कहा- अब बन गया हूं लड़की, मार्कशीट करो चेंज...चौंक गया यूपी बोर्ड
ना बोर्ड की गलती है, न कोई त्रुटि सुधार करनी है। बल्कि लड़का भौतिक संरचना से अब लड़की बन गया है। अब बोर्ड के पूरे महकमे में हड़कंप मचा है। क्योंकि इस पर तो कोई नियम बना ही नहीं था।
इलाहाबाद। इलाहाबाद स्थित यूपी बोर्ड के दफ्तर में एक अजब-गजब मामला आया है। लड़का जेंडर बदलवाकर लड़की बन चुका है और अब चाहता है कि बोर्ड भी उसे लड़की माने। इस समस्या को सुलझाने में बोर्ड के कर्मचारी तो परेशान है ही अधिकारी भी ये नहीं समझ पा रहे हैं कि वो क्या करें। क्योंकि यूपी बोर्ड के 98 साल में ये ऐसा पहला वाक्या है। जब उससे किसी ने जेंडर बदलने को कहा है।
ऐसा नहीं है कि मार्कशीट में बोर्ड ने कभी मेल को फीमेल नहीं लिखा लेकिन तब त्रुटिपूर्ण समस्या सामने आती थी। उसे नियमों के तहत एक प्रार्थना पत्र व अभिलेखों के आधार पर सुधार दिया जाता था लेकिन यहां तो मामला ही उल्टा है। ना बोर्ड की गलती है, न कोई त्रुटि सुधार करनी है। बल्कि लड़का भौतिक संरचना से अब लड़की बन गया है। अब बोर्ड के पूरे महकमे में हड़कंप मचा है। अधिकारी कर्मचारी सब अपना दिमाग लड़ा रहे हैं। बोर्ड की गाइडलाइंस पढ़ी जा रही हैं। कानूनी सलाह ली जा रही है। हर तरह से ये प्रयास किया जा रहा है कि समस्या का कोई जवाब दिया जा सके। बोर्ड को ये समझ नहीं आ रहा कि वो जेंडर बदलने के लिए दिए प्रार्थना पत्र पर करे क्या?
इस मामले में यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव बताती हैं कि लिंग परिवर्तन होने पर मार्कशीट में बदलाव का मामला इससे पहले कभी नहीं आया है। ये पहली बार है जब किसी स्टूडेंट ने जेंडर चेंज कराने के बाद प्रार्थना पत्र दिया है कि बोर्ड द्वारा प्रदत्त प्रमाणपत्र में भी जेंडर चेंज किया जाए।
2011 में पास की है परीक्षा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद से वर्ष 2010-11 में एक छात्र राहुल (नाम बदला हुआ) ने लखनऊ स्थित कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। उसने अब इलाहाबाद स्थित बोर्ड के दफ्तर में ईमेल के साथ एक एप्लीकेशन दिया। जिसमे रिक्वेस्ट की है कि उसने जेंडर बदल लिया है। इसलिए बोर्ड भी उसे लड़की माने और प्रमाणपत्र में लड़की यानी फीमेल लिखे। इस प्रार्थनापत्र से दो दिनों में हड़कंप मचा दिया। क्योंकि कर्मचारियों ने रिक्वेस्ट पर एक्शन के लिए अधिकारियों को प्रत्यावेदन फॉरवर्ड किया तो अधिकारी इस अजीबो-गरीब रिक्वेस्ट पर कार्रवाई को सकते में आ गया। इस एप्लीकेशन के साथ बोर्ड में एक नई बहस शुरू हो गई है। क्योंकि ऐसे मामले में कार्रवाई क्या की जाए। ये बोर्ड के नियमों को जानकार भी स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं।
नहीं है कोई नियम
दरअसल जब 1921 में उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट बना तब किसी को पता भी नहीं था कि भविष्य में लिंग परिवर्तन संभव हो सकेगा। ऐसे में इस एक्ट में लिंग परिवर्तन संबंधी किसी नियम का जिक्र नहीं किया गया। अब समस्या भी यही है। जब नियम ही नहीं तो बोर्ड कार्रवाई कैसे करे। सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि बोर्ड के कानूनी सलाहकारों से सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। अभी तक ऐसा कोई सुझाव या नियम नहीं सामने आया है। जिसके तहत लिंग परिवर्तन कराने पर स्टूडेंट के प्रमाणपत्र में लिंग परिवर्तन हो सके।
ये भी जान लें आप...
कपड़े बदलकर लड़की बन जाना, बहुरूपिया, जादू व किस्से कहानियों में मर्द का स्त्री या स्त्री का पुरुष में परिवर्तन का जिक्र होता रहा है। लेकिन आज से 100 साल पहले किसी ने सोंचा भी नहीं था कि लिंग परिवर्तन कर शारीरिक रूप से भी लोग हमेशा के लिए लड़के से लड़की बन सकेंगे। शायद ऐसी जरूरत भी नहीं समझी गई होगी। इसलिए लिंग परिवर्तन से संबंधित नियम कानून भी नहीं बनाए गए। लेकिन अब ऐसे नियम-कानून न होने से क्या और कैसी समस्या सामने आएंगी। ये इस घटना से जाहिर हो गया है।
वैसे आपको बता दें कि इस मामले में भी कम गुणा-गणित नहीं हो रही है। तर्क पर तर्क चल रहे हैं। कहा जा रहा है परीक्षा के समय तो स्टूडेंट लड़का था। बोर्ड के जानकारों ने तो मार्कशीट में जेंडर चेंज कराने के लिए छात्र से मेडिकल रिपोर्ट लेने का सुझाव भी दिया था। लेकिन छात्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कोई भी दस्तावेज देने से साफ मना कर दिया है। बताया ये जा रहा है राहुल ने बीटेक में एडमीशन लिया है। कॉलेज में भी नाम बदलने के लिए उसने एप्लीकेशन दिया है। ऐसे में उसे हाईस्कूल के प्रमाणपत्र पर परिवर्तन आवश्यक है। बोर्ड के सामने ये आज तक की सबसे बड़ी चुनौती है। जिसमे उलझा डिपार्टमेंट इससे पार पाने की हर तरकीब ढूंढ रहा है।
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