शरिया अदालतों की तर्ज पर पश्चिमी यूपी में हिंदू कोर्ट का गठन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद। जिस प्रकार आज देश में हर जगह कानून को नजरअंदाज करने की बात लगातार सामने आती रहती है। कुछ वक्त पहले ही उत्तर प्रदेश के कन्नौज में शरिया कोर्ट खोला गया था। बाद में उसी शरिया कोर्ट के तर्ज पर मेरठ में हिंदू संगठनों द्वारा हिंदू कोर्ट खोला गया है। जिसकी पहली महिला महिला जज की भी नियुक्ति कर दी गई है। इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी सख्त नजर आ रहा है। कोर्ट ने योगी सरकार से इस बारे में जवाब मांगा है।
क्या है मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे मुस्लिम शरिया कोर्ट के ही तर्ज पर हिंदू संगठनों द्वारा हिंदू कोर्ट का गठन किया गया है। यह कोर्ट ठीक उसी तरह अस्तित्व में आई है जैसा कि इस्लामिक शरिया अदालतों का ट्रिपल तलाक, हलाला तथा महिलाओं के हक का विरोध करने को लेकर आना हुआ था।
इस हिंदू कोर्ट का मकसद हिंदुओं के मामलों को निस्तारण शरिया कोर्ट के आधार पर ही करना है। यानी जिस क्षेत्र में इस कोर्ट का गठन किया गया है वहां के स्थानीय वादों का इसी कोर्ट से निस्तारण किया जायेगा और तो और इस हिंदू कोर्ट का जज डॉ. पूजा पांडेय को बनाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि हिंदू कोर्ट के गठन के पीछे की वजह जो बताई जा रही है वह यह है कि अदालत से न्याय मिलने में काफी देरी हो रही है और न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है। ऐसे में हिंदुओं के मामलों का निस्तारण इस कोर्ट में किया जाएगा।
यह मामला चौकाने वाला इस वजह से भी है, क्योंकि हिंदू कोर्ट के गठन के साथ ही कथित रूप से इस कोर्ट की पहली महिला जज की भी नियुक्ति कर दी गई है। मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर विषय मानते हुए योगी सरकार से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने मामले सुनवाई शुरू की तो याचिका में हिंदू कोर्ट के गठन को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दिया गया। हालांकि मामले में हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स को साक्ष्य के तौर पर स्वीकार नहीं किया है। लेकिन, मामले को संज्ञान में लेते हुए तथा कथित रूप से हिंदू कोर्ट की पहली जज पूजा शकुन पाण्डेय व डीएम मेरठ को इस प्रकरण में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही इनका पक्ष रखने के लिये नोटिस जारी किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितम्बर को होगी। सुनवाई पर राज्य सरकार को भी अपना जवाब दाखिल करना होगा।