अपने ही अस्पताल में नर्स को नहीं मिला बेड, तड़प-तड़पकर हुई मौत, हंगामा
वाराणसी। केन्द्र सरकार के द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को एम्स जैसी सुविाधाएं देने का ऐलान किया जा चुका है। उसके बावजूद हालात इतने बद से बदतर हैं कि सरसुन्दर लाल चिकित्सालय में एक नर्स की इलाज के अभाव में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि नर्स मंजू को दस्त और उल्टी की शिकायत की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन हालत बिगड़ने पर भी आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया। अस्पताल कर्मचारियों ने बेड खाली ना होने का बहाना बनाया था, जिससे सही तरह से इलाज ना होने पर मंजू की मौत हो गई। नाराज़ परिजनों और स्टाफ नर्सों ने मिलकर अस्पताल में हंगामा किया और मृत नर्स की डेड बॉडी ले जाकर आवास के बाहर भी प्रदर्शन करने लगे।
मामला वाराणसी के सरसुन्दर लाल चिकित्सालय का है, मंजू की ननद और उसके पति ने बताया कि मंजू को उल्टी और दस्त के बाद यहां इलाज के लिए लाया गया था। पहले उन्हें सरसुन्दर लाल चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था। देर रात जब हालत बिगड़ने लगी तो डॉक्टरों से मंजू को आईसीयू में भर्ती करने के लिए उसके पति और ननद ने कई बार कहा, लेकिन आईसीयू के इंचार्ज ए.के. सिंह ने बेड खाली ना होने का बहाना बना दिया।
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परिजनों
का
आरोप
है
कि
इंचार्ज
ए.के.
सिंह
पैसा
लेकर
मरीजों
को
बेड
देते
हैं।
लेकिन
मंजू
के
स्टाफ
होने
के
बावजूद
भी
बेड
नहीं
दिया।
वहीं
मृतक
मंजू
की
ननद
और
उसके
पति
का
कहना
है
कि
डॉक्टर
अगर
एक
बेड
दे
देते
तो
शायद
उसकी
जान
बच
जाती।
नर्स
मंजू
की
मौत
के
बाद
परिजनों
ने
बिना
पोस्टमॉर्टम
के
ही
मृतक
के
शव
को
लेकर
चले
गए।
वहीं
ननद
फूट-फूटकर
रोते
हुए
यही
कहती
रहीं
कि
मंजू
के
दो
छोटे-छोटे
बच्चे
हैं।
ये
लोग
अपने
अस्पताल
के
स्टाफ
का
ख्याल
रखा
होता
तो
मौत
नहीं
होती।
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