अखिलेश सरकार में हुई 97 हजार करोड़ की लूट, CAG की ऑडिट रिपोर्ट से उठे सवाल
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी पार्टी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अखिलेश सरकार में 97 हजार करोड़ की भारी-भरकम राशि का बंदरबांट किया गया और सपा सरकार के पास इस व्यय का कोई भी दस्तावेज नहीं नहीं था। CAG की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी योजनाओं के लिए दी गई 97 हजार करोड़ की राशि का कोई भी हिसाब पूर्व की सपा सरकार ने नहीं दिया। सपा सरकार ने ये राशि किस रूप में खर्च किया, इसका कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा पाई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक अनियमितता समाज कल्याण, शिक्षा और पंचायतीराज विभाग में सामने आय़ा है। केवल इन तीन विभागों में ही खर्च किए गए 25 से 26 हजार करोड़ रुपए का ब्यौरा विभागीय अफसरों ने नहीं दिया।

कैग को यूपी में 2014 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए करीब ढाई लाख से ज्यादा कार्यों के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट सपा सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। जिसके कारण इतनी भारी राशि के गलत इस्तेमाल का शक पैदा हुआ है। वहीं, कैग की रिपोर्ट आने का बाद यूपी में सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। सपा ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है तो वहीं यूपी सरकार इसकी जांच कराने की बात कर रही है। योगी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि जिस प्रकार यूपीए-1 और यूपीए-2 में कैग की रिपोर्ट से भ्रष्टाचार निकलकर बाहर आया, उसी प्रकार अखिलेश सरकार में हुए घोटाले का मामला सामने आया है।
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार करने, उसकी नींव डालने का काम मायावती से शुरू हुआ था और अखिलेश यादव ने उस वृक्ष को पाला है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार इसकी जांच कराएगी। वहीं, कैग की रिपोर्ट आने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों पर सपा के प्रवक्ता सुनील यादव ने सफाई देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट से भ्रष्टाचार की बात साबित नहीं हो जाती है। सपा प्रवक्ता ने कहा कि ये सिर्फ एक अनुमान है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी रिपोर्ट महाराष्ट्र और गुजरात में भी आ चुकी हैं लेकिन राज्य सरकार ने किसी भ्रष्टाचार की बात नहीं मानी थी। उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट में 2 जी में घोटाले की बात भी कही थी लेकिन कोर्ट ने सभी आरोप खारिज कर दिए हैं।