डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर से हिंसक प्रदर्शन और धार्मिक भावना भड़काने का केस हटा, कोर्ट ने दिया फैसला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चल रहे हिंसक प्रदर्शन व धार्मिक भावनाओं को भड़काने के केस को वापस लेने का निर्णय लिया था जिस पर एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने मुहर लगा दी है। कोर्ट ने फैसला देते हुए इस मामले में केशव मौर्य और अन्य तीन लोगों को केस में आरोपों से बरी कर दिया है। यह मामला 2011 का है जिसमें केशव मौर्य पर आरोप था कि वे प्रदर्शन करते हुए हिंसा पर उतारू हुए और उन्होंने विशेष समुदाय के व्यक्ति को पीटा।
यूपी सरकार की अर्जी को कोर्ट की मंजूरी
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में दाखिल अर्जी को स्वीकार कर उस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के स्पेशल जज डॉक्टर बालमुकुंद ने अभियोजकों को सुनने के बाद डिप्टी सीएम समेत चार लोगों के खिलाफ केस को खत्म करने का निर्णय दिया।
क्या
है
मामला?
कौशांबी
के
मंझनपुर
कोतवाली
के
तत्कालीन
थाना
प्रभारी
जंग
बहादुर
सिंह
ने
2011
के
सितंबर
में
केशव
प्रसाद
मौर्य
व
अन्य
के
खिलाफ
केस
दर्ज
कराया
था।
उस
समय
केशव
मौर्य
किसान
मोर्चा
के
प्रदेश
महामंत्री
थे।
उन
पर
जुलूस
निकालकर
कौशांबी
एसपी
के
कार्यालय
पर
प्रदर्शन
करने
और
घुसकर
नारे
लगाने
व
एक
को
पीटने
का
आरोप
लगाया
गया
था।
इस
केस
की
वापसी
के
लिए
उत्तर
प्रदेश
सरकार
ने
2018
के
अगस्त
में
प्रयागराज
के
डीएम
को
निर्देशित
किया
था।
इसके
बाद
कोर्ट
में
अर्जी
दाखिल
की
गई
जिसे
स्वीकार
कर
मामले
पर
आगे
सुनवाई
हुई।
शुक्रवार
को
हुई
सुनवाई
शुक्रवार
को
इस
मामले
में
एमपी
एमएलए
स्पेशल
कोर्ट
में
स्पेशल
जज
के
सामने
उत्तर
प्रदेश
सरकार
की
तरफ
से
अभियोजकों
ने
अपनी
अर्जी
के
पक्ष
में
तर्क
दिए।
कोर्ट
ने
केशव
मौर्य
समेत
अन्य
को
इस
केस
में
आरोपों
से
मुक्त
कर
दिया।
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