शबीना मामले को हाईकोर्ट ने नहीं माना कानूनी विवाद, आपसी समझौते से दिया सुलह का आदेश
इलाहाबाद। यूपी के बरेली में शबीना प्रकरण केस का रुख अब मीडिएशन सेंटर तय करेगा। 3 महीने में इस केस को मीडिएशन सेंटर हल करायेगा और इस अंतराल में शबीना द्वारा दर्ज कराया गये दुराचार के केस में जांच भी स्थगित रहेगी। इस बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आदेश जारी करते हुये इस मामले को प्रथम दृष्टया वैवाहिक विवाद माना है। हाईकोर्ट के इस फैसले से आरोपी पक्षों को जहां राहत मिली है। वहीं, इस प्रकरण में अब बीच का रास्ता निकलने की उम्मीद है।
क्या हुआ हाईकोर्ट में
गौरतलब है कि शबीना ने हलाला और अप्राकृतिक संबंधों का आरोप लगाते हुए अपने पति और ससुर के खिलाफ थाना किला में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसे शबीना के पति वसीम ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई जस्टिस आरडी खरे व जस्टिस नीरज खरे की बेंच ने शुरू की तो यह मामला वैवाहिक विवाद से संबंधित माना गया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस चर्चित प्रकरण को मीडिएशन सेंटर में 3 महीने के अंदर हल करने के साथ इतने समय के लिये पुलिस विवेचना पर रोक लगा दी है।
खास
बातें
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
सुनवाई
के
दौरान
दलील
दी
गई
कि
यह
मामला
सुलह
समझौते
से
हल
हो
सकता
है।
क्योंकि
इसमे
वैवाहिक
विवाद
ही
बढ़ने
से
यह
स्थिति
उत्पन्न
हुई
है।
हाईकोर्ट
ने
भी
इस
दलील
को
सही
माना
और
इसे
मीडिएशन
सेंटर
में
सुलझाना
को
कहा।
कोर्ट
ने
आरोपी
पति
वसीम
को
तीन
हफ्ते
के
अंदर
15
हजार
रुपये
मीडिएशन
सेंटर
में
जमा
करने
को
कहा
है,
अगर
15
हजार
रुपये
मीडिएशन
सेंटर
में
नहीं
जमा
होता
तो
पुलिस
विवेचना
स्वत:
ही
शुरू
हो
जायेगी।
फिलहाल
मीडिएशन
सेंटर
में
3
माह
के
अंदर
यह
विवाद
निपटाया
जाना
है।
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