अथ श्री उत्तर प्रदेश संपूर्ण चुनाव कथा, एक नजर में अब तक की पूरी कहानी
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण को समझना इतना मुश्किल भी नहीं है, आइए जानते हैं यूपी की पूरी राजनीति।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल का ऐलान चुनाव आयोग ने 4 जनवरी किया, चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही यहां तमाम दलों ने अपनी चुनावी रणनीति यहां बनानी शुरु कर दी। आबादी के मामले में यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं, यही नहीं अकेले यूपी से राज्यसभा के कुल 30 सदस्य चुनकर आते हैं, इस लिहाज से यूपी का चुनाव देश की राजनीति में काफी अहमियत रखता है।
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अहम तारीखें
उत्तर प्रदेश में पांच राज्यों के साथ चुनावों की तारीख का ऐलान 4 जनवरी को किया गया, उत्तर प्रदेश में कुल 403 सीटों पर चुनाव सात चरणों हुआ, पहले चरण का मतदान 11 फरवरी, दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी, तीसरे चरण का मतदान 19 फरवरी, चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी, पांचवे चरण का मतदान 27 फरवरी, छठे चरण का मतदान 4 मार्च और आखिरी चरण का मदान 8 मार्च को संपन्न हुआ। सभी चरणों के औसत मतदान पर नजर डालें तो इस बार यूपी में कुल 60.76 फीसदी मतदान हुआ। वहीं 9 मार्च को अंबेडकरनगर की आलापुर सीट पर सपा उम्मीदवार के निधन के चलते मतदान हुआ था।
पहला चरण
पहले चरण में कुल 15 जिलों कैराना, मुजफ्फरनगर, शामली, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ, हाथरस, गौतम बुद्ध नगर, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा कासगंज और बागपत में चुनाव हुआ, इस चरण में कुल 73 सीटों पर मतदान हुआ।
दूसरा
चरण
11
जिलों
में
मतदान
होना
है,
उनके
नाम
हैं...
सहारनपुर,
बिजनौर,
मुरादाबाद,
रामपुर,
बरेली,
अमरोहा,
संभल,
खीरी,
शाहजहांपुर,
पीलीभीत
और
बदायूं।
इस
चरण
में
कुल
67
सीटों
पर
चुनाव
हुआ
तीसरा
चरण
तीसरे
चरण
में
12
जिलों
की
कुल
69
सीटों
कन्नौज,
मैनपुरी,
इटावा,
औरैया,
लखनऊ,
बाराबंकी,
कानपुर
देहात,
कानपुर,
फर्रखाबाद,
हरदोई,
सीतापुर
और
उन्नाव
पर
चुनाव
हुआ।
चौथा
चरण
चौथा
चरण
में
12
जिलों
की
कुल
53
सीटों
पर
चुनाव
हुआ
जिसमें
प्रतापगढ़,
कौशांबी,
इलाहाबाद,
जालौन,
झांसी,
ललितपुर,
महोबा,
हमीरपुर,
बांदा,
चित्रकूट,
फतेहपुर
और
रायबरेली
शामिल
थे।
पांचवा चरण
पांचवे
चरण
में
यूपी
में
कुल
11
जिलों
की
कुल
51
सीटों
पर
मतदान
हुआ
जिसमें
बलरामपुर,
गोंडा,
फैजाबाद,
अंबेडकरनगर,
बहराईच,
श्रावस्ती,
सिद्धार्थ
नगर,
बस्ती,
संत
कबीर
नगर,
अमेठी
और
सुल्तानपुर
शामिल
थे।
छठा चरण
छठे चरण में सात जिलों की कुल 49 सीटों पर मतदान हुआ, इसमें मऊ, महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ और बलिया शामिल हैं।
सातवां चरण
वहीं आखिरी चरण में सात जिलों की 40 सीटों पर मतदान हुआ जिसमें गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र शामिल हैं।
यूपी की दलीय स्थिति
यूपी में मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी, भाजपा, बसपा, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल हैं। 2012 में समाजावादी पार्टी ने 403 में से कुल 224 सीटें जीती थीं, जबकि बसपा के खाते में सिर्फ 80 सीटें आई थी वहीं भाजपा तीसरे पायदान पर रही थी और उसे 47 सीटें हासिल हुई थी। कांग्रेस पर नजर डालें तो उसे 2012 में 22 सीटें और आरएलडी को 10 सीटें मिली थी। इस लिहाज से देखे तो प्रदेश में सपा सबसे बड़ी पार्टी है और बसपा दूसरे नंबर की पार्टी, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे कुछ और ही कहानी बयां करते हैं, बहरहाल 11 मार्च को आने वाले नतीजे स्थिति को साफ करेगा।
सपा-बसपा-कांग्रेस का राजनीतिक समीकरण
उत्तर प्रदेश में चुनाव से कुछ महीने पहले जिस तरह से समाजवादी पार्टी के भीतर विवाह पैदा हुआ उसने इस बार के चुनाव को काफी हद तक प्रभावित किया, जिस वक्त अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह व मुलायम सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला उस वक्त कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश में महागठबंधन हो सकता है, लेकिन परिवार के विवाद के बाद अखिलेश यादव ने खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला लिया। सपा ने यूपी में कुल 298 सीटों पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस को 105 सीटें दी। वहीं बसपा ने पहली बार मुस्लिम वोटों को साधने के लिए 100 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
भाजपा का समीकरण
यूपी में भाजपा ने 403 सीटों में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवारको टिकट नहीं दिया, वहीं दलित वोटों और पिछड़े वोटों को अपनी ओर करने के लिए भाजपा ने अनुप्रिया पटेल की अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया। एक तरफ जहां अपना दल को भाजपा ने 12 सीटें दी तो सुहेलदेव समाज पार्टी को भाजपा ने कुल 8 सीटें देकर दलित और पिछड़े वर्ग के वोटबैंक में सेंधमारी करने की भी कोशिश की। इसके साथ ही भाजपा ने दूसरे दलों से आए 80 नेताओं में से 67 उम्मीदवारों को उन जगहों से टिकट दियां जहां भाजपा को कभी जीत हासिल नहीं हुई।
दल-बदलुओं का बोलबाला
इस बार तमाम बाहुबली नेताओं का भी बोलबाला रहा, मुख्तार अंसारी और उनकी पार्टी को सपा ने जब विलय से इनकार किया तो उन्हें मायावती ने अपनी पार्टी में जगह दी और उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाया, वहीं बसपा के बृजेश पाठक ने भाजपा का दामन थामा। मायावती को उनके सबसे बड़े दलित नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने झटका दिया और भाजपा का दामन थामा, इसके अलावा कांग्रेस को भी बड़ा झटका इस चुनाव में उस वक्त लगा जब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी भाजपा में शामिल हुई। इन तमाम दलबदल के चलते ये नेता इस बार सुर्खियों में रहे। इन सबके अलावा पहली बार मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव लखनऊ की कैंट सीट से मैदान में उतरीं और उन्होंने भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ ताल ठोकी।
चुनाव प्रचार
इस बार के यूपी चुनाव में तमाम दलों ने ताबड़तोड़ 336 रैलियों को संबोधित किया, एक तरफ जहां भाजपा के स्टार प्रचारक खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे उनका साथ अमित शाह सहित कई नेताओं ने रैलियों को संबोधित किया तो सपा के लिए अकेले स्टार प्रचारक अखिलेश यादव, बसपा के लिए मायावती और कांग्रेस के लिए राहुल गांधी ने प्रचार का मोर्चा संभाला। यूपी में सबसे अधिक रैली अखिलेश यादव ने की, उन्होंने कुल 211 रैलियों को संबोधित किया, वहीं राहुल गांधी ने 55 रैलियों को संबोधित किया, मायावती ने भी रैलियों का अर्धशतक लगाया और 51 रैलियों को संबोधित किया। हालांकि पीएम मोदी ने इस दौरान कुल 24 रैलियों को संबोधित किया, वहीं बिहार के चुनाव प्रचार पर नजर डालें को पीएम ने कुल 31 रैलियों को संबोधित किया
एग्जिट पोल के नतीजे
यूपी में चुनाव के नतीजे आने से पहले तमाम न्यूज चैनलों और पोल्सटर ने अपना एग्जिट पोल जारी किया, जिसमें भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखाया गया और उसे सभी एग्जिट पोल औसतन 211 सीटें दे रहे हैं तो सपा-कांग्रेस गठबंधन को मुश्किल से 122 सीटें हासिल हो रही है, बसपा तीसरे पायदान पर खिसकती नजर आ रही है और उसे सिर्फ 62 सीटें ही मिल रही है। एग्जिट पोल के आंकड़ों के हिसाब से भाजपा तमाम दलों को पीछे छोड़ते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है, बहरहाल असली फैसला 11 मार्च को होना है।