेकर
बीजेपी
आइडेंटिटी
पॉलिटिक्स
में
जुटी
है।
पश्चिमी
उत्तर
प्रदेश
में
जाट
और
गुर्जर
समुदाय
चुनावों
को
सीधे
प्रभावित
करते
हैं।
पश्चिमी
यूपी
में
गुर्जर
और
जाट
के
बाद
ठाकुर
मतदाताओं
की
संख्या
सबसे
अधिक
है
और
वह
पश्चिमी
यूपी
के
लगभग
दो
दर्जन
जिलों
की
लगभग
60
से
अधिक
विधानसभा
सीटों
पर
इनका
प्रभाव
माना
जाता
है।
इसी
वोट
बैंक
को
अपने
पाले
में
करने
की
कवायद
में
बीजेपी
जुटी
हुई
है।
इससे
पहले
साल
2014
और
2019
के
लोकसभा
और
2017
के
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
को
गुर्जरों
का
भरपूर
समर्थन
मिला
था।
गुर्जरों
के
सम्राट
को
सम्मान
देकर
पार्टी
उन्हें
अपने
पक्ष
में
और
मजबूत
करना
चाहती
है
लेकिन
अब
इस
मास्टरस्ट्रोक
ने
नया
विवाद
खड़ा
कर
दिया
है।
दादरी विधायक तेजपाल नागर के मुताबिक, मुख्यमंत्री 21 सितंबर की शाम को यहां पहुंचेंगे और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में रात्रि प्रवास करेंगे। वह 22 सितंबर की सुबह 10 बजे कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। यहां मुख्यमंत्री योगी धौलाना के लिए रवाना हो जाएंगे। हालांकि इससे पहले शनिवार को एक समूह ने कथित तौर पर ऐसे कई पोस्टर लगाए थे जिनमें गुर्जर समुदाय के सदस्यों ने दावा किया कि भोज एक गुर्जर राजा थे।
वहीं मिहिर भोज के विवाद को लेकर राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी ने वन इंडिया डॉट कॉम को बताया कि,
"सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर-प्रतिहार सम्राट के नाम से जाना जाता था। उनकी जाति प्रतिहार थी, जो कि एक राजपूत वंश है। हम चाहते हैं कि सीएम योगी फिर से चुने जाएं, लेकिन वह इस तरह के दुष्प्रचार से दूर रहेंगे तभी यह संभव है। नहीं तो हम धरना प्रदर्शन करेंगे। हमारी विरासत से ऊपर कुछ भी नहीं है और सरकार को इसे समझना चाहिए और पारंपरिक राजपूत वोटों को नहीं खोना चाहिए। हम अपने इतिहास को बचाने के लिए कुछ भी करेंगे चाहे इसके लिए कोई कीमत चुकानी पड़े।''
रघुवंशी ने कहा कि इस विवाद के बाद गाजियाबाद और आसपास के इलाके में कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है लेकिन हम उनसे डरने वाले नहीं हैं। लोकतांत्रिक तरीके से हमारा विरोध जारी रहेगा। आज अगर हम चुप हो गए तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। आज लोग मिहिर भोज पर सवाल उठा रहे हैं कल भगवान राम, हुनमान और अन्य लोगों पर भी सवाल उठाएंगे।
करणी सेना के दावे को लेकर गुर्जर महासभा के नेता श्याम सिंह भाटी ने कहा कि, ''सभी जानते हैं कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर समुदाय से थे। "उनके नाम पर कई स्कूल, कॉलेज और पार्क हैं। यूपी के मुख्यमंत्री बुधवार को दादरी कॉलेज में भोज की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं। लेकिन स्थानीय विधायक तेजपाल नागर और अन्य भाजपा नेताओं ने अन्य समुदाय के एक वर्ग को खुश करने के लिए पोस्टरों से 'गुर्जर' हटा दिया था, जो दावा करते हैं कि भोज एक राजपूत राजा था।"
क्षत्रिय
महासभा
और
करणी
सेना
के
लोग
कर
रहे
इसका
विरोध
अखिल
भारतीय
क्षत्रिय
महासभा
(ABKM),
करणी
सेना
और
राजपूत
समुदाय
के
अन्य
संगठन
इस
समारोह
का
विरोध
कर
रहे
हैं,
यह
दावा
करते
हुए
कि
राजा
मिहिर
भोज
गुर्जर
राजा
नहीं
थे,
जैसा
कि
गुर्जर
निकायों
द्वारा
दावा
किया
गया
था।
राजपुत
सभा
के
उपाध्यक्ष
देवेंद्र
सिंह
खटाना
ने
कहा
कि
कुछ
लोग
इस
मुद्दे
पर
दो
समुदायों
के
बीच
मतभेद
पैदा
करने
के
लिए
राजनीति
कर
रहे
हैं।
सम्राट
मिहिर
भोज
एक
महान
राजा
थे,
और
महान
व्यक्ति
सभी
समुदायों
से
संबंधित
थे।
गुर्जर
और
राजपूत
एक
साथ
हैं,
और
हम
एक
साझा
इतिहास
साझा
करते
हैं।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर,
"हमने सुना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्राट मिहिर भोज की एक प्रतिमा का उद्घाटन करने जा रहे हैं। हमें इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर मिहिर भोज को गुर्जरों से जोड़ा जा रहा है, तो यह हमारे इतिहास को विकृत करने और चोरी करने का प्रयास है और हम सीएम से कुछ वोटों को लुभाने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों से दूर रहने का अनुरोध करते हैं।"
योगी
के
आने
से
पहले
विवाद
को
सुलझाने
की
कवायद
बुधवार
(22
सितंबर)
को
ग्रेटर
नोएडा
के
दादरी
के
एक
कॉलेज
में
सम्राट
मिहिर
भोज
की
एक
आगामी
प्रतिमा
के
विवाद
को
सुलझाने
के
लिए
कई
गुर्जर
और
राजपूत
नेताओं
ने
सोमवार
को
बैठक
की।
हालांकि,
दोनों
समुदायों
के
कुछ
लोगों
ने
कहा
कि
अगर
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
ने
दादरी
की
अपनी
यात्रा
स्थगित
नहीं
की,
तो
वे
बुधवार
को
देशव्यापी
विरोध
प्रदर्शन
करेंगे,
जहां
उन्हें
उस
दिन
नौवीं
शताब्दी
के
राजा
मिहिर
भोज
की
प्रतिमा
का
अनावरण
करना
है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक पूर्व अधिकारी और प्राचीन भारत इतिहास के जानकार डॉ नरेंद्र कुमार गौर कहते हैं कि,
"मिहिर भोज एक प्रतिहार राजपूत थे और उनके प्रत्यक्ष वंशज परिहार और मध्य और उत्तर भारत की ऐसी अन्य राजपूत जातियां हैं। अरब आक्रमणकारियों के प्राचीन ग्रंथों में युद्ध के मैदान में उनकी वीरता का उल्लेख है क्योंकि उन्होंने बार-बार भारत पर आक्रमण का जवाब दिया था। उसने कई वर्षों तक आक्रमणकारियों से भारत की रक्षा की। उनके नाम पर गुर्जर शब्द उस क्षेत्र से लिया गया है जहां से उन्होंने शासन किया था, जो वर्तमान में गुजरात में है।''
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