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SCAM: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में बड़ी धांधली, 279 आधार कार्डों के जरिए हुआ पूरा खेल

By असगर नकी
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सुलतानपुर। दिल्ली की सत्ता हासिल करने से पूर्व देश के प्रधान सेवक ने कहा था कि 'न खाऊंगा-न खानें दूंगा', ये शायद चुनावी बोल थे जो सरकारी तंत्र के आगे गूंगे पड़ गए। वो इसलिए कि केंद्र तो केंद्र प्रदेश में भी भगवा सरकार है, बावजूद इसके सरकारी धन का खुलेआम बंदरबांट हो रहा और सरकार है कि आंखों पर पट्टी बांध कर बैठी है। ज़िले में पिछले तीन महीनों के अंदर एक के बाद एक तीन स्कैम सामने आ चुके हैं। पहले श्रमिकों की मौत पर मिलने वाले धन में 14 लाख रूपए हड़प करने, फिर एनएच 56 पर बन रहे फोर लेन में 200 करोड़ का घोटाला और अब केन्द्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में बड़ी धांधली का मामला सामने आया है।

Big scam in National Food Security scheme through 279 Aadhaar card in sultanpur

सस्ते गल्ले की 3 दुकानों से 279 कार्डों में हुआ यह खेल
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में शासन की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल(ई पॉस) मशीन लगा दी गई है। यह मशीन कार्ड धारकों का सत्यापन करने के बाद ही उनके राशन कार्ड पर राशन खारिज करती है। इसके लिए पात्र को अंगूठा लगाना होता है, उसकी पुष्टि आधार कार्ड के लिंक की प्रक्रिया से की जाती है। इसके बाद ही उसे वास्तविक पात्र मानते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिया जाता है। जिले के नगर पालिका क्षेत्र में दुकानदारों ने बोगस राशन कार्ड से राशन निकालने के लिए फर्जी आधार लगाने का हथकंडा अपनाया है। यहां 3 सस्ते गल्ले के दुकानदारों ने 279 कार्डों में यह खेल किया है, यह बात प्रथम जांच में सामने आई है। माना जा रहा है कि नगर पंचायतों में भी यह खेल बड़े पैमाने पर हुआ है। जिसकी वजह से कोटेदार मालामाल हुए हैं। अफसरों की भी जेब गर्म हुई है और गरीबी रेखा एवं इससे नीचे के परिवारों का हक बिचौलिए खा गए हैं।

कार्रवाई से आपूर्ति विभाग में मचा हड़कंप
मामला जब जिलाधिकारी विवेक कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने करोड़ों की अनियमितता को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल डीएसओ की लॉगिन से फर्जी लिंकेज प्रक्रिया फाइनल होने की वजह से मामला संदिग्ध हो गया। जिस पर डीएसओ की संलिप्तता की भी जांच की जाएगी, साथ ही सभी डाटा एंट्री ऑपरेटरों और डीएसओ को डीएम कार्यालय तलब किया गया है। जिलाधिकारी विवेक ने बताया कि किसी भी दशा में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। कोटेदार और डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। कार्रवाई से आपूर्ति विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

मृतक श्रमिकों के डकारे गए 14 लाख रुपये
आपको बता दें कि जून माह में श्रम विभाग में हुए घोटालों की परत खुली थी जहां 7 मृतक श्रमिकों के 14 लाख रुपये विभाग द्वारा डकार लिए गए थे। दिलचस्प बात ये कि ये पैसा विभाग के सहायक पटल से लेकर तात्कालिक डीएम संगीता सिंह की साइन से पात्र के बजाय अपात्रों के खातों में भेजा गया थे। वर्तमान में आईएएस संगीता सिंह अपर आयुक्त श्रम हैं।

NH 56 पर बन रहे फोरलेन में हुआ 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला
अभी ये मामला ठंडा भी नही हुआ था कि सुल्तानपुर में बन रहे फोरलेन नेशनल हाईवे-56 के मुआवजे में घोटाले का मामला सामने आया था। सुल्तानपुर के जिलाधिकारी की शुरूआती जांच में इस मामले का खुलासा हुआ था। जिसमें करीब 200 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की आशंका जताई जा रही थी। बताया गया कि सुल्तानपुर में एनएच-56 पर बन रहे फोरलेन की लंबाई तकरीबन 65 किलोमीटर है, जिसमे कुल 75 गांव प्रभावित हो रहे है। इन प्रभावित गांव के करीब 10 हज़ार काश्तकारों को 1233 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाने हैं। अब तक 1137 करोड़ रुपयों का मुआवजा वितरित किया जा चुका है।

डीएम ने बताया था कि जिले में एनएच 56 पर कुल 5 बाईपास बनने थे, जिसमे 75 में से 38 गांव प्रभावित हो रहे थे। इन 38 गांव पर न ही कोई नेशनल हाइवे है और न ही स्टेट हाइवे। बावजूद इसके इन 38 गांव के करीब 6 हज़ार काश्तकारों को करीब 200 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया। डीएम ने बताया कि इसकी पूरी जिम्मेदारी सक्षम अधिकारी की थी जिन्हें स्थलीय निरीक्षण कर तहसील से गाटा सख्या मिलाकर तब मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए थी। फिलहाल जिलाधिकारी ने उन ज्यादा लिए हुए करीब 6 हजार काश्तकारों से 200 करोड़ रुपयों के रिकवरी की बात कहीं है। साथ ही साथ डीएम ने मामले में दोषी पाये जाने वाले अधिकारियो-कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।

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English summary
Big scam in National Food Security scheme through 279 Aadhaar card in sultanpur
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