देवरिया शेल्टर होम कांड: जानें कैसे समाज सेवा के नाम पर गिरिजा देवी ने कमाई अकूत संपत्ति
देवरिया। शेल्टर होम कांड का पर्दाफाश होने के बाद परत दर परत कई खुलासे हो रहे हैं। मां विन्ध्यवासिनी देवी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान की अध्यक्ष गिरिजा त्रिपाठी ने समाज सेवा के नाम पर करोड़ों की अकूत सम्पत्ति इकट्ठा कर ली है। करीब ढाई दशक से संस्था चला रही गिरजा ने डेढ़ दशक में करोड़ों रुपये की संपत्ति खड़ी कर ली है। शहर से बाहर रजला में करीब 10 बिस्वा के हाते में बना दो मंजिला मकान और उसके गैरेज में चमचमाती खड़ी गाड़ी समाज सेवा के नाम पर की गई कमाई का सुबूत दे रही है।
साक्षरता
प्रोजेक्ट
से
शुरू
किया
कार्य
गिरिजा
की
संस्था
ने
भटनी,
सलेमपुर
व
भागलपुर
क्षेत्र
से
पहले
छोटे-छोटे
सिलाई
कढ़ाई,
साक्षरता
आदि
के
प्रोजेक्ट
का
कार्य
किया।
करीब
डेढ़
दशक
पहले
संस्थान
को
महिला
अल्पावास
गृह
चलाने
की
जिम्मेदारी
मिली।
इसके
बाद
उनकी
संस्था
को
कार्यक्रम
और
प्रोजेक्ट
मिलने
के
साथ
ही
उनकी
संपत्ति
भी
बढ़ती
गई।
अल्पावास
गृह
के
बाद
संस्था
को
बाल
गृह
बालिका,
शिशु
गृह,
दत्तक
आदि
सेंटर
तथा
गोरखपुर
व
देवरिया
में
वृद्धाश्रम
चलाने
की
भी
जिम्मेदारी
मिली।
गिरजा देवी ने खड़ी की करोड़ों की अकूत संपत्ति
गिरिजा ने रजला में करीब 10 बिस्वा जमीन खरीद लिया। जिसकी चाहदीवारी कर उसी में अल्पावास गृह का भी संचालन होता रहा है। इसी परिसर में गिरिजा ने कई कमरों का दो मंजिला मकान बनवाया है। बाकी जमीन खाली है। वर्तमान में इसकी कीमत करोड़ में बताई जा रही है। संस्था अध्यक्ष पुरानी अंबेसडर कार से चलती हैं, लेकिन उनके हाते के गैराज में चमचमाती कारें खड़ी रहती हैं। इसके अलावा गिरिजा ने उसरा बाजार में भी वृद्धाश्रम खोलने को 10 कट्ठा जमीन कुछ समय पहले ली थी। इस तरह गरीबी से निकली गिरिजा ने समाज सेवा के नाम पर करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली है।
कार्यालय
व
कमरों
में
नहीं
लगाया
था
कैमरा
संचालिका
गिरिजा
त्रिपाठी
ने
अपनी
काली
करतूत
को
छिपाने
के
लिए
ही
कार्यालय
और
कमरों
में
सीसीटीवी
कैमरा
नहीं
लगवाया
था।
जिससे
उनके
गलत
कार्यों
की
कभी
जांच
हो
तो
वह
पकड़ी
न
जाए।
डीएम
और
एसपी
की
जांच
में
स्टेशन
रोड
स्थित
बालिका
गृह
और
रजला
स्थित
वृद्धा
आश्रम
में
सीसी
टीवी
कैमरा
नहीं
मिला।
1993
में
संस्था
का
हुआ
था
रजिस्ट्रेशन
26
फरवरी
1993
में
मां
विंधवासिनी
महिला
प्रशिक्षण
एवं
सेवा
संस्थान
का
रजिस्ट्रेशन
गोरखपुर
चिट
फंड
में
हुआ
था।
उसके
बाद
संस्था
ने
अपने
कार्यो
को
शुरू
कर
दिया।
इसी
बीच
शिशु
गृह,
महिला
गृह,
वृद्धा
आश्रम
समेत
अन्य
सरकारी
योजनाओं
से
करोड़ों
रुपये
की
कमाई
की।
इसके
बावजूद
कभी
भी
अधिकारियों
ने
इसकी
जांच
नहीं
की।