Coal And Power Crisis: पारीछा प्लांट में बंद हुई इकाई, अनपरा और हरदुआगंज में छाया कोयला संकट
सोनभद्र/अलीगढ़: 15 अक्टूबर: जिस तरह गाड़ी चलाने के लिए पेट्रोल और डीजल की जरूरत होती है उसी तरह बिजली के लिए जरूरत होती है कोयले की। हालांकि सूरज की रौशनी, हवा और पानी से भी बिजली बनती है लेकिन भारत में बिजली बनाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल कोयले का ही किया जाता है। लेकिन अब यूपी में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट की स्थिति है। इस खबर में हम आपको इसी बिजली संकट से जुड़ी हर जानकारी देने वाले हैं।
इन दिनों त्योहरों का सीजन भी शुरू हो गया हैं, ऐसे में प्रदेश के अंदर बिजली की मांग और अधिक बढ़ गई है। लेकिन कोयले की कमी के चलते प्रदेश में बिजली संकट खड़ा हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनपरा 'ए' और 'बी' परियोजना में एक दिन का भी कोयला नहीं बचा है। तो वहीं, 'डी' परियोजना में भी महज दो दिन का कोयला शेष है। हालांकि, रेलवे रैक से कोयला पहुंचने से 'डी' परियोजना को थोड़ी राहत मिली है।
अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक, अनपरा परियोजना में कोयले का स्टॉक 9603.58 एमटी (मीट्रिक टन) पहुंच गया है। वहीं, 1000 मेगावाट की 'बी' परियोजना में कोयले का स्टॉक 14022.18 एमटी रह गया है। इतना कोयला दोनों परियोजनाओं के एक दिन के संचालन के लिए भी नाकाफी है। अनपरा 'डी' परियोजना में 35047.82 एमटी कोयले का स्टॉक है। इससे निगम की नवीनतम परियोजना से दो दिन तक बिजली बनाई जा सकती है।
दूसरी ओर यूपी सरकार ने कहा है कि, त्योहारों के सीजन में बिजली कटौती नहीं की जानी चाहिए. खास तौर पर रात के वक्त। ऐसे में पीक आवर में शाम छह बजे से रात 11 बजे तक इकाइयों के फुल लोड पर चलाए जाने से प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बृहस्पतिवार सुबह परियोजना में कुल कोयले का स्टॉक 58673.58 एमटी रहा। उधर, झांसी के पारीछा थर्मल पावर प्लांट को बृहस्पतिवार को दो मालगाड़ी कोयला (आठ हजार टन) और मिल गया। इससे बिगड़ रही स्थिति थोड़ा संभल गई है।
हालांकि, कोयला न मिलने से एक इकाई को बंद करने की स्थिति बन सकती थी। अभी प्लांट की चार में से तीन इकाइयों से उत्पादन किया जा रहा है। इसी तरह ललितपुर स्थित बजाज पावर प्लांट में तीन में से दो इकाइयों से उत्पादन चल रहा है। यहां की एक इकाई तकनीकी खराबी से मंगलवार से बंद है। वर्तमान में दोनों प्लांटों में 2030 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। यही हालत हरदुआगंज तापीय परियोजना कासिमपुर की है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां महज एक दिन का कोयला स्टॉक में बचा रहता है।
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अगर दूसरे दिन मालगाड़ी कोयला लेकर न पहुंचे तो पावर हाउस की यूनिटें बंद करनी पड़ जाती हैं। यही नहीं, वर्तमान में यहां चल रही 250-250 मेगावाट की दो यूनिटों में ही पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इन यूनिटों को ही रोजाना 9000 टन कोयले की जरूरत है और आपूर्ति केवल 3800 टन की मिल रही है।