VIDEO: फर्जी कंपनी ने नेत्र शिविर लगाकार किया टॉर्च की रोशनी में मोतियाबिंद का ऑपरेशन, CMO निलंबित
उन्नाव। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाए गए नेत्र शिविर में मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों का ऑपरेशन टॉर्च की रोशनी से करने की खबर से जिले में हड़कंप मच गया। अफरा-तफरी और अव्यवस्थाओं की खबर जैसे ही जिलाधिकारी को मिली उन्होंने तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तलब कर जांच के आदेश दे दिए। हालांकि जितनी देर में सीएमओ साहब जांच कर पाते तब तक प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मामले में संज्ञान लेते हुए उन्हें हटा दिया गया है। इस बात की भी जांच कराई जा रही है कि कैसे ब्लैक लिस्टेड संस्था को नेत्र शिविर लगाने की अनुमति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दी गई है।
ब्लैक लिस्टेड संस्था से कराया गया मोतियाबिंद ऑपरेशन
ओम जगदंबा सेवा समिति और जिला अंधता निवारण समिति के सहयोग से नवाबगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नेत्र शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें डॉक्टरों द्वारा टॉर्च की रोशनी में आंखों का ऑपरेशन किया गया। यही नहीं अंधेरे में ही मरीजों को ऑपरेशन के बाद स्वास्थ्य केंद्र के गलियारे में जमीन पर ही लिटाया गया। यहां पर ना तो मरीजों के रुकने की उचित व्यवस्था थी और ना खाने-पीने की। अव्यवस्था देख तीमारदारों में रोष व्याप्त हो गया। उन्होंने जिलाधिकारी को फोन कर मामले की जानकारी दी।
जिलाधिकारी ने लिया एक्शन
जिलाधिकारी ने तत्काल स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित करते हुए मरीजों को राहत पहुंचाने को कहा। जिलाधिकारी के निर्देश पर मौके पर पहुंचे एसीएमओ डॉ आरके रावत ने मरीजों को तत्काल बेड पर लिटाया। साथ सी एच सी प्रभारी को अतिरिक्त बिस्तर लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि वह अपनी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी व DM को देंगे। इस संबंध में बातचीत करने के दौरान जालिम खेड़ा की रहने वाली आशा ने बताया कि उन्होंने अपने साथ बिस्तर व खाने पीने का सामान लाई। उन्हें यहां से कुछ नहीं मिला है।
स्वास्थ्य मंत्री ने सीएमओ को हटाया
अस्पताल में 32 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने और ऑपरेशन के बाद उन्हें जमीन पर लिटाने की बड़ी लापरवाही के चलते स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उनके पद से हटा दिया है। सामुदायिक केंद्र में ब्लैक लिस्टेड संस्था को नेत्र शिविर लगाने की अनुमति की भी जांच की जा रही है।
तनख्वाह रोकने पर भी नहीं बंद हुई लापरवाही
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति तो आम बात थी। आए दिन उनकी तनख्वाह भी रोकी जाती है। परंतु किसी प्रकार का कोई सुधार नहीं हुआ। परंतु टॉर्च की रोशनी में मोतियाबिंद ऑपरेशन की खबर ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है।
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