बसपा के बाहुबली मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक, अस्पताल में भर्ती, जान को खतरा
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लखनऊ। यूपी के मऊ सदर सीट से बीएसपी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को दिल का दौरा पड़ा है। वो बांदा जेल में बंद थे। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही है। मुख्तार अंसारी को अस्पताल में देखने गईं तो उन्हें भी वहां दिल का दौरा पड़ गया। दोनों एक ही अस्पताल में भर्ती हैं। आपको बता दें बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के जुर्म में मुख्तार अंसारी अभी जेल में हैं। कृष्णानंद राय पर 29 नवंबर 2005 को एके 47 रायफल से गोलियां चलाईं गई थीं। उनके शरीर से 67 गोलियां पाई गईं थीं। दिनदहाड़े हुई इस हत्या में कुल छह लोग मारे गए थे। कृष्णानंद राय मोहम्मदाबाद सीट से विधायक थे।
मुख्तार अंसारी की हालत देख सदमे में आईं पत्नी और उन्हें भी पड़ा दिल का दौरा
मुख्तार अंसारी जब अपनी पत्नी से जेल में मुलाकात कर रहे थे तो चाय पीने के दौरान उनको दिल का दौरा पड़ा। उनकी तबीयत खराब होते देख उनकी पत्नी को भी सदमा लगा और उनको भी दिल का दौरा पड़ गया जिसके बाद प्रशासन ने दोनों लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। डॉक्टरों को कहना है कि उनकी पत्नी को सदमे के चलते हार्ट अटैक आया है।
लखनऊ किया जा सकता है रेफर
जानकारी के मुताबिक मुख्तार अंसारी और उनकी पत्नी को बांदा ट्रांमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। बांदा में मेडिकल सुविधाओं की कमी को देखते हुए दोनों को लखनऊ रेफर किया जा सकता है। अंसारी साढ़े 8 महीने से बांदा जेल में बंद हैं. इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि विधायक मुख्तार अंसारी को लखनऊ व आसपास की ही किसी जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।
अलग बैरक में सामान्य कैदी की तरह रहते हैं मुख्तार
मंडल कारागार बांदा में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की वजह से 24 घंटे सर्तकता बरती जाती रही है। दुर्दांत डाकू राधे, गोप्पा समेत 15 इनामिया इसी जेल में बंद हैं। विधायक को अलग बैरक में सामान्य कैदियों की भांति रखा गया है। मुख्य गेट के बाहर सुरक्षा के लिहाज से दीवार बना दी गई है. चप्पे-चप्पे पर चौकसी रहती है।
कौन हैं मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में ही हुआ था। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। जबकि उनके पिता एक कम्यूनिस्ट नेता थे। राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली। किशोरवस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग थे। उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़े। कॉलेज में उन्होंने एक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा कुछ खास नहीं किया। लेकिन राजनीति विज्ञान के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर बीबी सिंह के मुताबिक वह एक आज्ञाकारी छात्र थे।
कब हुई जरायम की दुनिया में एंट्री
1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में उनका नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी। लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे। 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था। छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।
गरीबों की रॉबिन हुड
मुख्तार अंसारी विधान सभा सदस्य के तौर पर मिलने वाली विधायक निधि से 20 गुना अधिक पैसा अपने निर्वाचन क्षेत्र में खर्च करते रहे हैं। उन्होंने मऊ और अन्य क्षेत्रों में विकास के कई बड़े काम करवाएं हैं। मुख्तार ने बतौर विधायक क्षेत्र में सड़कों, पुलों, और अस्पतालों के अलावा एक खेल स्टेडियम का निर्माण भी कराया है। साथ ही वे अपनी निधि का 30% निजी और सार्वजनिक स्कूलों और कॉलेजों पर भी खर्च करते आए हैं। पूर्वांचल के एक लेखक गोपाल राय के मुताबिक अंसारी ने व्यक्तिगत रूप से उनके बेटे को एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाने में कैसे उनकी की मदद की वे कभी नहीं भूल सकते। ऐसे ही एक और आदमी की पत्नी के दिल का ऑपरेशन के लिए उन्होंने सारा पैसा दिया था। मुख्तार अंसारी का पूरा परिवार क्षेत्र में होने वाली गरीबों की बेटियों की शादी के लिए दहेज का पूरा भुगतान करते हैं।