नेताओं की नई पीढ़ी को राजनीतिक विरासत देने के पक्ष में नहीं बीजेपी, जानिए किसके मंसूबों पर फिरेगा पानी
लखनऊ, 20 जनवरी: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिरने वाला है क्योंकि बीजेपी आलाकमान ने साफ तौर पर कह दिया है की पार्टी नेताओं की नई पीढ़ी को फिलहाल राजनीतिक विरासत देने के फेवर में नहीं हैं। दरअसल कई इसे वारिथ नेता और सांसद हैं जो अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने बेटों को टिकट देने की सिफारिश कर रहे हैं।

बीजेपी के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ने साफतौर पर कह दिया है कि किसी भी नेता के नई पीढ़ी को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यदि पार्टी ने परिवारवाद को रोकने के इस फार्मूले पर काम किया तो कई दिग्गज नेताओं के परिवारीजन चुनाव लडने से वंचित रह जायेंगे ।इनमे राजसथन के राज्यपाल कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्रा, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के बेटे दिलीप दीक्षित और सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा शामिल हैं।
वहीं दूसरी ओर रीता जोशी के बेटे मयंक जोशी, केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर के बेटे विकास किशोर और प्रभात किशोर और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के बेटे सुब्रत शाही को टिकट मिलन काफी मुश्किल लग रहा है। वहीं पहले दो चरणों में पार्टी ने जिन नेताओं के बेटों को टिकट मिला है उसमे राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को नोएडा से, एटा सांसद राजबीर सिंह के बेटे संदीप सिंह को अतरौली से दोबारा टिकट दिया गया है।
पंचायत चुनाव में बदलना पड़ा था निर्णय
हालाकि इससे पहले भी बीजेपी ने पंचायत चुनाव में किसी मंत्री, सांसद और विधायक या पदाधिकारियों के परिवारीजनों को टिकट नहीं देने का एलान किया था। लेकिन छेत्र पंचायत और जिला पंचायत सीटों पर मिली हार के बाद बीजेपी अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। इसके बाद बड़ी संख्या में विधायकों , सांसदों और मंत्रियों के परिजनों को टिकट दिया गया था। जिसका फायदा बीजेपी को मिला था।
रीता बहुगुणा ने खोल रखा है मोर्चा
चुनाव में टिकटों को लेकर चल रही मारामारी और आलाकमान के सख्त रुख के वावजूद रीता जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए लखनऊ कैंट से टिकट मांग रहीं हैं। रीता ने साफतौर पर कह दिया है की पार्टी चाहेगी तो वो सांसदी से इस्तीफा देने को तैयार हैं और उनकी जगह मयंक जोशी को लखनऊ कैंट सीट से टिकट दिया जाय। रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी की सांसद हैं। वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। रीता का कहना है कि उनका बेटा मयंक जोशी 2009 से राजनीति में एक्टिव है और लोगों के लिए काम कर रहा है। ऐसे में उनके बेटे मंयक जोशी को टिकट मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मयंक जोशी ने लखनऊ कैंट से टिकट के लिए आवेदन किया है, लेकिन अगर पार्टी ने प्रति परिवार केवल 1 व्यक्ति को टिकट देने का फैसला किया है, तो मयंक को टिकट मिलने पर मैं अपनी वर्तमान लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दूंगी।
'मैं हमेशा बीजेपी के लिए काम करती रहूंगी'
जोशी ने आगे कहा, ''मैंने यह प्रस्ताव बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर दिया है। मैं हमेशा बीजेपी के लिए काम करती रहूंगी। पार्टी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करने या न करने का विकल्प चुन सकती है। मैंने कई साल पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी।
लखनऊ कैंट से बीजेपी के कई दावेदार
बता दें, लखनऊ कैंट सीट को लेकर बीजेपी में कई दावेदार हो गए हैं। रीता जोशी के अलावा बीजेपी में अपने बेटों के लिए टिकट मांगने की लिस्ट में बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल, केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम शामिल है। इन सभी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने बेटों कि लिए टिकट की मांग की है।