वाराणसी स्टेशन पर मिले यौन शक्ति बढ़ाने वाले जीव, खोपड़ी और नाखूनों को बेचा जाता था विदेश में
वाराणसी। नगर में इन दिनों कछुओं की तस्करी दिनों दिन जोरों से बढ़ती जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार इन कछुओं के नाखून एव खोपड़ी के हिस्से की सेक्सवर्धक दवा बनाई जाती है। साथ ही इनके मांस को खाने में इस्तेमाल किया जाता है। इनके मांस के साथ-साथ नाखून की भी विदेशों मे काफी डिमांड रहती है। ऐसे ही गिरोह का कैंट जीआरपी भंडाफोड़ कर 124 कछुओं को ट्रेवेल बैग में पाँच बोरे की संख्या में बरामद किया है। साथ ही रेलवे जीआरपी ने पश्चिम बंगाल के श्यामल किरनीय नामक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है। पूछताछ में श्यामल ने बताया कि कई सालों से कछुओं की तस्करी में कैरियर की भूमिका निभाया है और इन कछुओं की कीमत अंतराष्ट्रीय मार्केट में लाखों रुपये से ऊपर है।
जनरल
डिब्बो
में
रख
ले
जाते
है
तस्करी
का
सामान
वहीं
इस
पूरे
मामले
पर
जीआरपी
वाराणसी
कैंट
के
इंचार्ज
जय
प्रकाश
सिंह
ने
बताया
कि
जब
देहरादून
से
हावड़ा
जाने
वाली
दून
एक्सप्रेस
बनारस
कैण्ट
स्टेशन
के
प्लेटफार्म
नम्बर
8
पर
आई
तो
रूटिंग
में
चेकिंग
की
जा
रही
थी।
जनरल
डिब्बों
में
श्यामल
पांच
एयर
बैग
को
लेकर
बैठा
हुआ
था।
सिपाहियों
के
साथ
मौके
पर
ही
जब
पूछताछ
शुरू
हुई
तो
ट्रेन
से
कूद
कर
भागने
की
कोशिश
करने
लगा।
पकड़े
जाने
के
बाद
उसने
बताया
कि
जौनपुर
शहगंज
के
इन
कछुओं
को
लेकर
चढ़ा
था
जिसे
हावड़ा
के
रास्ते
बंगलादेश
में
सप्लाई
देनी
थी।
यही
नहीं
इनका
गिरोह
कछुओं
की
तस्करी
में
हमेशा
ही
जनरल
कोच
के
डिब्बों
का
ही
इस्तेमाल
करता
है
और
जब
कभी
पुलिस
की
रेड
पड़ती
है
तो
भागने
में
आसानी
होती
है।
वन
जीव
संरक्षण
अधिनियम
में
भेज
गया
जेल
पकड़े
जाने
के
बाद
जीआरपी
कैंट
ने
श्यामल
को
प्रतिबंधित
कछुओं
की
तस्करी
करते
हुए
रंगे
हाथ
पकड़े
जाने
पर
धारा
9/39/41/42/51
और
वन
जीव
संरक्षण
अधिनियम
1972
के
अंतर्गत
कर्रवाई
करते
हुए
जेल
भेज
दिया
है।
साथ
ही
सभी
124
कछुओं
को
सारनाथ
के
वन
विभाग
की
टीम
के
हवाले
कर
दिया
है।
इन
कछुओं
को
वाराणसी
के
गंगा
नदी
की
छोड़
दिया
जाएगा
क्योंकि
काशी
के
वरुणा
से
लेकर
अस्सी
तक
के
घाट
इन्ही
कछुओं
के
लिए
कछुआ
सेंचुरी
के
अंतर्गत
आते
हैं
और
इनके
किसी
भी
तरीके
के
खनन
पर
रोक
लगी
हुई
है।
साथ
ही
इस
खुलासे
ने
ये
साफ़
कर
दिया
है
कि
लगातार
इन
कछुओं
की
डिमांड
विदेशो
में
लगातार
बढ़ती
जा
रही
है
और
इन
बेजुबानों
के
शरीर
से
सेक्सवर्धक
दवाओं
के
साथ
ही
मांस
खाने
और
नाखून
तक
कि
तस्करी
के
लिए
वाराणसी
और
मुगलसराय
रेलवे
स्टेशन
हब
बन
चुका
है।
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