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यूपी: क्लास बदलते ही बदल जा रहा है तुलसीदास का जन्मस्थान, बच्चे पढ़ रहे हैं दो अलग-अलग इतिहास

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फर्रुखाबाद। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में बच्चों की किताबों के पाठों में अलग अलग किस्से लिख रही है। यहां जिले के माध्यमिक विद्यालय में कक्षा सातवीं की किताब 'मंजरी' में तुलसीदास पाठ में रामचरितमानस के रचनाकार तुलसीदास का जन्म स्थान एटा जिले के सोरो में होना बताया गया है। वहीं जब बच्चे कक्षा 7 में एटा में तुलसीदास का जन्म स्थान पढ़ेंगे उसके बाद कक्षा 8 में महान व्यक्तित्व की किताब में पाठ 9 में उन्हीं का जन्म स्थान चित्रकूट के गांव राजापुर में होना बताया गया है। एक महापुरुष दो जिलों में जन्म कैसे ले सकता है? किताबों की छपाई किस आधार पर कराई जा रही है यह कोई बताने को तैयार नहीं है।

children are studying two different history about Tulsidas birthplace in books

दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने छपने के लिए किताबों का ठेका दिया होगा लेकिन छपने से पहले पढ़ लिया गया होता तो शायद रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास को दो जिलों में जन्म स्थान होना नहीं बताया जाता। वहीं अन्य किताबों में लिखा देखा गया कि तुलसीदास ने बाबा नरसिंहदास के पास रहकर 15 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण जरूर की। जो एटा जिले सोरो नामक स्थान पर आश्रम था लेकिन बाद में वह अपने जन्म स्थान वापस लौट गए थे।

children are studying two different history about Tulsidas birthplace in books

वहीं बीएसए रामसिंह का कहना है कि किताबों में तुलसी दास का जन्म स्थान दो स्थानों पर लिखा है उसके लिए डाइट को अवगत कराया जायेगा कि बच्चों को कौन सा जन्मस्थान पढ़ाया जाए। उसके बाद शिक्षकों को आदेश दिया जायेगा कि कौन सा जन्मस्थान सही है उसी को पढ़ाया जाए।

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English summary
children are studying two different history about Tulsidas birthplace in books
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