बुलंदशहर: नरसंहार आरोपी को अदालत ने सुनाई मौत की सजा, 20 साल बाद आया फैसला
20 साल पहले हुए एक नरसंहार केस में कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त को फांंसी की सजा सुनाई है।
बुलंदशहर।
अनूपशहर
क्षेत्र
के
ऐंचोरा
गांव
में
20
साल
पहले
हुए
नरसंहार
का
फैसला
सुनाया
गया।
एडीजे
5
की
कोर्ट
ने
इस
नरसंहार
के
मुख्य
आरोपी
सतेन्द्र
को
फांसी
की
सजा
सुनाई
है।
बता
दे
कि
प्रीतम,
रामोतार
और
शांति
को
एडीजे
3
की
कोर्ट
ने
2013
में
फांसी
की
सजा
सुनाई
थी
जबकि
सतेन्द्र
की
बेटी
पूजा
का
केस
ज्यूडिशियल
कोर्ट
में
चल
रहा
है।
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अनूपशहर थाना क्षेत्र के गांव ऐंचोरा में (10 अगस्त 1997) की शाम सतेन्द्र ने अपने साथी संजीव के साथ मिलकर अपनी चाची मुन्नी देवी को खेतों के पास धारदार हथियार से काट दिया था। हत्या करने के बाद दोनो शाम को अपने घर पहुंचे और रामोतार, प्रीतम, शांति और नाबालिक पूजा को साथ लेकर मुन्नी देवी के पोती बबली, पोते विकास वीर और भाभी विजय वत्ती को धारदार हथियारों से काटकर हत्या कर दी थी। हत्या करने के बाद हत्यारों ने तीनों के शवों को आग के हवाले कर दिया। इस जघन्य हत्याकाण्ड को अंजाम देने के बाद हत्यारोपी मौके से फरार हो गए।
जिला शासकीय अधिवक्ता मोहम्मद शारिक ने बताया कि वादी रामगोपाल और सतेन्द्र में काफी समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। सन 1997 में सतेन्द्र ने अपने साथी संजीव पनी पत्नी शांति, प्रीतम और बेटी पूजा के साथ मिलकर रामगोपाल के पूरे परिवार को खत्म कर दिया था। इस मामले में एडीजे 3 ने रामोतार, प्रीतम और शांति को फांसी की सजा सुनाई थी। बता दें कि पूजा को जुडिशिल कोर्ट में केस चल रहा है। वहीं, संजीव की फरारी के दौरान मौत हो गई। मंगलवार को एडीजे 5 सुनील कुमार वर्मा ने सतेन्द्र को फांसी की सजा सुनाई है।
जमीन का था विवाद
वादी रामगोपाल ने बताया कि सतेन्द्र उसका सगा भतीजा था। रामगोपाल ने बताया कि काफी समय से पैतृक जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। विवाद कोर्ट तक पहुंच गया, लेकिन सतेन्द्र अपनी दबंगई दिखाकर सारी जमीन उसी के नाम करने के लिए कहता था। मना करने पर सतेन्द्र ने रामगोपाल के पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। Read Also: प्रेमिका के पति को मारने के लिए युवक ने अपनाया ऐसा तरीका, जो पहले कभी नहीं हुआ