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नेताओं के सरकारी धन के दुरुपयोग पर अब हाईकोर्ट करेगा फैसला, याचिका दायर

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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में सरकारी बंगले पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के कब्जे पर मचे सियासी बवंडर के थोड़ा शांत होते ही ऐसा ही प्रकरण सुर्खियों में आ गया है। सरकारी बंगले के बाद अब राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। दरअसल राजनैतिक कार्यालयों के विस्तार को लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। जिसमें कई बड़े राजनैतिक दलों के पार्टी कार्यालय का जिक्र करते हुए इनके विस्तार में सरकारी धन के दुरुपयोग समेत कई आरोप लगाए गए हैं। अब मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। याचिका को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है अब इस पर 17 सितंबर को सुनवाई होनी है। फिलहाल यह तय है कि सुनवाई से उन सभी राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ेंगी जिन्होंने सरकारी बंगले को अपने कार्यालय विस्तार में उपयोग किया है या सरकारी धन का उपयोग ऐसे कार्य में लाया गया है।

High Court will decide on the misuse of government funds

क्या है मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एडवोकेट मोतीलाल यादव द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई है। जनहित याचिका भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नाम इंगित करते हुए इनके प्रदेश कार्यालय के विस्तार में सरकारी बंगलों को विलय करने व विलय प्रक्रिया में सरकारी धन का उपयोग करने का जिक्र है। याचिका में सरकारी धन के उपयोग व सरकारी बंगले को कार्यालय में विलय करने के साक्ष्य भी कोर्ट को सौपे गए हैं । जिसके आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और इस पर 17 सितंबर को पहली सुनवाई होगी। फिलहाल लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच हाईकोर्ट में पार्टी के कार्यालयों का मामला जाने से सभी दलों की मुश्किलें बढ़ना तय है। बहुत संभावना है कि इस मामले को भी राजनीतिक दल एक दूसरे के विरुद्ध राजनीतिक मुद्दा भी बनाने का प्रयास करेंगे।

होगी रिकवरी
वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्य नारायण मिश्र ने मोतीलाल यादव की इस याचिका पर कानूनी पहलू की जानकारी देते हुए बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की जब सुनवाई शुरू होगी तो संबंधित राजनीतिक दलों को नोटिस जारी की जाएगी। साथ ही उनसे इस पर जवाब मांगा जाएगा । राजनीतिक दलों को राज्य संपत्ति विभाग के नियमों के अनुरूप ही जवाब देना होगा और उल्लंघन की दशा में हाईकोर्ट राजनैतिक दलों के विरुद्ध आदेश सुना सकती है। यह तय है कि अगर मामले की सुनवाई आगे बढ़ी और आरोप साबित हुये तो मामले में सरकारी धन की रिकवरी का भी आदेश जारी होगा और अगर बंगलों के विलय के साक्ष्य भी साबित होते हैं तो उस ध्वस्तीकरण के साथ कार्रवाई होगी।

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English summary
Allahabad High Court will decide on the misuse of government funds
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