मोदी की नोटबंदी से ठप कारोबार को अखिलेश की साइकिल ने दी रफ्तार
जब चुनाव आयोग ने 'साइकिल' चुनाव चिन्ह के फैसले को अखिलेश यादव के पक्ष में दिया, इसका असर कारोबार पर भी देखने को मिला।
मेरठ।
समाजवादी
पार्टी
में
पिछले
कुछ
माह
से
चल
रही
दो
फाड़
उसके
बाद
मुलायम
सिंह
और
अखिलेश
यादव
के
बीच
पार्टी
के
सिम्बल
'
साइकिल
'
को
लेकर
चल
रही
जंग
के
बाद
चुनाव
आयोग
ने
जब
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
को
साइकिल
का
हक़दार
बनाया
तो
मानों
अखिलेश
समर्थकों
में
ख़ुशी
की
लहर
दौड़
गई
और
देखते
ही
देखते
अखिलेश
यादव
प्रदेश
के
सबसे
बड़े
नेता
के
तौर
पर
बनकर
उभरे।
अखिलेश
यादव
को
साइकिल
मिलने
के
बाद
से
ही
चुनाव
सामग्री
विक्रेताओं
के
चेहरे
खिल
उठे
हैं।
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नफरत
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के
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पर
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ने
कहा,
बौखलाई
है
सपा
मेरठ में चुनाव सामग्री बेचने का कार्य करने वाले व्यापारियों का कहना है कि पहले नोटबन्दी और उसके बाद सपा में हुए घमासान ने उनका कारोबार ठप सा कर दिया था। लेकिन जब चुनाव आयोग ने 'साइकिल ' का फैसले को अखिलेश यादव के पक्ष में दिया इसका असर इनके कारोबार पर भी देखने को मिला । पहले जहाँ पार्टी का कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में था तो पार्टी से जुडी चुनाव सामग्री जैसे झंडे, बैनर एवं पोस्टर आदि बनाने के ऑर्डर काफी कम हो गए थे सेल बहुत कम हो गई थी । लेकिन जबसे अखिलेश को साइकिल मिली है तबसे कार्यकर्ताओं में उत्साह है और अखिलेश को लोग भी बहुत पसंद कर रहे हैं चूँकि चुनावी सीज़न है ऐसे में अब चुनावी सामग्री के लिए ऑर्डर भी आने लगे हैं और कारोबार पटरी पर लौट आया है ।
ऑर्डर देने वाले झंडो , बैनरो और पोस्टरों पर ज़्यादातर अखिलेश यादव की तस्वीर ही देखना चाहते हैं और उन्हें ज़्यादा पसन्द कर रहे हैं । चुनाव सामग्री बनाने वाले कारीगरों ने बताया कि पहले उनकी मजदूरी बहुत कम हो गई थी लेकिन अब जबसे अखिलेश को साइकिल मिली है तबसे मजदूरी 40 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है । Read Also: भाजपा की परिवर्तन रथ यात्रा में चल रहा था खेल, देखिए वीडियो