Exclusive: BJP को हराने के लिए सपा या बसपा किसी से भी गठबंधन को तैयार- ओमप्रकाश राजभर
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर से वनइंडिया की खास बातचीत...
नई दिल्ली, 16 जून: पांच राज्यों का चुनावी घमासान थमने के बाद अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। यूपी में विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म होने जा रहा है और ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसी सियासी माहौल में वन इंडिया हिंदी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर से खास बातचीत की है। बातचीत के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भाजपा ने उन्हें धोखा दिया और इसलिए अब वो कभी इस पार्टी के साथ गठजोड़ नहीं करेंगे। इसके अलावा राजभर ने यूपी की राजनीति से जुड़े दूसरे बड़े मुद्दों पर भी जवाब दिए।
सवाल:- आपने ऐलान किया है कि भाजपा से किसी तरह का गठजोड़ नहीं करेंगे, लेकिन चुनाव बाद अगर भाजपा के साथ जाने की कोई परिस्थिति बनी, तो क्या आपका रुख बदलेगा?
ओम प्रकाश राजभर:- यूपी में 403 सीटों वाली विधानसभा में हमारी पार्टी के महज 4 विधायक हैं, लेकिन इतनी कम संख्या के बावजदू हम लोगों ने सदन में हमेशा दलितों, पिछड़ों और वंचितों के हक के लिए आवाज उठाई। अगर मैं भाजपा में जी-हुजुरी करता, उनकी हां में हां में मिलाता तो पूरे पांच साल तक मंत्री रह सकता था। यहां तक कि अमित शाह ने मुझे डिप्टी सीएम का पद भी ऑफर किया। लेकिन, मुझे ना मंत्री पद चाहिए और ना ही डिप्टी सीएम का पद। मैं केवल अति-पिछड़ों के अधिकार की लड़ाई लड़ना चाहता हूं। भाजपा ने चुनाव से पहले अति-पिछड़ों के हित से जुड़ी हमारी हर मांग को पूरा करने का वादा किया, लेकिन चुनाव के बाद उनके सुर बदल गए। भाजपा ने 7 अगस्त 2017 को बने रोहिणी आयोग के मामले में लगातार तारीख पर तारीख दी। भारतीय जनता पार्टी अति-पिछड़ों का वोट तो चाहती है, लेकिन इस समाज की भलाई नहीं चाहती। ऐसे में भाजपा के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता।
सवाल:- आपने 9 दलों के साथ मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है। लेकिन प्रदेश में 21.5 फीसदी दलित और 19.5 फीसदी मुस्लिम वोट, जो बेहद निर्णायक है, उसे साधने की आपके पास क्या रणनीति है?
ओम प्रकाश राजभर:- उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव को लेकर हमने समान विचारधारा के सभी लोगों को खुला निमंत्रण दे रखा है कि आइए और इस भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा बनिए। हमने आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर से भी बात की है, ओवैसी से भी बात की है, इनके अलावा और भी जितने दल हैं, जो दलितों और पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन सभी को हम साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमने बसपा को भी निमंत्रण दिया है कि अगर आप काशीराम जी की विचारधारा वाली सरकार बनाना चाहते हैं तो भाजपा के खिलाफ साथ मिलकर लड़िए। हमारी लड़ाई केवल भाजपा से है, और भाजपा को हराने के लिए, संविधान को बचाने के लिए हम भागीदारी के तहत इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे।
सवाल:- 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित हिंदुत्व की विचारधारा के साथ गया और भाजपा को चुना। आप कैसे इस वर्ग को अपने साथ लाएंगे?
जवाब:- मैं एक उदाहरण बताता हूं कि हाल ही में पंचायत चुनाव हुए। बलिया और इससे सटे क्षेत्र में भाजपा के चार सांसद हैं, जो हिंदुत्व की लड़ाई लड़ते हैं। इसके अलावा 5 विधायक हैं और तीन मंत्री हैं। इसके बावजूद जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को महज सात सीटें मिलीं, जबकि हमारी पार्टी ने वहां 12 सीटें जीती हैं। हमारा मोर्चा वहां 18 सीटों पर जीता है। तो इस उदाहरण से आप समझिए कि लोगों के अंदर भाजपा ने जो भ्रम बनाया था हिंदुत्व का, वो अब टूट रहा है। यूपी के लोग अब बेहतर शिक्षा व्यवस्था, बेहतर मेडिकल सिस्टम और रोजगार के अवसर चाहते हैं। हर जगह से भाजपा के प्रत्याशी हार रहे हैं।
सवाल:- हाल ही में मीडिया में सीएम योगी और पीएम मोदी के बीच कुछ मतभेद की खबरें आईं और इसी बीच अब अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के आरोप लग रहे हैं। आप इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं?
जवाब:- आज भाजपा और देश दोनों पर गुजरातियों की एक टीम ने कब्जा कर लिया है। राम मंदिर के नाम पर घोटाला हो रहा है और उस पैसे से भाजपा के नए-नए कार्यालय बन रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश की राज्यपाल से लेकर गृह मंत्री और प्रधानमंत्री, यहां तक कि देश के तमाम बड़े संस्थानों में गुजराती लोग बिठाए हुए हैं। भाजपा और आरएसएस ने राम मंदिर के नाम पर देश के लोगों को धोखा दिया है।
सवाल:- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि वो यूपी में बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, बल्कि छोटे दलों को साथ लेकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। आपका इसपर क्या रुख रहेगा?
जवाब:- हमारी पहली कोशिश है कि भाजपा को यूपी की सत्ता से हटाएं और देश के लोकतंत्र को बचाएं। आज पुलिस थानों में लोगों को जाति पूछकर पीटा जा रहा है। हमारा स्पष्ट तौर पर कहना है कि जो लोग दलितों, पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों को लेकर समान विचारधारा रखते हैं, हम उनके साथ मिलने में कोई परहेज नहीं है। फिर चाहे सपा हो, बसपा हो या फिर कांग्रेस हो। हमारा पहला लक्ष्य है भाजपा को हराना। मैं जब भाजपा के साथ चुनाव लड़ा तो अपने समाज का वोट उन्हें ट्रांसफर कराया। पूर्वांचल इसका गवाह है। जहां भाजपा का कोई नाम लेने वाला नहीं था, वहां उन्हें हमारी वजह से सीट मिली। लेकिन, जीतने के बाद उन्होंने समाज को धोखा दिया। तो, ऐसी भाजपा को जनता अब सबक सिखाने के लिए तैयार है।
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