देवरिया शेल्टर होम कांड में पुलिस की भूमिका संदिग्ध, शासन ने दिए जांच के आदेश
देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह की मान्यता रद्द होने के बाद भी यहां लड़कियों को भेज जा रहा था। शासन ने इस मामले की जांच एडीजी गोरखपुर जोन दावा शेरपा को सौंपी है। जांच शुरू होने की खबर मिलते ही पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया है।
मान्यता
समाप्त
होने
के
बाद
भी
चल
रही
थी
संस्था
मां
विंध्यवासिनी
बालिका
संरक्षण
गृह
में
अनियमितताएं
पाई
जाने
पर
23
जून
2017
को
इसकी
मान्यता
रद्द
कर
दी
गई
थी।
जिला
प्रोबेशन
अधिकारी
ने
बाकायदा
विज्ञप्ति
जारी
कर
इस
संस्था
को
अवैध
घोषित
कर
दिया
था।
इसके
बावजूद
पुलिस
विभिन्न
थानों
में
बरामद
बच्चियों
को
यहां
पर
लाकर
रखती
रही।
देवरिया
के
अलावा
आसपास
के
जिलों
से
भी
पुलिस
ने
बच्चियों
और
संवासिनियों
को
यहां
पर
भेज
था।
शासन
ने
दिए
जांच
के
आदेश
बालिका
गृह
कांड
का
खुलासा
होने
के
बाद
अब
इस
मामले
की
जांच
भी
शुरू
हो
गई
है।
शासन
ने
इसकी
जिम्मेदारी
एडीजी
जोन
दावा
शेरपा
को
सौंपी
है।
सूत्रों
की
मानें
तो
जांच
शुरू
होते
ही
पुलिस
महकमा
यह
सूची
तैयार
करने
में
जुट
गया
है।
ऐसे
में
पुलिस
महकमे
में
भी
हड़कंप
मंच
गया
है।
जिलाधिकारी
के
पत्र
की
हुई
अनदेखी
निवर्तमान
डीएम
सुजीत
कुमार
ने
शासन
के
निर्देश
के
क्रम
में
मां
विध्यवासिनी
महिला
प्रशिक्षण
एवं
समाज
सेवा
संस्थान
द्वारा
संचालित
(बाल
गृह
बालिका,
बाल
गृह
शिशु,
विशेषज्ञ
दत्तक
ग्रहण
इकाई)
प्रकल्पों
को
रोकने
के
लिए
19
सितंबर
2017
को
एसपी
देवरिया
को
पत्र
लिखा
था।
पत्र
के
मुताबिक
इस
संस्थान
की
मान्यता
तत्काल
रद्द
करने
और
उसमें
रहने
वाले
बच्चों
को
दूसरे
जिलों
की
संस्थाओं
को
भेजने
की
बात
थी।