यूपी के इन जिलों में दीपावली पर कहीं मनता है शोक तो कहीं भगवान की नहीं होती है पूजा
मिर्जापुर/इटावा। दीपावली का पर्व नजदीक आते ही हर किसी के मन में खुशियों के लड्डू फूटने लगते हैं। हर कोई इस त्योहार को पारंपरिक तरीके से मनाता है। लेकिन यूपी में दो जिले ऐसे भी हैं जिनमे दीपावली को लेकर खास मान्यताएं हैं। एक तरफ जहां मिर्जापुर जिले के राजगढ़ ब्लॉक के चौहान समुदाय के लोग दीपावली के दिन मातम मनाते हैं। वहीं दूसरी ओर इटावा के कृपालपुर गांव में ग्रामीण दीपावली के दिन पूर्वजों की पूजा तथा उनके घर को रोशन करते हैं जिनके घर में किसी का देहांत हो चुका होता है।
इस दिन हुई थी पृथ्वीराज चौहान की हत्या
सबसे पहले हम मिर्जापुर के राजगढ़ ब्लॉक की बात करेंगे जहां चौहान समुदाय के लोगों का मानना है कि दीपावली के दिन ही 12वीं सदी में मोहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के बीच 1192 ई. में हुए तराईन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हत्या की गई थी। चौहान समुदाय मानता है कि जिस दिन पृथ्वीराज चौहान की हत्या हुई वह दीपावली का ही दिन था। इसलिए जिले के इस इलाके में दीपावली के दिन चौहान समुदाय के लोग शोक मनाते हैं।
इटावा में कुछ इस तरह से होता है दीपावली का त्योहार
इटावा जनपद में कृपाल पुर एक ऐसा गांव जहां के ग्रामीण दीपावली के मौके पर भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा नहीं करते हैं। दीपावली के दिन पूरे गांव समाज की महिलाएं भगवान के भजन गाते हुए एक थाली में दीपों को प्रज्ज्वलित करती हैं। दीप प्रज्वलित हो जाने का बाद पूरा गांव अपने-अपने परिवार के बड़े बुजुर्गो को याद करता और उनकी पूजा करता है।
मृतकों के घर को करते हैं रोशन
इसके बाद सभी ग्रामीण समूह में एकत्रित होकर प्रज्वलित दीपों से सजे थाल को लेकर गांव के उस ग्रामीण के घर पहुंचते हैं जिस घर में किसी का स्वर्गवास हो गया हो। दीपावली का पहला दिया उसी के घर मे रखकर रोशन किया जाता है। उसके बाद फिर पूरे गांव के घरों में दिए रखकर पूरे गांव को रोशन किया जाता है। गांव कृपाल पुर के ग्रामीण बताते हैं कि उनके यहां दीपावली के मौके पर अपने बड़े बुजुर्गों व खेती से पैदा होने वाले सीजन के नए अनाजों की पूजा करने का विधान है। इस गांव मे बंजारा बिरादरी के लोग ही रहते हैं। इस तरह से दीपावली मनाने की उनकी परंपरा सदियों पुरानी है।