'बाहुबली' का ये राज किसी ने नहीं बताया, कटप्पा के बाद अब आ रहा है नया कैरेक्टर
केवी विजेंद्र ने जब हमसे बात की तो इस राज से पर्दा उठा की कटप्पा विलेन लगते हुए भी कैसे इतना बड़ा हीरो बन पाया। जिसके चलते प्रभास यानि महेंद्र बाहुबली और अमरेंद्र बाहुबली के कैरेक्टर में जान आ सकी।
वाराणसी। पूरे विश्व में अपना परचम लहराने वाली और भारतीय फिल्म इतिहास में 1000 करोड़ का व्यापार करने वाली फिल्म बाहुबली ने अब तक सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी से लेकर इसके डायलॉग को पसंद किया गया तो कई लोग ये भी सोचते होंगे की इस कहानी को आखिर लिखा कैसे गया या फिर कहानी के इन पहलुओं पर ख्याल जाना महज कल्पना है कि कोई जरिया। OneIndia से खास बातचीत में इन्हीं पहलुओं के राज खोले खुद फिल्म के राइटर केवी विजेंद्र प्रसाद ने...
कटप्पा और बाहुबली के कैरेक्टर को जोड़ना रहा मुश्किल भरा
केवी विजेंद्र ने जब हमसे बात की तो इस राज से पर्दा उठा की कटप्पा विलेन लगते हुए भी कैसे इतना बड़ा हीरो बन पाया। जिसके चलते प्रभास यानि महेंद्र बाहुबली और अमरेंद्र बाहुबली के कैरेक्टर में जान आ सकी। फिलहाल केवी विजेंद्र प्रसाद अब रानी लक्ष्मीबाई के बॉयोपिक पर बन रही फिल्म 'मणिकर्णिका द क्वीन आफ झांसी' की पटकथा लिख रहे हैं और बाहुबली की तरह ही इस फिल्म का नाम एक खास मकसद से 'मणिकर्णिका' रखा है।
बाहुबली को लिखने का एक्सपीरियंस शेयर करते हुए केवी विजेंद्र ने कटप्पा के कैरेक्टर के जुड़े कई राज खोले। दरअसल इस फिल्म का स्क्रीन प्ले लिखते समय यही ध्यान रखना था की फिल्म का रहस्य दूसरे पार्ट खुले की कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? इस रहस्य को हमे आखिर तक लेकर जाना था। बाहुबली के साथ कटप्पा को जोड़ने का जरिया बना कैरेक्टर, हमे इस बात का ख्याल रखना था की जब ऑडियंस सिनेमा घरों से बाहार निकले तो लोगों की जुबान फर्स्ट पार्ट में क्लाइमेक्स पर हो। जो काफी कठिन था लेकिन बाहुबली के कैरेक्टर में बेटा, प्रेमी और जनता के लिए उनका हीरो ये सब दूसरे पार्ट से कनेक्ट करने का सफल रास्ता निकला।
कटप्पा का रोल निगेटिव नहीं पॉजिटिव रखना था
देखिए बाहुबली के दोनों सीक्वल में कटप्पा का निगेटिव कैरेक्टर होता पर कहानी में उसका किरदार सबसे दमदार है। क्योकि फिल्म में ये साफ बताने का हमने प्रयास किया की फिल्म में जो उस समय शासन काल में गद्दी पर रहता है, कट्प्पा उस का गुलाम है और राजमाता शिवगामिनी देवी के आदेश पर वो ऐसा काम करता है। कहानी लिखते समय ध्यान रखना था कि कट्प्पा को जनता विलेन न समझे, इसके लिए हमे बाहुबली से ज्यादा कटप्पा के करैक्टर का ख्याल रखना पड़ा। दरअसल इस फिल्म में बाहुबली से भी बड़ा कटप्पा का किरदार है। यानी एक तरीके से बाहुबली से बड़ा हीरो कटप्पा है।
फिल्म के स्क्रीन प्ले में उस शासन काल का रखना था ख्याल
बाहुबली-2 की कहानी को लिखने समय मुझे दो से तीन महीने लगे। बाहुबली लिखते समय दोनों पार्ट की कहानी लिख ली गई थी लेकिन सबसे इंपॉर्टेंट था कट्प्पा क्योंकि उनकी कहानी में दर्शकों को बोरियत ना हो इसलिए कहानी को अलग-अलग पार्ट में बांटा गया। यही वजह है की हमने उस समय के युद्ध को महत्वपूर्ण मानते हुए फिल्म को ज्यादा रीयल बनाने की कोशिश की।
बाहुबली की तरह 'मणिकर्णिका' भी करेगी कमाल
केवी विजेंद्र बताते हैं की उनकी दोनों फिल्मों में स्क्रीन प्ले का बहुत बड़ा अंतर है। दरअसल फिल्म बाहुबली की कहानी काल्पनिक है जबकि फिल्म 'मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ झांसी रानी लक्ष्मीबाई' बायोपिक। जिससे फिल्म में परिवर्तन की ज्यादा गुंजाइश नहीं है इसीलिए इसको लिखते समय और भी कड़ी मेहनत की गई है। यही वजह है हम ज्यादा समय लेकर इस फिल्म के लिए काम कर रहे हैं और ये फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर बाहुबली जैसा ही कमाल दिखएगी।
केवी विजेंद्र की बेटी का नाम भी है 'मणिकर्णिका'
बाहुबली जैसी ऐतिहासिक फिल्म की कहानी लिखने वाले केवी विजेन्द्र बताते हैं की दशकों पहले मेरा बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में आना हुआ था। जब मैं यहां आया तो बाबा विश्वनाथ, माता अन्नपूर्णा के दर्शन किए और अन्नपूर्णा का प्रसाद खाकर शाम को वाराणसी के घाटों पर घूमता रहा और मैं भोले की नगरी में ऐसा डूब गया कि सालों उनके इतिहास के बारे में जानकारी हासिल करता रहा। फिर एक साल के बाद जब मुझे बेटी हुई तो मैंने उसका नाम 'मणिकर्णिका' रख दिया। लेकिन इसे ही संयोग कहते हैं कि बाहुबली के सीक्वल को पूरा हो जाने के बाद अब जब मैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बायोपिक लिख रहा हूं।
क्यों हैं कंगना इस रोल के लिए बिलकुल फिट
उन्होंने बताया कि मेरे जीवन में मेरी बड़ी इच्छा थी की वीरांगना लक्ष्मीबाई पर जब भी फिल्म का निर्माण हो तो मुझे ही उसकी कहानी लिखने का मौका मिले। जिसके लिए मैंने कई किताबे उनके बारे में पढ़ी हैं और वाराणसी के उनके जन्म स्थली को भी जाकर देखा हालांकि कुछ खास हासिल नहीं हुआ पर किताबो में इस बात की जानकारी हुई की उनका जीवन कितना संघर्षों से भरा हुआ था। कंगना की अदायगी में ऐसी कई खूबियां हैं जो उन्हें रानी लक्ष्मीबाई के रोल में बिल्कुल फिट बैठाती हैं।
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