Good News: यूपी में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य सेवकों को मिलेगी सरकारी नौकरी
ऐसे में वर्षों से कार्यरत स्वास्थ्य सेवकों को नियमित किए जाने की बजाय सरकार शैक्षिक योग्यता का आधार बनाकर उन्हें नियमितीकरण से वंचित नहीं कर सकती।
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य सेवकों के लिए बड़ी खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी नियमित नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो स्वास्थ्य सेवकों को नियमित करे। यानी अब स्वास्थ्य सेवकों को सरकारी नौकरी दिए जाने की सारी अड़चन खत्म हो गई है। उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य सेवकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है। इस आदेश से सैकडों स्वास्थ्य सेवकों को सीधे फायदा मिलेगा और इन्हें 2016 की सीधी भर्ती में शामिल कर नियमित कर दिया जाएगा।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि यूपी सरकार एनआरएचएम के तहत शैक्षिक योग्यता के आधार पर सीधी भर्ती कर रही है। इस भर्ती को लेकर 141 स्वास्थ्य सेवकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि स्वास्थ्य सेवकों को कई गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया है और याचिकाकर्ता विशेष प्रशिक्षित श्रेणी की योग्यता रखते हैं। ऐसे में वर्षों से कार्यरत स्वास्थ्य सेवकों को नियमित किए जाने की बजाय सरकार शैक्षिक योग्यता का आधार बनाकर उन्हें नियमितीकरण से वंचित नहीं कर सकती। स्वास्थ्य सेवकों ने खुद को नियमित किए जाने की मांग की थी।
फैसले से सेवक खुश
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएसआर मौर्या ने स्वास्थ्य सेवकों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि शैक्षणिक आधार पर नियुक्ति ठीक नहीं है, बल्कि नियमित नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होनी चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद स्वास्थ्य सेवकों में जहां जश्न है, वहीं चुनावी माहौल को भुनाने के लिए सरकार की ओर से भी कोई आपत्ति नहीं की गई है। फिलहाल अब स्वास्थ्य सेवकों को बैचवार वरिष्ठता के आधार पर नियमित किया जाएगा।
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