मरीज का कटा पैर सिरहाने रखने के मामले में झांसी मेडिकल कॉलेज कर्मचारियों का नया दावा
झांसी मेडिकल कॉलेज में मरीज का कटा पैर सिरहाने रखने के मामले में जांच कमेटी गठित
झांसी। झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलिज में घायल की कटी टांग को उसके सिर के नीचे तकिये की तरह से रख देने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी किया है। मामले की जांच के लिए कॉलेज के प्रधानाचार्य ने समति गठित कर दी है। मामले के मीडिया में आने और इस कृत्य की भारी आलोचना के बाद इस घटना की जांच के लिए समिति बनाई गई, जिसे तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है। मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड से ये वीडियो सामने आया था। इसमें शनिवार दोपहर को सड़क दुर्घटना में घायल एक युवक के कटे पैर को मरीज के सिर के नीचे रखा गया था। वहीं इस मामले में अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि मरीज के सिर के नीचे उसका कटा पैर परिजनों ने रखा था और वो स्टाफ को उसे हटाने भी नहीं दे रहे थे।
स्कूल बस में क्लीनर है मरीज
क्षेत्र के लहचूरा गांव के रहने वाले घनश्याम स्कूल बस में क्लीनर है। बस के अनियंत्रित होकर पलट जाने से घनश्याम के दोनों पैर कुचल गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने क्लीनर को मेडिकल कॉलेज भेजा गया। शनिवार दोपहर को जब उसका इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा था तो इसी दौरान किसी ने वीडियो बना ली, जिसमें मरीज का कटा पैर सिरहाने पर तकिया की तरह लगा दिखा। मामला सोशल मीडिया पर आया तो प्रधानाचार्या डॉ. साधना कौशिक ने 5 सदस्यीय चिकित्सकों की जाँच कमेटी गठित कर दी।
कई कर्मचारियों पर कार्रवाई
इस मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के निर्देश पर दो डॉक्टर व दो नर्स को निलंबित कर दिया गया है। शासन ने इस मामले में जांच बैठा दी है और मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्य से पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की गई है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने बताया कि जिस समय ये घटना हुई उस दौरान ड्यूटी पर तैनात इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. महेंद्र पाल सिंह, सीनियर रेजीडेंट आर्थोपैडिक डॉ. आलोक अग्रवाल, सिस्टर इंजार्ज दीपा नारंग व नर्स शशि श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया है। डॉक्टर ऑन कॉल डॉ. प्रवीण सरावगी पर चार्जशीट जारी की गई है। मुख्य चिकित्साधिकारी, नगर मैजिस्ट्रेट की 2 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है।
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अस्पताल कर्मचारियों की सफाई
वॉर्ड में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि मरीज को उसके परिजन लेकर आए थे और उन्होंने ही पैर को सिरहाने रखा था। कर्मचारियों ने उनसे कटा पैर हटाने को कहा, पर उन्होंने ऐसा नहीं करने दिया। कर्मचारियों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज लाने के दौरान निजी अस्पताल के किसी कर्मचारी ने उनसे कह दिया था कि पैर जुड़ जायेगा, इसलिए उसकी पत्नी कर्मचारियों को पैर हटाने नहीं दे रही थी।
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