योगी सरकार में करीबी बाहुबलियों पर करम, और बाहुबलियों पर सितम!
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने माफियाओं और बाहुबलियों के जेल ट्रांसफर मामले में भेदभाव किया है। पिछले सप्ताह दिए गए आदेश इस बात की गवाही देते हैं।
मिर्जापुर। सूबे में सत्ता संभलने के साथ भाजपा ने संगठित रूप से आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वालों पर शिकंजा कसने की घोषणा की थी। कुछ दिनों में कार्रवाई की खातिर आदेश भी जारी होने लगे। योगी सरकार बाहुबली, माफिया व बड़े अपराधियों के जेल से चलने वाले नेटवर्क को खत्म करने के लिए दूसरे जेलों में शिफ्ट करने लगी। पर पिछले सप्ताह जारी हुए जेल ट्रांसफर के आदेशों से तो ये स्पष्ट हो रहा है कि भाजपा अपने खेमे के बाहुबलियों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रख रही है जबकि दूसरी पार्टी से जुड़े लोगों को निशाने पर रखा गया है।
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करवरिया बंधु मीरजापुर से नैनी जेल शिफ्ट
इसका नमूना रविवार को तब देखने को मिला जब मीरजापुर जेल से उदयभान करवरिया, कपिलमुनि करवरिया और सूरजभान करवरिया को सेन्ट्रल जेल नैनी के लिए शिफ्ट कर दिया गया जहां पर फरवरी महीने में डीएम व एसपी की छापेमारी में करवरिया बंधु ऐशो-आराम करते पाये गये थे।
बीजेपी से जुड़े जनप्रतिनिधियों के प्रति उदारता
फरवरी महीने में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के जारी एलर्ट के बाद नैनी जेल में डीएम और एसएसपी की छापामारी के दौरान करवरिया बंधु ऐशो-आराम करते पाये गये थे। बाहुबली करवरिया बंधुओं का रसूख इस कदर था कि नैनी जेल में छापेमारी के दौरान डीएम व एसएसपी को 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा था। छापेमारी में अंदर पूर्व विधायक उदयभान टीवी देखते मिले थे। बैरक में म्यूजिक सिस्टम भी मिला था। बैरक के अंदर मोबाइल चार्ज से लेकर तमाम सुविधाएं थी। जेल में सुरक्षा व्यवस्था ताक पर रखकर जैमर तक बंद कर दिया गया था। इसके बाद गोपनीय तरीके से पूर्व सांसद कपिल मुनि, पूर्व विधायक उदयभान और पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया को नैनी जेल से मिर्जापुर जेल भेजा गया था। नैनी जेल में व्यवस्थाओं को तार-तार करने वाले करवरिया बंधुओं को मिर्जापुर जेल से तीन माह बाद रविवार को पुन: नैनी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। इसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि योगी सरकार जेल के अंदर से अपनी मर्जी चलाने वाले बाहुालियों के पर कतरने के लिए दूसरे जेलो में स्थानांतरण कर रही है तो फिर करवरिया बंधुओं को फिर से नैनी जेल में स्थानांतरित करने का क्या मतलब।
सत्ता के करीब होने का मिल रहा फायदा
विधानसभा चुनाव के दौरान करवरिया परिवार की बहू नीलम मेजा से विधायक चुनी गयी थी जिसके बाद से परिवार एक बार फिर से सत्ता के करीब पहुंच गया। वैसे भी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का इस परिवार से करीबी संबंध रहा है। कुछ ऐसा ही एमएलसी बृजेश सिंह के संग भी रहा जो सेन्ट्रल जेल वाराणसी में निरुद्ध हैं। बृजेश के भतीजे सैयदराजा से भाजपा टिकट पर विधायक चुने गये हैं। दूसरे बाहुबलियों की जेल ट्रांसफर की गयी लेकिन बृजेश को इससे अलग रखा गया।
मुख्तार, अतीक से बजरंगी तक भेजे गये दूरस्थ जेल
प्रदेश सरकार ने कार्रवाई के दायरे में बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी, सपा से लंबे समय तक जुड़े रहे पूर्व सांसद और विधायक अतीक अहमद के अलावा प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को दूरस्थ जेलों में शिफ्ट किया है। अतीक को नैनी से देवरिया जबकि मुख्तार को लखनऊ से बांदा शिफ्ट किया गया था। यही नहीं मुन्ना बजरंगी को झांसी से पीलीभीत की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। मुख्तार तो जेल शिफ्टिंग के पीछे अपनी हत्या की साजिश बता चुके हैं। बड़े भाई और पूर्व सांसद अफजाल अंसारी ने इसे बदले की कार्रवाई करार दिया था। विधानसभा के सत्र में भाग लेने की खातिर भी मुख्तार को लखनऊ से दूर सीतापुर जेल में रखा जायेगा जबकि प्रतिद्वंदी बृजेश लखनऊ के आदर्श कारागार में रहेंगे।
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