VIDEO: डिग्री फर्जी तो स्कूल फर्जी और फर्जी तो हैं ही मास्टर साहब
अटल बिहारी को सहायक अध्यापक, श्यामवीर को प्रधान अध्यापक और श्यामवीर की पत्नी सुमन को सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
मथुरा। मथुरा में सरकारी सहायता प्राप्त एक स्कूल में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस स्कूल के प्रंबध तंत्र, प्रिंसिपल और तत्कालीन बीएसए पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करने का आरोप है। स्थानीय लोगों की शिकायत पर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मामले की जांच कराई जा रही है।
शिक्षा विभाग में किस कदर फर्जीवाड़े के मामले सामने आते हैं ये किसी से छुपा नहीं है। ताजा मामला मथुरा का है जिसमें सरकार की आंखों में धूल झोंककर नियक्तियां की जाती हैं। इसका खुलाशा एक आरटीआई से सामने आया है। मामला मथुरा के महावन तहसील इलाके के गांव हयातपुर में बने सरकार से सहायता प्राप्त ग्राम विकास जूनियर हाई स्कूल नामक स्कूल का है। जहां फर्जी डिग्रियों के आधार पर तीन अवैध नियक्तियां की गई हैं। इस खुलासे में तीन फर्जी नियुक्तियों की बात कही गई है। जिसमें अटल बिहारी को सहायक अध्यापक, श्यामवीर को प्रधान अध्यापक और श्यामवीर की पत्नी सुमन को सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इन में जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए गए उन्हें जालसाजी कर तैयार किया गया है।
आरटीआई कार्यकर्त्ता की माने तो अटल बिहारी ने अपनी बीएड की जो डिग्री प्रस्तुत की है वो साल 2004 की है। जबकि आरटीआई द्वारा उस कॉलेज से जो जानकारी मांगी गई तो उसमें खुलासा हुआ कि 2004 में अटल बिहारी नाम के व्यक्ति को बीएड की कोई डिग्री नहीं दी गई। श्यामवीर की नियुक्ति में आरटीआई कार्यकर्त्ता ने बताया कि स्कूल के प्रधान अध्यापक श्यामवीर की नियुक्ति भी अवैध रूप से की गई है क्योंकि श्यामवीर ने अपना अनुभव सन् 1998 से दिखाया है जबकि उन्होंने बीएड सन् 2001 में किया है। इस तरह सन् 1998 को दर्शाया गया अनुभव प्रमाण पत्र अवैध है, इतना ही नहीं इन्हीं श्यामवीर ने अपनी पत्नी को अपने ही स्कूल में सहायक अध्यापिका के तौर पर नियुक्त करा दिया। श्यामवीर की पत्नी ने भी फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया और इस फर्जीवाड़े का खुलासा भी आरटीआई से हुआ।
शिकायतकर्त्ता का दावा है कि श्यामवीर की पत्नी सुमन ने भी बीएड की डिग्री जम्मू विश्व विद्यालय से वर्ष 2002 में ली थी लेकिन UGC से प्राप्त आरटीआई में बताया गया है कि जम्मू विश्वविद्यालय के पास 2007 से पहले बीएड कोर्स संचालित करने या प्रमाण पत्र जारी करने की मान्यता ही नहीं थी। शिकायतकर्ता का दावा है कि इन तीनों ने ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपनी नियक्ति कराई। इन सभी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल को दी जाने वाली सहायता राशि का घोटाला किया।
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