अपनी सुविधाओं से किसी भी कान्वेंट स्कूल को फेल कर देगा यूपी का ये सरकारी प्राइमरी स्कूल
सहारनपुर। सहारनपुर के उग्राहू का ये सरकारी स्कूल क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल को भी पीछे छोड़ चुका है। टीचिंग का तरीका हो या स्कूल का माहौल दोनों ही पैरामीटर पर ये स्कूल बेहतर काम कर रहा है। प्राइमरी स्कूलों में कक्षा पांच तक की पढ़ाई होती है, जिस कारण कक्षाओं की संख्या भी पांच रखी जाती है। इस मॉडल स्कूल में कक्षाओं की संख्या दस है। इसकी वजह ये है कि हर क्लास में दो दो सेक्शन बनाए गए हैं, ताकि बच्चों पर ज्यादा फोकस किया जा सके। स्कूल के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही इस स्कूल का दौरा करेंगे।
सरकारी स्कूल ऐसा भी?
सहारनपुर
जनपद
में
बेसिक
शिक्षा
विभाग
की
ओर
से
1355
प्राइमरी
और
576
जूनियर
हाई
स्कूलों
का
संचालन
किया
जाता
है।
प्राइमरी
और
जूनियर
हाई
स्कूलों
में
करीब
एक
लाख
62
हजार
बच्चे
पंजीकृत
हैं।
बेसिक
शिक्षा
विभाग
की
ओर
से
संचालित
किए
जाने
वाले
स्कूलों
में
अधिकांश
स्कूल
तो
ऐसे
हैं,
जिनके
पास
अपनी
छत
भी
नहीं
है।
ऐसे
स्कूलों
में
या
तो
दान
दिए
गए
भवन
में
पढ़ाई
होती
है
या
किराए
के
मकान
में
लेकिन
सहारनपुर
जनपद
में
एकमात्र
ऐसा
स्कूल
भी
है,
जो
प्राथमिक
है
लेकिन
शिक्षा
और
भवन
के
मामले
में
कान्वेंट
और
अंग्रेजी
माध्यम
के
स्कूलों
को
भी
पीछे
छोड़
रहा
है,
लोकिन
सहारनपुर
के
इस
स्कूल
को
देखकर
आप
चौंक
जाएंगे।
इस
स्कूल
के
भवन
को
देखकर
आप
एक
बार
ज़रूर
कहेंगे
कि
क्या
कोई
प्राइमरी
स्कूल
ऐसा
हो
सकता
है?
स्कूल में आते हैं 400 बच्चे
गांव उग्राहू की कुल आबादी करीब साढ़े आठ हज़ार है। इस गांव में साक्षरता दर भी सामान्य ही है। गांव में स्थित इस प्राथमिक विद्यालय में करीब 400 बच्चे पंजीकृत हैं और इतने ही शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। कक्षा पांच तक के इस स्कूल में कक्षों की कुल संख्या 10 है। प्रत्येक क्लास के दो-दो सेक्सशन बनाए गए हैं।
प्रधान अध्यापक अर्चना यादव समेत कुल पांच शिक्षक हैं, जो बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराते हैं। लेकिन दुख की बात ये है कि सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से 400 बच्चों पर केवल पांच ही शिक्षक दिए गए हैं। जनपद के इस अकेले स्कूल में बायोमैट्रिक हाजरी लगती है, ताकि शिक्षक रोज़ाना समय पर स्कूल आएं।
इस स्कूल की दशा और दिशा सुधारने में यहां की ग्राम प्रधान श्रीमती राजबाला का अहम रोल रहा है। वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव में श्रीमती राजबाला ग्राम प्रधान चुनी गई थी। ग्राम प्रधान की शपथ लेने के बाद श्रीमती राजबाला और उनके प्रतिनिधि बेटे अरूण प्रताप ने एक संकल्प लिया था कि गांव के प्राइमरी स्कूल को ऐसा स्कूल बनाना है, जो मॉडल तो हो ही, साथ ही उसमें अंग्रेजी माध्यम जैसे स्कूलों जैसी सुविधा के साथ-साथ गांव के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले।
20 लाख रुपए किए जा चुके हैं खर्च
अपने इस संकल्प पर ग्राम प्रधान राजबाला और उनके बेटे अरूण प्रताप ने काम करना शुरू किया तो वह फलीभूत भी होता नज़र आया। सरकार की ओर से मिलने वाली ग्राम पंचायत निधि से स्कूल का विकास किया गया। इस स्कूल को कान्वेंट स्कूल बनाने में करीब 20 लाख रूपये का खर्चा आ चुका है और अभी निर्माण कार्य जारी है।
मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
ग्राम प्रधान श्रीमती राजबाला बताती हैं कि अच्छी शिक्षा ही घर और समाज की दशा व दिशा को सुधार सकती है। इसी पर उन्होंने काम करना भी शुरू किया। उन्होंने बताया कि इस स्कूल में न केवल उनके गांव उग्राहू बल्कि आसपास के स्कूलों के बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही स्कूल में स्मार्ट कलास और प्ले कलास का संचालन किए जाने की भी योजना है और इस योजना पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मदद से कार्य शुरू किया जा रहा है। ग्राम प्रधान ने सरकार द्वारा चलाये गये स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत दस हज़ार की आबादी की पंयायत को सबसे कम समय में ओडीएफ कराया। जिसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने 2 अक्टूबर 2017 को प्रधान श्रीमति राजबाला को लखनऊ में सम्मानित किया था।
स्कूल में आने वाले प्रत्येक बच्चे को ग्राम पंचायत की ओर से पहचान पत्र प्रदान किए गए हैं और बच्चों की ड्रेस साफ सुथरी हो, इस पर भी ध्यान दिया जाता है। इस स्कूल का भ्रमण करने के बाद बच्चों के लिए बेहतरीन फर्नीचर, शिक्षाकों व आगंतुकों के लिए भी फर्नीचर की अच्छी व्यवस्था है। स्कूल और और स्कूल के कक्षों में गंदगी न फैले, इसके लिए जगह जगह डस्टबीन रखे गए हैं। स्कूल परिसर के आंगन और कक्षों में मार्बल के पत्थर लगाए गए हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौनों के साथ-साथ झूले आदि भी लगे हुए हैं।
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