द्रोपदी मुर्मू को लेकर मायावती के रूख को भांपने में जुटी बीजेपी, जानिए क्या है इसका 2024 से कनेक्शन
लखनऊ, 23 जून: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार के रूप में नामांकन न केवल सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्गों और महिला आबादी को मजबूत करने के लिए भाजपा के आक्रामक प्रयासों को दर्शाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष के खिलाफ इसे हथियार भी बनेगा। राजनीतिक पर्यवेक्षकों की माने तो बीजेपी मायावती का मूड भांपने में जुटी है कि वह बीजेपी के उम्मीदवार का समर्थन करेंगी या नहीं।

दरअसल राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर मायावती पर इतना दबाव रहेगा कि वह मुर्मू का समर्थन करती हैं या विरोध करती हैं। यदि मायावती उनकी उम्मीदवारी का विरोध करेंगी तो 2024 के चुनाव में बीजेपी इसको मायावती के खिलाफ भुना सकती है। मायावती को काफी सोच समकझकर राष्ट्रपति की उम्मीदवारी को लेकर अपना स्टैंड लेना होगा क्योंकि उनके रुख पर बीजेपी की निगाहें पूरी तरह से टिकी हुईं हैं। हालांकि बसपा के सूत्रों की माने तो इस बात की संभावना कम ही है कि मायावती द्रौपदी मुर्मू का विरोध करेंगी।
दरअसल विधायकों (403) और सांसदों (80 लोकसभा और 31 राज्यसभा) की संख्या के मामले में यूपी सबसे बड़ा राज्य है और राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इलेक्टोरल कॉलेज में यूपी के कुल वोटों का लगभग 15% हिस्सा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को मतगणना होगी। सभी राज्यों के विधायकों, सांसदों (लोकसभा और राज्यसभा) के कुल 4,809 मतदाता मतदान करेंगे। यूपी के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है। हालांकि, सभी राज्यों में सांसदों का मूल्य 700 है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि इस चुनाव में जीत एडीए के उम्मीदवार की स्थिति एक तरह से मजबूत है लेकिन बावजूद इसके मुर्मू की उम्मीदवारी पर बसपा प्रमुख मायावती की स्थिति पर नजर रखी जाएगी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "यहां तक कि उनका (मायावती का) प्रतीकात्मक इशारा भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उन्होंने आदिवासियों सहित सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्गों की मुक्ति पर लगातार जोर दिया है।" यूपी में जहां बसपा का सिर्फ एक विधायक है, वहीं उसके पास लोकसभा के 10 और राज्यसभा के तीन सांसद हैं। राजस्थान में पार्टी के छह विधायक थे लेकिन 2019 में उनका कांग्रेस में विलय हो गया।
यूपी भाजपा के प्रवक्ता हीरो बाजपेयी ने कहा कि पार्टी हमेशा विनम्र पृष्ठभूमि के लोगों को प्रेरित करती रही है। मुर्मू की उम्मीदवारी उस दिशा में एक और कदम है। दरअसल वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 2017 में भाजपा के उम्मीदवार थे। कोरी दलित, कोविंद पूर्व में बिहार के राज्यपाल थे और उन्हें विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के खिलाफ खड़ा किया गया था, जो दलित भी थीं।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि भाजपा की रणनीति समाजवादी पार्टी को भी सोच समझकर फैसला लेने के लिए मजबूर करेगी। मायावती के साथ ही अखिलेश पर भी इस बात का दबाव रहेगा कि वह एक आदिवासी महिला का समर्थन करते हैं या नहीं।