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2 लाख के लिए बेटियां भर रहीं हैं फॉर्म, सरकार ने कहा- ऐसी तो है ही नहीं कोई स्कीम

वहीं जिला प्रशासन से लेकर बीजेपी की विंग इसे फ्रॉड बता रही है। दोनों ही ओर से बताया गया है कि इस बारे में शासना की ओर से कोई गाइड लाइन नहीं आई है। तो बैंकों में इस फॉर्म को भरने की भीड़ लगी हुई है।

By Gaurav Dwivedi
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सुल्तानपुर। बीजेपी नेता वरुण गांधी के संसदीय क्षेत्र में खुद उनकी ही पार्टी के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' नारे को स्कीम का रूप दिए जानें का मामला सामने आया है। बकायदा स्कीम के तहत एक फॉर्म मार्केट में बेंचा जा रहा है, बेटियों को बताया गया है कि सरकार उन्हें दो लाख रुपए देगी। इस खबर को सुनने के बाद से पोस्ट ऑफिस में हज़ारों बेटियों ने फॉर्म भर डाले। वहीं जिला प्रशासन से लेकर बीजेपी की विंग इसे फ्रॉड बता रही है। दोनों ही ओर से बताया गया है कि इस बारे में शासना की ओर से कोई गाइड लाइन नहीं आई है। इसके बाद बड़ा सवाल ये है की आखिर इतना बड़ा फ्रॉड किस आधार पर किया जा सका।

Government denies that Scheme for which Girls fill up forms

OneIndia ने की पड़ताल तो ये बातें आईं सामने...

OneIndia की टीम हेड पोस्ट ऑफिस पहुंची, सैकड़ों से ज्यादा की संख्या में बेटियां फॉर्म भर रही थीं। टीम ने फॉर्म भर्ती हुईं शिल्पी से सवाल किया कि आप ये फॉर्म क्यों भर रहीं हैं? जवाब मिला सरकार चाहती है बेटियां पढ़ें इसलिए वो 2 लाख रुपए दे रही है।

Government denies that Scheme for which Girls fill up forms

किसने आपको बताया कि ऐसी स्कीम आई है?

जवाब मिला बहुत सारी फ्रैंड्स फॉर्म भर रही थीं इसलिए मैं भी भर रही हूं। स्कूल में भी ये कहा गया है कि ऐसा फॉर्म मार्केट में आया है जिसे आप सब भरें।

यहीं पर फॉर्म भर्ती हुई साहिबा बानो मिल गईं, उनसे भी मालूम किया गया कि आप क्यों फॉर्म भर रहीं हैं?

उन्होंने जवाब दिया कि भाई ने कहीं सुना था कि फॉर्म भरा जा रहा है, आगे पढ़ने के लिए पैसे मिलेंगे इसलिए भर रही हूं।

उसरा निवासी बताती हैं कि प्रधान ने बताया कि सरकार 8 साल से 32 साल की लड़कियों को पढ़ाई के लिए पैसे दे रही है। इसलिए वो फॉर्म भरने आई हैं।

पूछा गया फॉर्म आपको कहां से मिला?

जवाब मिला पोस्ट ऑफिस के बाहर फोटो स्टेट्स की दुकानों पर उपलब्ध है।

Government denies that Scheme for which Girls fill up forms


सरकार को बदनाम करने की साजिश: बीजेपी

इस बाबत बीजेपी 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' विंग की प्रभारी पूजा कसौधन से मुलाकात कर बातचीत की गई तो पता चला कि सरकार ने ऐसी किसी स्कीम को लागू नहीं किया है? उन्होंने जवाब में कहा कि ऐसी कोई भी स्कीम सरकार की ओर से नहीं आई है। जब उन्हें बताया गया कि पोस्ट ऑफिस में इस तरह बेटियों की भीड़ लगी है और फॉर्म भरे जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि ये सरकार को बदनाम करने की साजिश है।

पोस्ट ऑफिस कर्मचारी ने बताया अब तक हजारों फॉर्म दिल्ली के लिए पोस्ट हो चुके हैं

वहीं पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी ने बताया कि पिछले एक पखवाड़े से यहां बेटियों की लंबी कतारें लग रही हैं, ये सभी बाहर दुकानों से फार्म खरीदतीं हैं, उसको भरने के बाद दिल्ली के एड्रेस पर बाई स्पीड पोस्ट या रजिस्ट्री भेजती हैं। कर्मचारी ने बताया कि स्पीड पोस्ट का शुल्क 41 रुपए है और रजिस्ट्री का शुल्क 27 रुपए। कर्मचारी ने बताया कि अब तक कई हजार फॉर्म भेजे जा चुके हैं। जिनमें से कोई फॉर्म वापस लौट के भी नहीं आए हैं। जब कर्मचारी से ये पूछा गया कि इतनी बड़ी संख्या में फॉर्म कैसे भरे गए तो उसने बताया कि दरअसल जमा होने वाले फॉर्म में कोई शुल्क नहीं लग रहा है।

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डीएम बोले मंत्री के फोन से मिली थी सूचना

उधर जब इस मामले में डीएम हरेंद्र वीर सिंह से बातचीत किया गया तो उन्होंने कहा कि हां इस मामले में उनके पास समाज कल्याण मंत्री का फोन आया था कि ऐसे फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, जिसके बाद हमने DIOS से पूछा था। उन्होंने बताया था कि हमारे यहां ऐसी कोई योजना संचालित नहीं है और न ही कोई शासन का निर्देश है। डीएम ने कहा कि अब मैं देखूंगा की कौन गुमराह कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

फ्रॉड पर सवाल दर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम और सवाल-जवाब के बाद कई सारे सवालिया प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। जैसे की 15 दिनों से ये फर्जीवाड़ा चल रहा है और शहर में रहने वाली 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' विंग की प्रभारी को इसकी खबर तक नहीं लगी। फॉर्म पर प्रधान की मुहर लग रही है, आखिर प्रधानों ने मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों से संपर्क साध सच्चाई का पता क्यों नहीं लगाया? हैरत की बात तो ये है कि उस मामले की जानकारी डीएम को सरकार के मंत्री फोन कर देते हैं। तब मामला उनके संज्ञान में आता है।

Government denies that Scheme for which Girls fill up forms

हालांकि पोस्ट ऑफिस और वो दुकानें जहां से फॉर्म बेंचे जा रहें हैं इन सबकी दूरी डीएम ऑफिस से यही कोई 10 से 15 कदम की है। फिर कैसे उन्हें जानकारी नहीं मिल सकी? बड़ा सवाल है कि जब जिले के मुखिया को नाक के नीचे हो रहे फर्जीवाड़े का ज्ञान नहीं तो जिले के अंदर क्या एक्टिविटी है! उसकी खबर तो उनको होने से रही। अंत में दिमाग में कौंधने वाला सवाल ये कि 15 दिनों से दिल्ली के जिस एड्रेस पर फॉर्म डाक के जरिए जा रहे हैं और लौटकर नहीं आ रहे जबकि स्कीम फर्जी है तो ये तय है कि दिल्ली में कुछ ऐसे रैकेटियर बैठे हुए हैं जिन्होंने अपने फ्रॉड के तार यहां तक जोड़ रखे हैं। अगर अधिकारी और बीजेपी के लोग इस पर वर्क करें तो निश्चित ही एक बड़े स्कैम का पर्दाफाश होगा।

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English summary
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