6 दिन में ही सरकार ने बदला फैसला, यूनिवर्सिटीज में जींस-टीशर्ट पर छूट
सरकार के नए आदेश में कहा गया है की प्राध्यापकों की भावना को देखते हुए शालीन वेशभूषा में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित वाक्यांश को विलोपित किया जाता है। लेकिन पान, गुटखा खाने पर रोक यथावत रहेगी।
इलाहाबाद। सूबे के राजकीय व अशासकीय महाविद्यालयों में जींस-टीशर्ट पर 6 दिन पहले लगाया गया प्रतिबंध वापस ले लिया गया है। महाविद्यालयों में अब शिक्षक मनमर्जी के कपड़े पहनकर आ सकते हैं। मात्र छह दिन पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर ये फैसला सुनाया था।
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OneIndia ने पड़ताल की तो पता चला की विभाग नियमावली ही इस फैसले के आड़े आई। दरअसल महाविद्यालय की नियमावली कहती है की छात्र-छात्रओं का महाविद्यालय में ड्रेस कोड नहीं होता है। ऐसे में जब छात्र छात्राओं पर प्रतिबंध नहीं है तो उसे शिक्षकों पर थोपना कहीं से भी सही नहीं होगा। शिक्षकों के कड़े ऐतराज पर विभाग के वरिष्ठ सलाहकारों ने योगी सरकार से इस बावत नियमावली पेश की तो प्रतिबंध का फैसला वापस ले लिया गया।
किस पर रहेगा प्रतिबंध
सरकार के नए आदेश में कहा गया है की प्राध्यापकों की भावना को देखते हुए शालीन वेशभूषा में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित वाक्यांश को विलोपित किया जाता है। लेकिन पान, गुटखा खाने और धूम्रपान करने पर रोक यथावत रहेगी। इसका पालन सभी को अनिवार्य रूप से करना होगा। अब शिक्षक फिर से जींस-टीशर्ट पहन कर महाविद्यालय आ सकेंगे।
क्या था प्रतिबंध
30 मार्च को संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. उर्मिला सिंह ने शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. आरपी सिंह की ओर से सभी राजकीय व अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को पत्र भेजा था। पत्र में कहा गया था की महाविद्यालय परिसर में पान, गुटखा, तंबाकू व धूम्रपान आदि के सेवन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। इसी के साथ शालीन वेशभूषा में परिसर में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित किए जाने का निर्देश दिया जाता है।
अब आया स्पष्टीकरण
इस आदेश के बाद खलबली मची तो शिक्षकों ने विरोध जताया। मामला उच्चाधिकारी व सलाहकार तक पहुंचा तो नियमावली भी खंगाली गई। जिसके बाद फैसला बदलते हुए संयुक्त निदेशक ने स्पष्टीकरण दिया की प्राध्यापकों की भावना को देखते हुए शालीन वेशभूषा में आने व जींस-टीशर्ट का प्रयोग वर्जित शब्द को हटा लिया गया।
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