तीन तलाक: मुस्लिम महिलाओं ने कहा, अब मिली नर्क की जिंदगी से आजादी
बुलंदशहर। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद बुलंदशहर के सिकन्दराबाद की रहने वाली शायदा परवीन, शबनम और फरजाना काफी खुश हैं। इनका कहना है कि इससे कई मुस्लिम महिलाओं को नर्क जैसी जिंदगी से छुटकारा मिलेगा। तीनों महिलाओं के पतियों ने उन्हे तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया था। इन महिलाओं ने कोर्ट में तीन तलाक को चैलेंज किया था। उन्होनें कहा कि फिलहाल इस फैसले से हमें राहत न मिले, लेकिन आने वाली पीढी को इस फैसले राहत मिलेगी।
पतियों ने कैसे दिया तीन तलाक
शायदा परवीन निकाह 2005 में बिलासपुर के रहने वाले रहीमुद्दीन के साथ हुआ था। शायदा के पास एक बेटी भी हैं। शायदा परवीन ने बताया कि रहीमुद्दीन सरकारी नौकरी के लिए उसपर अपने पिता से दहजे लाने के लिए दबाव बनाता था। एक दिन रहीमुद्दीन ने शायदा को घर से निकाल दिया था और फोन पर रहीमुद्दीन ने तीन बार तलाक कहकर शायदा परवीन तलाक दे दिया। शायदा जब से अपने पिता के घर रह रही हैं। शबनम का निकाह 2008 में अलीगढ़ के रहने वाले चांदमौहम्मद के साथ हुआ था। निकाह के तीन महीने बाद ही तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया गया। इन्होने कुछ समय पहले ही तलाक होने की जानकारी मिली थी। शबनम ने अलीगढ़ जाकर अपने पति के घर के बाहर दरवाजा पर बैठने से चर्चाओ में भी आई थी। फिल्हाल शबनम अपने पिता के पास सिकन्द्राबाद में रह रही हैं। वहीं, फरजाना का निकाह 2012 में नोएडा के कासना निवासी मौ. कादिर से निकाह हुआ था। फरजाना ने बताया कि उसके पती मौ. कादिर को एक महिला से अवैध संबंध थे, जिसका वो विरोध करती थी। इस लिए मौ. कादिर ने फरजाना को तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया। फिल्हाल फरजाना भी अपने पिता के घर सिकन्द्राबाद में रह रही हैं।
लोगों ने तीन तलाक को खेल समझ लिया था
तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं का कहना हैं कि तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी खराब हो रही हैं। लोगों ने तीन तलाक को खेल समझ रखा हैं, ये खत्म होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया हैं उससे वह बहुत खुश हैं। उन्होनें कहा कि फिलहाल इस फैसले से हमें राहत न मिले, लेकिन आने वाली पीढी को इस फैसले राहत मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं का तलाक मिल चुका हैं सरकार को उनके लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने का कि अब मुस्लिम महिलाऐं गुरबत की जिंदगी नही जियेगी।
जिले में 200 से ज्यादा तीन तलाक पीड़ित
जनपद में करीब 200 ज्यादा तीन तलाक पीडिता गुरबत की जिंदगी में जीवन-यापन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओ को तीन तलाक दिया गया हैं सरकार और कोर्ट उन महिलाओं के लिए कुछ करें। उनका कहना हैं कि महिलाओं को तलाक लेने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है जबकि पुरुषों को मनमाना हक दिया गया है। यह गैरकानूनी और असंवैधानिक है। भारत में भारत का कानून लागू हो, ना कि शरीयत का कानून। महिला का कहा हैं कि जब मुस्लिम देशों में शरीयत का कानून लागू नहीं होता तो भारत में क्यों। उन्होंने कहा कि तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की जिंदी खराब हो रही हैं।