पैसे नहीं थे, तो दरवाजों को बनाया कॉपी और कर लिया टॉप
मीनाक्षी ने बताया कि उसकी फोटो अखबार में देखने की खातिर वो कितना उत्सुक थे तो किस्मत का भी खेल गजब है, जब मौका आया तो पापा रहे ही नहीं।
मुजफ्फरनगर। यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं का परिणाम शुक्रवार को आया। जिसके बाद बेटियों की उपलब्धियां जगह-जगह सुनाई पड़ रही है। जहां तमाम तरह की सुख सुविधाओं के बाद बच्चे परीक्षा में ज्यादा अंक पा रहे हैं तो वहीं एक ऐसी भी प्रतिभा है जिसने गरीबी और मुफलिसी के बावजूद ना सिर्प स्कूल टॉप किया बल्कि जिले में दूसरा स्थान भी हांसिल किया। मीनाक्षी ने अपने मृतक पिता का सपना साकार कर दिखाया है।
पैसे नहीं थे, तो दरवाजों को इसने अपनी कॉपी बनाया और टॉप कर लिया। पिता रिक्शाचालक थे, इतने भी पैसे नहीं थे कि बेटी को कॉपी दिलवा सके। बेटी को टॉपर बनते देखने से पहले ही वह दुनिया छोड़ गए, पर बेटी ने हार नहीं मानी। पिता की मौत के दिन परीक्षा देने गई और आज पूरे देश में इस अद्भुत प्रतिभा की चर्चा है।
दरअसल मुजफ्फरनगर के गांव अलमासपुर में बेटी मीनाक्षी शर्मा, लाला जगदीश प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में 12वीं क्लास की छात्रा है। जिसने बोर्ड की परीक्षा में 500 में से 459 अंक प्राप्त कर अपना स्कूल तो टॉप किया ही है साथ ही जिले में भी दूसरा स्थान प्राप्त कर बता दिया कि वो किन मामलों में अमीर है। चूंकि पिता की गरीबी के चलते बीमारी में इलाज न होने से मौत हो गई, बेटी मीनाक्षी के लिए तो पहाड़ टूटा था लेकिन उसके सामने थी परीक्षा की चुनौती। रिक्शा चलाकर बेटी को पढ़ाई के फायदे गिनाने वाले पिता इस दुनिया में नहीं थे और मीनाक्षी को साबित करना था कि उसने अपने पिता से क्या सीखा?
मिनाक्षी शर्मा के 90.8 प्रतिशत मार्क्स आए हैं जिस पर मीनाक्षी को खुशी भी है लेकिन पापा के न होने का गम भी है। मीनाक्षी ने बताया कि उसकी फोटो अखबार में देखने की खातिर वो कितना उत्सुक थे तो किस्मत का भी खेल गजब है, जब मौका आया तो पापा रहे ही नहीं। मीनाक्षी ने बताया कि किस तरह उनके पिता परिक्षम किया करते, रिक्शा चालक होकर भी वो सिर्फ मीनाक्षी से पढ़ाई का महत्व समझने की बात कहते। आखिरकार सेप्टिक उनकी मौत का कारण बन गई, जब रिक्शा ढोने के दौरान ही उन्हें चोट आई थी। मीनाक्षी ने बताया कि पापा ने दवा तो ठीक खाई थी लेकिन पता नहीं कैसे उनकी मौत हो गई!
मीनाक्षी ने बताया कि जब उनके पिता की मौत हुई तह उस वक्त उनके दो पेपर रह रहे थे। मीनाक्षी ने कहा कि मेरे पापा नाना जी के साथ काम भी करते थे, उन्होंने रेड़ा और रिक्शा भी चलाया। मैथ सब्जेक्ट होने के बावजूद कॉपी नहीं थी मेरे पास तो मम्मी ने कहा बोर्ड पर लिख लो। मीनाक्षी ने ये भी बताया कि उन्होंने कैसे गली में स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई कि चूंकि उनके घर में बिजली नहीं थी। मीनाक्षी ने बताया कि उनका सपना बीएससी के बाद एमएससी करने का है और वो यूजीसी नेट करके प्रोफेसर बनना चाहती हैं। वहीं छात्रा की मां पूजा शर्मा ने बताया कि उन्हें अपनी बेटी की सफलता पर खुशी है जिससे पति को खोने का दर्द कुछ कम महसूस हो रहा है।