सुनील राठी नहीं ये है मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे का मास्टर मांइड- करीबी का दावा
मऊ। पूर्वांचल के कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी की 9 जुलाई को बागपत जेल में हत्या किसी और ने नहीं बल्कि मुख्तार अंसारी ने कराई है। इस बात का दावा मुख्तार के प्रबल प्रतिद्वंदी अशोक सिंह ने किया है। अशोक सिंह ने कहा कि मुख्तार अंसारी हमेशा उन लोगों को मरवा देता है जो उनके लिए काम करते हैं।
अशोक सिंह ने दावा किया है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या उसके गुरु मुख्तार अंसारी ने ही कराई है। कहा कि इधर मुन्ना बजंरगी की राजनीतिक महत्वकांक्षा काफी बढ़ गई थी। वह गाजीपुर से लेकर बनारस तक के पूर्वांचल के ठेकों में हस्तक्षेप भी करने लगा था। इससे अंसारी की नाक के नीचे मुन्ना भी पहुंच हो चली थी। उसके राजनीति में सक्रिय हो जाने के बाद तो यह दर्द और बढ़ गया था। अशोक सिंह ने कहा कि कृष्णानंद राय हत्याकांड में गवाही भी होनी थी। उन्होंने आशंका जतायी कि गवाही खिलाफ न हो जाए इस डर से ही अंसारी ने घटना को अंजाम दिलवाया होगा।
अशोक सिंह ने दावा किया कि मुन्ना बजरंगी ने डीपी यादव के भाई और उनके रिश्तेदारी की हत्या की थी। डीपी यादव और उनकी पत्नी को मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर से चुनाव लड़वाया था। उन्होंने कहा कि जेल में हत्या का यह सिलसिला कोई नया नहीं है, यह वो लोगों है जिन्होंने इस परंपरा की शुरूआत की है। अशोक सिंह ने कहा कभी सुनील राठी और मुख्तार के शूटर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा दोनों साथ रहा करते थे और सुनील राठी खुद मुख्तार का शूटर है। ऐसे में मुख्तार के आदमियों की हत्या भी मुख्तार का आदमी ही कर सकता है जैसा कि बागपत जेल में हुआ।
आखिर
कौन
है
अशोक
सिंह
अशोक
सिंह
मऊ
के
ठेकेदर
अजय
प्रकाश
सिंह
उर्फ
मन्ना
सिंह
के
भाई
हैं।
मन्ना
सिंह
की
हत्या
29
अगस्त
2009
को
करा
दी
गई
थी।
हत्या
का
आरोप
मुख्तार
अंसारी
पर
लगा
था।
मन्ना
सिंह
पीडब्ल्यूडी
के
ठेकेदार
थे
और
कभी
मुख्तार
अंसारी
के
काफी
करीबी
भी
माने
जाते
थे।
भाई
अशोक
सिंह
की
मानें
तो
मन्ना
के
बढ़ते
काम
और
महत्वकांक्षा
को
देखकर
उन्हें
रास्ते
से
हटा
दिया
गया।
इस
मामले
के
ज्यादातर
गवाह
या
तो
हटा
दिए
गए
या
फिर
मुकर
गए।
इस
हत्याकांड
में
मुख्तार
अंसारी
को
120
बी
का
आरोपी
बनाया
गया।