UP में मुस्लिम वोट बैंक को टारगेट करने में जुटी कांग्रेस, मस्जिदों के बाहर नमाजियों को बांटेगी संकल्प पत्र
लखनऊ, 24 सितंबर: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अब कांग्रेस ने लोगों तक पहुंचने की कवायद शुरू कर दी है। एक तरफ जहां कांग्रेस चुनावी यात्राओं के जरिए लोगों से कनेक्ट होने का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी तरफ यूपी कांग्रेस इकाइ का अल्पसंख्यक सेल भी मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने की योजना बनाने में जुटा हुआ है। पाटी के पदाधिकारियों की माने तो यूपी में 8000 से ज्यादा मस्जिदों के बाहर संकल्प पत्र बांटे जाएंगे। इसका मकसद करीब 35 लाख मुस्लिम आबादी तक पहुंचा है।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि योजना के अनुसार हर शुक्रवार को मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। कांग्रेस की योजना है कि मस्जिदों के बाहर अल्पसंख्यक सेल के लोगों को लगाया जाएगा जो कांग्रेस के संकल्प पत्र की प्रतियां उनके बीच वितरित करने का काम करेंगे। इससे कांग्रेस को जन जन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
अल्पसंख्यक सेल के यूपी अध्यक्ष शाहनवाज आलम के मुताबिक, 6 सितंबर को संकल्प सम्मेलन की बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया था कि 16 सूत्रीय संकल्प पत्र को हर विधानसभा तक पहुंचाना है। इसी के तहत की यूपी में इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए 8432 मस्जिदों को चुना गया है जहां संकल्प पत्र बांटे जाएंगे। इस अभियान की निगरानी प्रभारियो को सौंपी गइ है।
यूपी
में
क्या
है
मुस्लिम
आबादी
की
वोटों
का
गणित
उत्तर
प्रदेश
की
22
करोड़
आबादी
में
से
मुसलमानों
की
संख्या
19.23
प्रतिशत
महत्वपूर्ण
है।
80
लोकसभा
सीटों
में
से
लगभग
20
सीटें
ऐसी
हैं
जिनमें
20
प्रतिशत
से
अधिक
मुस्लिम
आबादी
उम्मीदवारों
के
चुनावी
भाग्य
को
बनाने
या
उससे
शादी
करने
में
निर्णायक
भूमिका
निभा
रही
है।
2014
में,
कांग्रेस-रालोद,
सपा,
बसपा
और
पीस
पार्टी
जैसे
कुछ
छोटे
धार्मिक
संगठनों
सहित
गैर-भाजपा
दलों
के
बीच
मुस्लिम
वोटों
के
विभाजन
के
कारण
बड़े
पैमाने
पर
एक
भी
मुस्लिम
उम्मीदवार
लोकसभा
तक
नहीं
पहुंच
सका।
राष्ट्रीय
उलेमा
परिषद।
इसने
बस
भाजपा
और
सहयोगियों
को
भारी
जनादेश
के
साथ
यूपी
में
73
0f
80
सीटों
के
साथ
चलने
में
मदद
की।
दो
दर्जन
लोकसभा
क्षेत्रों
मे
हैं
20
फीसदी
से
अधिक
मुस्लिम
आबादी
2011
की
जनगणना
के
अनुसार,
यूपी
में
दो
दर्जन
से
अधिक
संसदीय
क्षेत्र
हैं
जहां
मुस्लिम
समुदाय
कुल
आबादी
का
20%
से
अधिक
है।
इनमें
से
एक
दर्जन
से
अधिक
निर्वाचन
क्षेत्र,
जिनमें
रामपुर
(50.57%),
मुरादाबाद
(47.12%),
सहारनपुर
(41.95%),
बिजनौर
(43.04%),
मुजफ्फरनगर
(41.30%)
और
अमरोहा
(40.78%),
बलरामपुर
(37.51)
शामिल
हैं।
%),
आजमगढ़
(36%),
बरेली
(34.54%),
मेरठ
(34.43%),
बहराइच
(33.53%),
गोंडा
(33%)
और
श्रावस्ती
(30.79%)
में
मुसलमानों
की
उपस्थिति
बहुत
मजबूत
है।
मस्लिम
वोट
के
बंटने
का
खतरा
काशी
विद्यापीठ
में
राजनीति
विज्ञान
के
प्रोफेसर
रह
चुके
अशफाक
हुसैन
कहते
हैं
कि,
''अब एक बार फिर गैर बीजेपी पार्टियों पर मुस्लिम वोटों के बंटवारे का डर मंडरा रहा है। प्रियंका गांधी के प्रवेश से पहले, मुस्लिम राज्य में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को समर्थन देने के बारे में स्पष्ट थे, लेकिन अब वो कांग्रेस के साथ, वे मुस्लिम मतदाताओं के बीच आशा की एक किरण फिर से जगा सकते हैं, वे केंद्र में कांग्रेस के शासन के तहत 1992 में बाबरी विध्वंस पर अपनी नाराजगी के बावजूद पुरानी पार्टी में विश्वास व्यक्त कर सकते हैं।''
यूपी पर फोकस कर रहीं प्रियंका गांधी
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले संगठन को दुरुस्त करने में जुटीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी लगातार संगठन की बैठकें ले रही हैं। कुछ दिन पहले ही लखनऊ में बैठक के दौरान पश्चिमी उप्र के कई जिलों से लोग यहां आए हुए थे। प्रियंका ने सभी जिलाध्यक्षों से बातचीत कर वहां पर चलाए जाने वाले कार्यक्रमों पर फीडबैक लिया और आगामी चुनाव की तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया है।
जिलाध्यक्षों की बैठक में प्रियंका ने साफतौर पर कहा है कि दूसरी कैटगरी में आने वाले उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी चुनाव से लगभगत तीन-चार महीने पहले कर दिया जाएगा ताकि प्रत्याशियों को भी तैयारी करने का पूरा मौका मिल सके।