पीएम नरेंद्र मोदी के क्षेत्र का पहला कैशलेस गांव, कार्ड से कर रहे लोग पेमेंट
मिसिरपुर गांंव के लोग कैशलेस सुविधा पाकर काफी उत्साहित हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा उनको कैशलेस पेमेंट की ट्रेनिंग दे रहा है।
वाराणसी। नोटबंदी के बाद मिसिरपुर गांव, वाराणसी का पहला कैशलेस गांव बन गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने यहां अब तक 21 दुकानों में स्वाइप मशीन (पीओएस) और 25 किसानों को एन्ड्रॉयड मोबाइल दिया है। इस गांव में करीब तीस हजार रुपये का रोजाना कैशलेश ट्रान्जेक्शन भी हो रहा है। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा ने गांव में एक सुविधा केंद्र और एक माइक्रो एटीएम भी दिया है। Read Also: जिनकी आंखें नहीं, उनको दुनिया 'देखने' लायक बना रहा वाराणसी का स्कूल
गांव के शॉप में स्वाइप मशीन की डिमांड
कैशलेस सिस्टम में 28 दुकानदारों ने स्वाइप मशीन के लिए आवेदन भी कर दिया है। बैंक के उप महाप्रबन्धक शशि भूषण का कहना है कि जल्दी ही बचे हुए लोगों को भी स्वाइप मशीन दे दी जाएगी। इस गांव में पान, किराना, सैलून, सब्जी, चूड़ी, बिंदी के छोटे दुकानदारों ने कैशलेस सिस्टम प्रणाली को अपना लिया है। 60 साल की बुजुर्ग महिला आशा जो पकौड़ी समोसा बेचती हैं, उसने स्वाइप मशीन के लिए फॉर्म भरा है, जो महज 150 से 200 रुपये ही रोजाना कमा पाती हैं।
'पकौड़ी बनाना सीख लिया, मशीन चलाना भी सीख लूंगी'
बुजुर्ग महिला आशा ने बताया, 'पकौड़ी की उनकी छोटी सी दुकान है। लोग उधार खाकर चले जाते है। जब स्वाइप मशीन लग जाएगा तो पहले कार्ड से पेमेन्ट लेकर ही पकौड़ी दूंगी । जब पकौड़ी बनाना सीख लिया तो मशीन चलना कौन सा मुश्किल काम है। हमारे प्रधानमंत्री इस उम्र में भ्रष्टाचार रोकने के लिए देश चला सकते हैं तो हम उनके इस नेक कदम में साथ चल कर बिना कैश के व्यापार क्यों नहीं कर सकते।' बैंक ने कैशलेस सिस्टम के लिए इंटरनेट की आवश्यकता को देखते हुए सुविधा केंद्र से ही फ्री वाई-फाई की व्यवस्था की है। यूजर और पासवर्ड, सुविधा केंद्र से आसानी से उन लोगों को दिया जा रहा है, जो कैशलेस सिस्टम से जुड़ना चाहते हैं।
कैशलेस पेमेंट के लिए ग्रामीणों का सन्देश
सब्जी और किराना सामान बेचनेवाले विजय कुमार पटेल ने बताया, 'हमारा दुकान अब ई-पेमेंट शॉप के नाम से जाना जाता हैं । दस रुपये की सब्जी भी हम स्वाइप मशीन से बेच रहे है। पहले झिझक होती थी पर अब हम मोदी जी के साथ हैं।' बर्तन विक्रेता अवधेश सेठ कहते हैं कि कैश की किल्लत के बाद दुकानदारी पर असर तो पड़ा था पर जब मशीन की सुविधा हो गयी तो कार्ड से पेमेंट लेने पर दुकानदारी अच्छी हो रही है। हमारे पीएम के विचारों के चलते हमारा गांव अब कैशलेश की कतार में वाराणसी जिले में सबसे आगे है।
टेलर जय प्रकाश का कहना है कि 8 तारीख को हुए नोटबंदी का असर मेरे व्यापार पर पड़ा था और ऑर्डर ठप हो चुके थे पर जब बैंक ने स्वाइप मशीन की सुविधा मुहैया करा दी तो अब आस-पास के गांवों से कपड़ों की सिलाई के खूब ऑर्डर आ रहे हैं। सैलून चलाने वाले नीरज ने बताया, 'मैं क्लास 4 तक पढ़ा हूं, मैंने भी स्वाइप मशीन के लिए अप्लाई किया है। मेरा बड़ा पार्लर तो नहीं है लेकिन सोच पीएम नरेंद्र मोदी से काफी मिलती जुलती है।'
पान की दूकान चलाने वाले महेश ने बताया कि जब से स्वाइप मशीन की सुविधा मुझे मिली है, कुछ लोग मजाक उड़ा रहे थे। हमने कहा कि हम बदल रहे है, आप भी समय रहते बदल जाओ। किसान रामचंदर ने बताया, 'किसान डेबिट कार्ड पर 2 साल के आसान किस्तों पर एन्ड्रॉयड मोबाइल मिला है जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा का डिजिटल ऐप डाउनलोड है। बैंक के लोगों ने प्रशिक्षित कर ई-वॉलेट, ई-बैंकिंग सिखाया, जिसने हमारी सोच को बदल दिया है। गांव की एक बहू बताती हैं कि संचार क्रांति की ये सबसे बड़ी पहल है और वे अन्य महिलाओं को कैशलेस सिस्टम समझा रही हैं।
इस गांव में परचून की दूकान से लेकर दर्जी और सब्जी की दुकानें भी कैशलेस हो गयी हैं, जिससे दुकानदार और ग्राहक दोनों खुश हैं। ग्रामीणों ने इस गांव को डिजिटल बनाने की ठानी है।
गांववालों को ऐसे मिली कैशलेस होने की ट्रेनिंग
BOB सुविधा केंद्र को चलाने वाले बैंक मित्र सुरेंद्र सिंह ने बताया, 'ग्रामीणों को एक हफ्ते में कैंप के माध्यम से मोटिवेट किया गया जहां लोगों को बुलाकर कैशलेस ट्रांजेक्शन का निशुल्क ट्रेनिंग भी दिया जाता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के उप महाप्रबन्धक शशि भूषण ने बताया कि इस गांव में लोगों को सुविधा केंद्रों के अलावा कैंप के माध्यम से कैशलेस प्रणाली की जानकारी दी जा रही है। अब तक 2500 लोगों के BOB में खाते खोले जा चुके हैं। 35 से 40 अकाउन्ट BOB के मिसिरपुर सुविधा केंद्र में रोजाना खोले जा रहे हैं। इसके अलावा अब तक 25 लोगों को किसान कार्ड के माध्यम से एंड्रॉयड फोन दिए गए हैं जिससे मेरा मोबाइल , मेरा बैंक, मेरा बटुवा स्किम को बढ़ावा मिलेगा।
BOB बैंक मैनेजर रामेश्वर शाह ने बताया कि गांव में बुजुर्ग कैशलेस सिस्टम को अपनाने में सबसे ज्यादा आगे आये हैं। 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग इसमें खासा रुचि दिखा रहे हैं। जिन लोगों ने स्वाइप मशीन के लिए अप्लाई किया था, उसमें ज्यादा लोगों की रिक्वारमेंट पूरी कर ली गयी हैं। अब कुछ ही लोग बचे हैं।
BOB के रीजनल मार्केटिंग मैनेजर राजन कुमार ने बताया कि 31 दिसम्बर के बाद माननीय प्रधानमंत्री जी के आदेश के बाद अब तक करीब 150 लोगों के किसान कार्ड को रुपे कार्ड में बदल दिया गया है और 75 लोगों के नए आवेदन लिए भी गए हैं। Read Also: हाई स्कूल के बच्चों ने JIO सिम से बना दिया डिजिटल लॉक, देखकर मुकेश अंबानी भी रह जाएंगे हैरान