गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड, हाई कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
ओम प्रकाश पाक्सो कोर्ट में तैनात हैं और 30अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के नेता और रेप के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत देने वाले अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र को हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने सस्पेंड कर दिया है.कोर्ट ने उनके अधिकार भी सीज कर दिए गए हैं।
ओम प्रकाश पाक्सो कोर्ट में तैनात हैं और 30अप्रैल को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं.बीते शुक्रवार को गायत्री प्रजापति को जमानत देने के फैसले के खिलाफ सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही एडीजे ओम प्रकाश मिश्र के खिलाफ कार्रवाई के संकेत मिल गए थे. ओम प्रकाश ने जिस आधार पर गायत्री प्रजापति को जमानत दिया थे, उससे हाईकोर्ट की उनकी मंशा पर संदेह था.
इसके बाद हाईकोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले की कोर्ट ने उनके आचरण पर गंभीर टिप्पणियां की थीं. ऐसे में सुनवाई खत्म होने के तत्काल बाद चीफ जस्टिस भोंसले ने जस्टिस ओम प्रकाश मिश्र को सस्पेंड करने का आदेश दे दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक डीके सिंह ने इस बात की पुष्टि भी की.
गौरतलब है कि गायत्री प्रजापति की जमानत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को रोक लगा दी. इस मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.
बता दें कि अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर 2014 में एक महिला से बलात्कार करने और उसकी बेटी से दुराचार की कोशिश के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। 17 फरवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रजापति और 6 अन्य लोगों पर मुकदमा दायर किया गया था।
पिछले
महीने
की
15
तारीख
को
पुलिस
ने
प्रजापति
को
गिरफ्तार
करके
जेल
भेजा
था।
प्रजापति
को
इस
दौरान
लखनऊ
के
अशियाना
इलाके
से
गिरफ्तार
किया
गया
था।
प्रजापति
ने
गिरफ्तार
होने
के
बाद
कहा
था
कि
अगर
पुलिस
सच्चाई
सामने
लाना
चाहती
है
तो
उनका
और
कथित
पीड़िता
मां-बेटी
का
नारको
टेस्ट
करवाया
जाना
चाहिए।
बता
दें
कि
इसके
पहले
पूर्व
मंत्री
प्रजापति
अवैध
खनन
के
मामले
में
भी
फंस
चुके
हैं।
इस
दौरान
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
और
सपा
अध्यक्ष
अखिलेश
यादव
ने
प्रजापति
को
पिछले
साल
सितंबर
में
मंत्रिमंडल
से
बर्खास्त
कर
दिया
था
लेकिन
मुलायम
सिंह
यादव
के
कहने
पर
उन्हें
दोबारा
मंत्री
बना
दिया
गया
था।
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