आजम की अगवानी न करके क्या अखिलेश ने फिर कर दी एक बड़ी राजनीतिक चूक, जानिए
लखनऊ, 21 मई: उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में 28 महीने गुजारने के बाद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान शुक्रवार को जमानत पर रिहा हो गए। सीतापुर जेल से बाहर निकले ही आजम खान के दोनों बेटों और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव तथा सपा के तमाम समर्थकों ने उनका स्वागत किया। लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इस मौके पर नदारद रहे। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर आजम की रिहाई का स्वागत किया, जबकि शिवपाल सिंह यादव ने आजम खान के जेल से बाहर आते ही उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें हौसला बंधाया और इस मौके को पूरी तरह से भुनाने का प्रयास किया। हालांकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव आजम की अगवानी करके मुस्लिम समुदाय में एक बड़ा और अच्छा संदेश दे सकते थे लेकिन वह मौके से चूक गए। क्या इसका खामियाजा उन्हें आजम को खोकर उठाना पड़ सकता है।

पिछले कई साल से गलती करते आ रहे हैं अखिलेश ?
अखिलेश यादव ऐसी ही गलती वह बीते आठ वर्षो से लगातार करते ही आ रहे हैं। सपा नेताओं के अनुसार वर्ष 2014 से हर महत्वपूर्ण अवसर पर अखिलेश यादव ऐसी गलती करते रहे हैं। जिसके चलते वर्ष 2016 में शिवपाल सिंह यादव से उनका पहला बड़ा राजनीतिक विवाद हुआ। इस विवाद में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश का साथ दिया और अखिलेश यादव सपा के मुखिया बन गए। लेकिन इस परिवारिक विवाद का असर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला।

अखिलेश ने आजम से जेल में मिलना उचित नहीं समझा
कांग्रेस के गठबंधन करने के बाद भी अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव हारे गए। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में मायावती के साथ गठबंधन किया। यह चुनाव भी वह हारे। बीते विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने छोटे दलों को जोड़कर चुनाव लड़ा पर वह सत्ता के करीब भी नहीं पहुंच सके। इस चुनावी हार के बाद सपा मुखिया ने शिवपाल सिंह यादव और आजम खान जैसे सीनियर नेताओं की अनदेखी करना शुरू किया। परिणाम स्वरूप शिवपाल ने अखिलेश यादव से दूरी बनाकर प्रसपा को मजबूत करने में जुट गए। इसी क्रम में वह पिछले माह जेल में आजम खान से मिलने गए लेकिन अखिलेश यादव ने तब भी आजम खान से मिलना जरूरी नहीं समझा। जबकि मात्र दो घंटे का सफर कर वह लखनऊ से सीतापुर जेल में आजम खान से मिलने पहुंच सकते थे।

अखिलेश के ट्वीट से क्या कम होगी आजम की नाराजगी
सपा मुखिया के इस रुख से सीनियर मुस्लिम नेता भी खफा हुए पर अखिलेश यादव ने आजम खान के मामले में चुप्पी ही बनाए रखी। शुक्रवार को भी जब आजम खान जेल से बाहर आए और शिवपाल सिंह के साथ उनकी फोटों मीडिया में चलते लगी तब अखिलेश यादव ने ट्वीट कर आजम का स्वागत किया। अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक आजम खान के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है। यह सवाल सपा के नेताओं के जेहन में है। अधिकांश सपा नेताओं का मत है कि आजम खान अब सपा और अखिलेश से किनारा कर सकते हैं क्योंकि आजम खान भी यह मान चुके हैं कि सपा के लिए खून-पसीना बहाने के बाद भी उनकी रिहाई के लिए अखिलेश यादव ने कोई प्रयास नहीं किया।

क्या शिवपाल के साथ मिलकर नई पारी की शुरुआत करेंगे आजम
अब देखना यह है कि आजम खान सपा में रहते हुए अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे या फिर शिवपाल सिंह यादव के साथ मिलकर एक नई शुरुआत करेंगे। इसी माह आजम खान के अगले कदम का खुलासा हो जाएगा। आजम खान जेल से ऐसे समय बाहर आए हैं जब सूबे में विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है। 23 मई से उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होकर 31 मई तक चलेगा। सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट 26 मई को पेश करेगी। इस विधानसभा सत्र के ठीक पहले 21 मई को अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी विधायकों की मीटिंग बुलाई है।

अखिलेश की बैठक में पहुंचेंगे आजम या करेंगे किनारा
दरअसल अखिलेश ने 21 मई को विधायकों की एक बैठक बुलाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आजम खान इस बैठक में आते हैं या नहीं। इससे उनके अगले फैसला का पता चलेगा।आजम खान की सियासी ताकत से सभी वाकिफ हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। ना सिर्फ रामपुर बल्कि पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर्स पर आजम की मजबूत पकड़ है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार कुमार पंकज कहते हैं कि मुस्लिमों के बीच सपा के सियासी आधार बढ़ाने में आजम खान की अहम भूमिका रही है। यही वजह है कि शिवपाल यादव से लेकर कांग्रेस और बसपा तक आजम खान को अपने साथ लाने में जुटी है। यह सब जानने के बाद भी अखिलेश यादव ने आजम खान के जेल से बाहर आने पर उनके मिलने की जरूरत नहीं समझी, उनकी इस गलती का खामियाजा उन्हें आजम खान को खोकर उठाना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें-यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष बने सपा विधायक नितिन अग्रवाल, मिले 304 वोट