गोरखपुर उपचुनाव: जानिए किन मामलों में बाकी प्रत्याशियों से अलग हैं उपेंद्र शुक्ला, क्यों लगाया BJP ने उनपर दांव
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। उपेंद्र शुक्ला पूर्वांचल का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा है और जमीनी नेता होने के साथ-साथ काफी लोकप्रिय भी हैं। सोशल मीडिया पर इनका आईटी सेल बेहद ही सक्रिय रहता है और इनके हर कार्यक्रम की ब्रांडिंग भी होती रहती है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बढ़ी नजदीकी के बाद उपेंद्र अमित शाह की भी नजरों में बने हुए थे। कई ऐसे मौके आए जब देश के इन शीर्ष नेताओ के साथ उपेंद्र की गुफ्तगू करती तस्वीरें चर्चा में रही थीं। उपेंद्र शुक्ला के बढते कद ने ही उन्हे पहली बार देश की सर्वोच्च पंचायत में जाने का रास्ता प्रशस्त किया है और अब 11 मार्च को उनका भाग्य ईवीएम में कैद होगा। फिलहाल भाजपा ने फूलपुर में जहां बैकवर्ड कार्ड खेलकर दलित हितैषी होने का संदेश भेजा। वहीं गोरखपुर में अपने सबसे मजबूत वोट बैंक ब्राह्मणों को एकजुट रखने के लिए भाजपा ने उपेंद्र शुक्ला को भी मैदान में उतार दिया है।
उपेंद्र दत्त का राजनीतिक करियर
बतौर संगठन नेता उपेंद्र का राजनीतिक करियर काफी बड़ा है और हमेशा वह चुनावी जिम्मेदारियां निभाते रहे हैं। यह पहला मौका है जब उन्हें भाजपा ने टिकट दिया है और उन्हें गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव में कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गई है। फिलहाल उपेंद्र दत्त शुक्ला को प्रत्याशी बनाया जाना कोई अचानक से हुआ फैसला नहीं था। इसके पीछे उनके वर्षों की मेहनत और कर्मठता थी। गौरतलब है कि उपेंद्र गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं और गोरखपुर में भाजपा की हर छोटी-बड़ी गतिविधि में सबसे आगे रहते हैं। हर कार्यक्रम में उनकी मंच पर उपस्थिति देखी गई है और भाजपा की लोकल बॉडी को वह लीड करते हैं। एक सवाल हमेशा चर्चा में रहा है कि योगी आदित्यनाथ के साथ उपेंद्र के संबंध अच्छे नहीं थे। हालांकि प्रत्याशी घोषित करने में योगी आदित्यनाथ की सहमति के बाद ही शुक्ला को टिकट दिया गया है और इससे यह साफ है कि पुराने विवादों व संबंधों को भी पार्टी की नीति के आगे दरकिनार कर दिया गया है।
पहली बार मिला टिकट
राज्यसभा सांसद और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के बेहद करीबी उपेंद्र संगठन में आला दर्जे के नेता हैं और कार्यकर्ताओं के बीच भी खासे लोकप्रिय हैं। बीते विधानसभा चुनाव में उन्हे टिकट दिया जाना लगभग तय हो गया था, लेकिन अंतिम समय में उनका पत्ता कट गया। कौड़ीराम विधानसभा से उपेन्द्र दो बार बिना टिकट के ही चुनाव लडे़ पर जीत दर्ज नहीं कर सके।
सोशल मीडिया पर हैं काफी एक्टिव
मार्च में पीएम मोदी से उपेंद्र शुक्ला ने मुलाकात की थी उसके बाद उनकी कुछ तस्वीरें भी इस सोशल मीडिया पर छाई हुई थीं। जिसके बाद से ही संभावना थी कि अब आने वाले चुनावी दौर में उपेंद्र को कुछ बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं और उसी अनुक्रम में अब संगठन उपेंद्र को गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि इससे पहले जुलाई महीने में जब अमित शाह का दौरा हुआ था उस वक्त उपेंद्र शुक्ला को योगी आदित्यनाथ से भी ज्यादा तरजीही उपेंद्र शुक्ला को दी गई थी। उस वक्त भी उपेंद्र शुक्ला अमित शाह के बेहद करीबी नजर आए और उनके साथ बढ़ती नजदीकी के मायने अब जाकर साफ हुए हैं।
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