हाथरस कांड: पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को लाने वाली कैब ड्राइवर को 22 महीने बाद जमानत
नई दिल्ली, 23 अगस्त। हाथरस कांड में कथित षड्यंत्र के आरोप में अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन जेल में बंद हैं। वहीं मामले में आरोपी बनाए गए कप्पन को यूपी हाथरस लाने वाली कैब के ड्राइवर मोहम्मद आलम को कोर्ट ने जमानत दे दी है। इन दोनों पर भी यूएपीए के तहत कार्रवाई की जा रही है।
यूपी की मथुरा पुलिस ने हाथरस षडयंत्र मामले में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था। कप्पन उस दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गांव जा रहे थे, जिसकी सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी। उन्हें शांति भंग की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन पर राजद्रोह के आरोप लगे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कैब ड्राइवर मोहम्मद आलम पर हाथरस षड्यंत्र मामले में लगे आरोपों पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं थे। जिस पर अदालत ने उन्हें जमानत देने का आदेश दिया। बता दें कि यूपी की मथुरा पुलिस ने हाथरस षडयंत्र मामले में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था। कप्पन उस दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गांव जा रहे थे, जिसकी सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी। उन्हें शांति भंग की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था। बाद में जांच आगे बढ़ी और कप्पन के खिलाफ सबूतों के आधार पर उन पर राजद्रोह और यूएपीए की तहत कार्रवाई की गई। इससे पहले कोर्ट कप्पन को जमानत देने से इनकार कर चुका है।
अक्टूबर,
2020
से
मथुरा
जेल
में
बंद
था
कैब
ड्राइवर
कैब
ड्राइवर
को
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
की
जस्टिस
रमेश
सिन्हा
और
सरोज
यादव
की
लखनऊ
बेंच
ने
जमानत
दी।
कैब
चालक
मोहम्मद
आलम
धारा
153A,
295A,
124A,
120B
और
सूचना
प्रौद्योगिकी
(संशोधन)
अधिनियम,
2008
की
धारा
65
और
72
और
यूएपीए
की
धारा
17
और
18
तहत
मामला
दर्ज
किया
गया
है।
मोहम्मद
आलम
5
अक्टूबर,
2020
से
मथुरा
जेल
में
बंद
था।
आलम
के
वकील
अमरजीत
सिंह
रखड़ा
ने
अदालत
को
बताया
कि
वह
केवल
मिस्टर
कप्पन
को
मौके
पर
ले
जा
रहे
थे
और
उनका
इस
मामले
से
कोई
और
संबंध
नहीं
है।
जबकि
सरकारी
वकील
ने
दावा
किया
कि
श्री
आलम
पॉपुलर
फ्रंट
ऑफ
इंडिया
(PFI)
से
जुड़े
हैं।
उन्होंने
टेरर
फंडिंग
के
पैसे
से
अपना
वाहन
खरीदा
था।
सरकारी
वकीलों
ने
अदालत
को
श्री
आलम
के
संबंध
दानिश
नाम
के
एक
व्यक्ति
के
साथ
होने
के
बारे
में
भी
बताया,
जो
दिल्ली
दंगों
का
एक
आरोपी
है।
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कोर्ट
ने
क्या
कहा?
मामले
में
सुनवाई
के
बाद
अदालत
ने
कहा
कि
'इस
स्तर
तक
रिकॉर्ड
पर
उपलब्ध
सामग्री,
यह
मानने
के
लिए
कोई
उचित
आधार
नहीं
है
कि
अपीलकर्ता
के
खिलाफ
आरोप
प्रथम
दृष्टया
सच
है।
प्रथम
दृष्टया,
आतंकवादी
गतिविधियों
या
राष्ट्र
के
खिलाफ
किसी
अन्य
गतिविधि
में
अपीलकर्ता
की
कोई
मिलीभगत
और
संलिप्तता
नहीं
है।'
कोर्ट
ने
कहा
कि
मोहम्मद
आलम
का
मामला
सह-आरोपी
सिद्दीकी
कप्पन
के
मामले
से
अलग
है
क्योंकि
उसके
कब्जे
से
कथित
तौर
पर
आपत्तिजनक
सामग्री
भी
बरामद
की
गई।