गांव वालों ने गाजे-बाजे के साथ निकाली सांड की अंतिम यात्रा, सबका दुलारा था सींग वाला ये 'खड़क सिंह'
लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के निघासन तहसील के खैरहनी गांव में एक सांड़ की मौत पर हजारों लोग गमगीन हो गए। खड़क सिंह नाम का यह सांड ग्रामीणों में नंदी का अवतार माना जाता था। बीते 23 अक्टूबर को अपनी देखभाल करने वाले छोटेलाल की मौत के बाद इस सांड ने खाना-पीना छोड़ दिया था। अंतत: 10 साल की उम्र में खुद भी चल बसा।
शोकाकुल गांववालों ने दी ससम्मान अंतिम विदाई
खैरहनी
गांव
के
स्थानीय
लोगों
ने
बताया
कि
करीब
10
साल
पहले
जब
यह
सांड
5
साल
का
था,
तब
भटकते
हुए
यहां
पहुंचा
था।
शांत
स्वभाव
के
कारण
कुछ
ही
दिन
में
गांवभर
का
चहेता
हो
गया।
लोग
उसे
नंदी
मानकर
पूजते
थे।
अब
जब
वह
नहीं
रहा
तो
उसके
अंतिम
संस्कार
में
पूरा
गांव
आ
उमड़ा।
अंतिम
संस्कार
के
दौरान
अंतिम
दर्शन
के
लिए
सड़क
के
दोनों
तरफ
भारी
संख्या
में
भीड़
मौजूद
रही।
गाजे-बाजे
भी
शामिल
किए।
1000 लोगों को खाना भी खिलाया
सांड
की
मौत
पर
शोक
भोज
भी
आयोजित
किया
गया।
पूरे
विधि-विधान
से
ग्रामीणों
ने
शोक
भोज
भी
दिया,
जिसमें
हजार
भूखे
लोगों
को
भोजन
परोसा
गया।
सांड
की
याद
में
एक
समाधि
स्मारक
बनाने
के
लिए
15
हजार
रुपये
जुटाए
गए
हैं।
एक
ग्रामीण
रामसरण
ने
रोते
हुए
कहा
कि
खड़क
सिंह
एक
परिवार
के
सदस्य
की
तरह
था।
जहां
उसे
दफनाया
गया
है,
वहीं
उसकी
याद
में
एक
समाधि
स्मारक
बनाया
जाएगा।