उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

8वीं शताब्दी में बनी 1200 साल पुरानी भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति मिली, खुलेंगे कई राज...

तकरीबन चार क्विंटल वजन की प्रतिमा चार फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी है। मूर्ति के ऊपर सात फनों वाले शेषनाग की आकृति उभरी है। मूर्ति के नीचे आसन वाली जगह पर जानवरों की आकृति बनी हुई है।

Google Oneindia News

इलाहाबाद। कुछ समय पूर्व तक इलाहाबाद के हिस्सा रहा कौशांबी, एक बार फिर से पुरातत्व विभाग के लिये उपलब्धि लेकर आया है। कोसम ईनाम के पास 8वीं शताब्दी में निर्मित भगवान पार्श्वनाथ की 1200 साल से भी अधिक पुरानी मूर्ति मिली है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरातत्व विशेषज्ञ भी मूर्ति की जांच पड़ताल में जुट गये हैं। मूर्ति से 1200 साल पुराने कई राज खुलेंगे और इसे पुरातत्व विभाग की बड़ी उपलब्धि कहा जा रहा है।

बुद्ध के लिए विश्व प्रसिद्ध है कौशांबी

भगवान गौतम बुद्ध के कारण पूरे विश्व में कौशांबी ख्याति प्राप्त है और हमेशा से चर्चा में रहा है। कौशाम्बी के कोसम ईनाम गांव के नजदीक यमुना नदी में भगवान पार्श्वनाथ की यह 1200 साल पुरानी प्रतिमा मिलने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुरातत्व विशेषज्ञ की टीम गांव पहुंची और मूर्ति का निरीक्षण किया गया।

राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग रिसर्च में जुटी

राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग रिसर्च में जुटी

अब इस क्षेत्र में पुरातात्विक महत्व वाले कई अन्य अवशेष मिलने की उम्मीद अधिक बढ़ गई है। राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग की टीम को आगे का काम सौंप दिया जायेगा और वह अपनी रिसर्च से इतिहास के कुछ और पन्ने खोलगी। फिलहाल इस विषय पर अध्ययन के लिए प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यापकों और शोधार्थियों का दल गांव पहुंच चुका है।

4 क्विंटल वजनी है मूर्ति

4 क्विंटल वजनी है मूर्ति

सबसे पहले ग्रामीणों ने नदी में इस प्रतिमा को देखा तो सूचना पुलिस को दी गई। मूर्ति को नदी से बाहर निकाला गया तो इसका आकार और स्वरूप अपने आप में विशेष था। तकरीबन चार क्विंटल वजन की प्रतिमा चार फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी है। मूर्ति के ऊपर सात फनों वाले शेषनाग की आकृति उभरी है। मूर्ति के नीचे आसन वाली जगह पर जानवरों की आकृति बनी हुई है। मूर्ति को मंदिर के पास सुरक्षित रखवा दिया गया है। मूर्ति मिलने की जानकारी बीएचयू के प्रोफेसर एके द्विवेदी और डॉ.अर्पिता चटर्जी के साथ पुरातत्व विभाग को दी गई। साथ ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय का पुरातत्व विभाग भी सक्रिय हुआ।

23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की है प्रतिमा

23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की है प्रतिमा

पुरातत्व विभाग ने बताया कि यह मूर्ति जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा है। यह प्रतिमा आठवीं शताब्दी की है। मालूम हो कि बौद्ध धर्म के साथ ही जैन धर्म के लिये भी कौशांबी विशेष स्थल रहा है। कौशाम्बी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर स्वामी की तपोस्थली रही और अब भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा मिलने से इसकी पुष्टि भी होती है। माना जाता है कि समृद्धिशाली कौशांबी नगर यमुना नदी में समां गया था। यह मूर्ति भी उसी समय नदी में गई होगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेएन पाल, प्रोफेसर एचएन दुबे का कहना है कि क्षेत्र में पार्श्वनाथ की प्रतिमा मिलना ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। कौशाम्बी बौद्ध और जैन दोनों धर्मों का केंद्र रहा है। उस क्षेत्र में पुरातात्वि महत्व वाले कई अन्य अवशेष मिलने की उम्मीद है। अब मूर्ति के साथ पूरे क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा। वहीं डीएम अखंड प्रताप सिंह का कहना है भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा को सुरक्षित रखा गया है। कोसम ईनाम गांव ऐतिहासिक स्थल है। यह गांव पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है। प्रतिमा पुरातत्व विभाग के शोध कार्य को आगे बढायेगी।

<strong>इसे भी पढ़ें:- कोयंबटूर: जानिए क्यों खास है भगवान शिव की आदि योगी प्रतिमा?</strong>इसे भी पढ़ें:- कोयंबटूर: जानिए क्यों खास है भगवान शिव की आदि योगी प्रतिमा?

Comments
English summary
Built in 8th century, 1200 years old statue of Lord Parshwanath gets in kaushambi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X