कांग्रेस में पड़ गई फूट? सगे भाई के खिलाफ ही चुनाव में उतरने वाले पूर्व मंत्री ने बताईं यह बातें
अजमेर। राजस्थान चुनाव के मतदान में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में कुछ नेता और मंत्री अपने ही दल की खाई चौड़ी कर रहे हैं। अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में अपने ही सगे भाई के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री ललित भाटी चर्चा में हैं। भाटी ने अंतिम समय पर अपना नामांकन वापस ले लिया है। उनकी मानें तो कांग्रेस में फूट पड़ गई है। इस पर उनका बयान भी आया है।
भाटी
ने
उजागर
की
कांग्रेस
की
फूट?
संवाद
सूत्रों
के
अनुसार,
भाटी
ने
अपने
नाम
वापसी
की
घोषणा
के
साथ
ही
अशोक
गहलोत
पर
कई
बातें
कह
दीं
हैं।
उनका
कहना
है
कि
पूर्व
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत
के
कहने
पर
ही
नामांकन
वापस
लिया
है।
इससे
साफ
जाहिर
होता
है
कि
उन्होंने
प्रदेशाध्यक्ष
सचिन
पायलट
की
बात
को
नकारा।
वहीं
इससे
पहले
की
बात
करें
तो
भाटी
ने
कड़े
शब्दों
में
पार्टी
के
आला
नेताओं
पर
टिकट
वितरण
को
लेकर
कड़ा
प्रहार
भी
किया
था।
वहीं
अब
गहलोत
के
किसी
प्रलोभन
के
चलते
उन्होंने
चुनाव
नहीं
लड़ने
का
फैसला
ले
लिया।
किसने
भाटी
को
पार्टी
का
सच्चा
सिपाही
बताया?
कांग्रेस
प्रत्याशी
हेमंत
भाटी
के
समर्थन
में
जब
यह
नामांकन
फॉर्म
वापस
लिया
गया,
वह
स्वयं
भी
वहां
मौजूद
नहीं
थे।
यह
बात
भी
भाटी
को
नागवार
सी
गुजरी,
जो
उनका
चेहरा
भली
भांति
बयां
कर
रहा
था।
वहीं,
नामांकन
वापसी
पर
कांग्रेस
के
पर्यवेक्षक
ईमरान
किदवई
ने
भाटी
को
पार्टी
का
सच्चा
सिपाही
करार
दिया।
इस
दौरान
शहर
कांग्रेस
अध्यक्ष
विजय
जैन,
कांग्रेसी
नेता
सौरभ
बजाड़
सहित
अन्य
मौजूद
थे।
भाटी
ने
इस
दौरान
एक
बार
फिर
दिखा
दिया
कि
कांग्रेस
में
फूट
है।
भाई
के
खिलाफ
ठोक
दी
थी
ताल
अजमेर
दक्षिण
विधानसभा
क्षेत्र
के
कांग्रेस
प्रत्याशी
हेमंत
भाटी
के
खिलाफ
उनके
ही
सगे
भाई
पूर्व
मंत्री
व
वरिष्ठ
कांग्रेसी
नेता
ललित
भाटी
ने
ताल
ठोक
दी
थी।
ललित
भाटी
ने
नामांकन
दाखिल
करके
समर्थकों
के
साथ
चुनाव
लड़ने
की
रणनीति
भी
बनाना
शुरू
किया
था।
इसी
दौरान
कांग्रेसी
नेताओं
ने
उनसे
सम्पर्क
करके
नामांकन
वापसी
के
लिए
समझाईश
की।
इसके
चलते
भाटी
मान
भी
गए।
भाटी
ने
अंतिम
समय
में
दक्षिण
विधानसभा
की
रिटर्निंग
अधिकारी
अंजली
राजोरिया
के
समक्ष
नाम
वापसी
की
बात
कही
और
अपना
नामांकन
वापस
ले
लिया।
पढ़ें: मप्र में सिद्धू बोले- कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता, कांग्रेस खुद को हराती है; लगे ठहाके
होगा
भित्तरघात!
भले
ही
पूर्व
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत
के
कहने
पर
ललित
भाटी
ने
नामांकन
ले
लिया
हो
लेकिन
जिस
तरह
दोनों
भाईयों
में
पारिवारिक
रंजिश
चली
आ
रही
है।
उसे
देखते
हुए
इससे
नकारा
नहीं
जा
सकता
कि
पार्टी
को
भित्तघात
का
सामना
करना
पड़
सकता
है।
हालांकि
अभी
ललित
भाटी
कांग्रेस
पार्टी
को
जितवाने
के
दावे
कर
रहे
हैं
लेकिन
यह
दावे
कितने
सही
है
यह
तो
आने
वाला
वक्त
ही
बता
सकेगा।
पढ़ें: क्या इस रणनीति के तहत बदमाशों के पैरों में गोलियां मार रही है UP पुलिस? कानपुर में हुए 11 एनकाउंटर
सिंवासिया
अडिग
कांग्रेस
के
नेताओं
व
प्रत्याशी
हेमंत
भाटी
ने
भी
कांग्रेस
के
दूसरे
बागी
डॉ
राकेश
सिंवासिया
को
भी
चुनावी
मैदान
से
हटाने
का
प्रयास
किया।
मान
मनोव्वल
व
लुभावने
वादे
भी
किए
गए
लेकिन
सिंवासिया
ने
चुनाव
लड़ने
की
दो
टूक
बात
कही।
सिंवासिया
ने
बताया
कि
वह
आम
मतदाताओं
के
कहने
पर
खड़े
हुए
हैं।
ऐसे
में
उनके
साथ
किसी
भी
सूरत
में
विश्वासघात
नहीं
कर
सकते।
सिंवासिया
ने
यह
भी
कहा
कि
हर
क्षेत्र
से
उन्हें
पूरा
बहुमत
मिल
रहा
है।
उनका
चुनाव
चिन्ह
सिंरीज
है
जो
कि
उनके
पेशे
से
जुड़ा
हुआ
ही
मिला
है।
सिंवासिया
अपनी
जीत
को
लेकर
काफी
आश्वस्त
नजर
आ
रहे
हैं।
इतना
आश्वस्त
तो
अनिता
भदेल
या
हेमंत
भाटी
भी
नहीं
है।
पढ़ें: उद्धव अयोध्या में नहीं कर पाएंगे कोई रैली, मंजूरी नहीं मिलने पर अब क्या होगा शिवसेना का स्टैंड?