सहारनपुर: मुस्लिम वोटर्स को अब कैसे रिझाएंगी पार्टियां? दारुल उलूम की पॉलिसी, सियासत से रहेगी दूर
दारुल उलूम देवबंद ने चुनाव के दौरान सियासी जमातों के लिए अपने दरवाजे बंद रखने का फैसला लिया है। ऐसे में जो पार्टियां मुस्लिम वोटों के लिए यहां हाजिरी लगाया करती थीं, उन्हें नया रास्ता निकालना होगा।
सहारनपुर। मुसलमानों की आस्था के केंद्र दारुल उलूम देवबंद में हाजिरी लगाकर सियासत के धुरंधर प्रदेश की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता हमेशा से ढूंढते आए हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि दारुल उलूम देवबंद ने चुनाव के दौरान सियासी जमातों के लिए अपने दरवाजे बंद रखने का फैसला लिया है।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में अधिकतर सीटें ऐसी हैं जहां पर देश में अल्पसंख्यक कहलाने वाले मुस्लिम समाज के लोग चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे सियासी धुरंधरों की जीत और हार का फैसला करते हुए प्रदेश में सरकार बनाने में अहम किरदार निभाते हैं। इसलिए मुस्लिम मतदताओं को रिझाने के लिए हमेशा से ही सियासी जमातों के रहनुमा दारुल उलूम देवबंद का रुख करते रहे हैं और कई सियासी जमात उलेमा-ए-देवबंद का आशीर्वाद प्राप्त कर सरकार बनाने में कामयाब रही हैं।
मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने का बड़ा तरीका पड़ गया है फीका
मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए सियासी जमातों के लिए अब यह रास्ता बंद होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि दारुल उलूम देवबंद ने चुनाव के दौरान सियासी जमातों के लिए अपने दरवाजे बंद रखने का फैसला लिया है। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने फोन पर बात करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान वह किसी भी सियासी जमात के रहनुमा से मुलाकात नहीं करेंगे।
मौलाना ने कहा कि दारुल उलूम की यह हमेशा से पॉलिसी रही है कि संस्था और संस्था से जुड़े लोग राजनीति से पूरी तरह से अलग रहते हैं। मौलाना ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है कि दारुल उलूम में किसी व्यक्ति को आने की इजाजत नहीं दी जाएगी बल्कि चुनाव के दौरान वह और दारुल उलूम का अन्य कोई जिम्मेदार व्यक्ति किसी सियासी रहनुमा से मुलाकात नहीं करेंगे। ताकि उलेमा से मुलाकात को चुनाव से जोड़कर न देखा जाए।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर अखिलेश तक लगा चुके हैं हाजिरी
आजादी के बाद देश पर सबसे ज्यादा वक्त तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस पार्टी के अलावा मुस्लिम वोटों के आधार पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाली समाजवादी पार्टी, दलित और मुस्लिम समीकरण की राजनीति कर सत्ता तक पहुंचने वाली बहुजन समाज पार्टी के बड़े-बड़े चेहरे मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए दारुल उलूम देवबंद का रुख कर चुके हैं। जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, अमर सिंह यादव, आजम खां और बहुजन समाज पार्टी के नसीमुद्दीन सिद्दीकी सभी के नाम शामिल हैं।
2012 से पहले अखिलेश ने देवबंद पहुंचकर लिया था उलेमा का आशीर्वाद
उत्तर प्रदेश में सत्ता चला रहे अखिलेश यादव दो बार देवबंद का दौरा कर चुके हैं। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले जहां अखिलेश यादव ने देवबंद पहुंचकर उलेमा का आशीर्वाद लिया था वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान भी देवबंद के ईदगाह मैदान में मुख्यमंत्री ने चुनावी जनसभा की थी।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ऐतिहासिक नगरी देवबंद के धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे जिला बनाने और हज हाउस की स्थापना करने का वादा किया था तो सरकार में आने पर मुसलमानों को 18 प्रतिशत रिजर्वेशन देने की घोषणा की थी। जिसके बाद मुसलमानों ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने का काम किया था। लेकिन पांच सालों तक शासन करने के बाद भी अखिलेश यादव देवबंद के लोगों से किए गए अपने एक भी वादे पूरा नहीं कर पाए हैं।